Wheat Variety: इस आधुनिक समय में किसान गेहूं की उन किस्मों की बुवाई करना चाहते हैं, जिस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो. क्योंकि अक्सर गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग/Yellow Rust Disease in Wheat Crop होने की संभावना रहती है, जिससे किसानों को गेहूं की अच्छी उपज नहीं मिल पाती है. अगर आप भी गेहूं की इस परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो आज हम आपके लिए गेहूं की उन्नत किस्म/Improved Variety of Wheat की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम समय में अच्छा उत्पादन देती है और साथ ही इसमें लागत में बहुत कम लगती है.
गेहूं की जिस किस्म की हम बता कर रहे हैं, वह गेहूं की एच.डी 2967 किस्म/HD 2967 Variety of Wheat है. गेहूं की यह उन्नत किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. वैसे तो देश के हर राज्य में इस किस्म की बुवाई होती है, लेकिन हरियाणा के किसान इस किस्म को कुछ ज्यादा पंसद करते हैं. इस किस्म की बुवाई करने के बाद कीटनाशक पर खर्चा नहीं करना पड़ता है. ऐसे में आइए इस किस्म के बारे में विस्तार से जानते हैं.
गेहूं की एच.डी 2967 किस्म/HD 2967 Variety of Wheat
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की यह एच.डी 2967 किस्म अगेती किस्म/Eearly Variety of Wheat है, जिसकी बुवाई से फसल में रोग कम लगते हैं. इसके साथ ही गेहूं की उपज भी अच्छी मिलती है, इसलिए अधिकतर किसान एच.डी 2967 किस्म की बुवाई करते हैं. इस किस्म में पीला रतुआ रोग से लड़ने की अच्छी क्षमता होती है. बता दें कि यह गेहूं की फसल में लगने वाला ऐसा रोग है, जो फसल आधे से ज्यादा बर्बाद कर देता है. अगर समय पर इस रोग की रोकथाम न की जाए, तो यह आस-पास के पौधों को अपनी भी चपेट में ले लेती है. ऐसे में अधिकतर किसान एचडी 2967 की बुवाई करते हैं.
गेहूं की एचडी 2967 किस्म की बुवाई/HD 2967 Variety Sowing
गेहूं की एचडी 2967 किस्यम एक अगेती किस्म है, जिसकी बुवाई देश के किसान अपने खेत में 1 तारीख से लेकर 15 नवंबर तक कर सकते हैं. अगर आपने समय पर बुवाई नहीं की है, तो इससे गेहूं की पैदावार पर असर पड़ सकता है. यदि किसान गेहूं की इस किस्म की बुवाई में देरी से करते हैं, तो इससे उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. दरअसल, यह किस्म कम समय में बेहतर उत्पादन के लिए उपयुक्त है.
गेहूं की इस किस्में से अच्छा निकलता है तूड़ा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की एचडी 2967 किस्म का तूड़ा अच्छा बनता है. इस किस्म की बढ़वार अधिक होती है, जिससे एक एकड़ फसल में अन्य किस्मों से अधिक तूड़ा निकलता है. बता दें कि तूड़े को सूखे चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है. किसान तूड़े को बेच भी सकते हैं. यह काफी महंगा बिकता है.