देशभर के किसानों के लिए प्याज की खेती (Onion Farming) प्रमुख स्थान रखती है. ऐसे में किसान अपने-अपने राज्यों में प्याज की उन्नत किस्मों की बुवाई करते हैं. प्याज कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसमें प्रोटीन समेत कुछ खास विटामिन भी पाएं जाते हैं. इसका उपयोग सब्जी का मसाला, सलाद, सूप और अचार बनाने में मुख्य रुप से किया जाता है.
प्याज की खेती (Onion Farming) प्रमुख रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और बिहार में की जाती है. प्याज की खेती में अधिक से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है. ऐसे में देश के कृषि अनुसंधान, वैज्ञानिक और विश्वविद्यालय समय-समय पर प्याज की उन्नत किस्म विकसित करते हैं. इससे किसानों को प्याज की खेती में सरलता होती है, साथ ही फसल से अच्छी उपज भी प्राप्त होती है.
इसी कड़ी में ICAR-Directorate Of Onion And Garlic Research (DOGR) द्वारा लाल प्याज की एक किस्म विकसित की गई है. इस किस्म को भीमा सुपर के नाम से जाना जाता है. इस किस्म की बुवाई से किसान प्याज की अच्छी और ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म से जुड़ी और अहम जानकारी प्राप्त करने के लिए कृषि जागरण ने कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.) के कृषि वैज्ञानिक एस. के. त्यागी से बातचीत की.
क्या है भीमा सुपर किस्म (What is Bhima Super Variety)
एस. के. त्यागीके मुताबिक, इस किस्म की भंडारण क्षमता अधिक होती है. इसका बल्ब लाल रंग का होता है. वर्षा में 100 से 105 दिन में रोपाई के बाद पककर तैयार हो जाती है. देर खरीफ में 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
इन राज्यों में होगी किस्म की बुवाई (Variety will be sown in these states)
कृषि वैज्ञानिक एस. के. त्यागी ने बताया कि इस किस्म को खरीफ सीजन के लिए जारी किया गया है. किसान इस किस्म को खरीफ सीजन में देर से भी उगा सकते हैं. इसकी बुवाई छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु के किसान कर सकते हैं.
बुवाई के समय ध्यान योग्य बातें (Things to consider at the time of sowing)
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इस किस्म से अच्छी उपज लेने के लिए उचित खाद और उर्वरक का उपयोग करना है.
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मिट्टी की जांच करनी है.
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प्याज रोपाई के एक सप्ताह पहले मिट्टी परीक्षण के दौरान 100 क्विंटल शुद्ध गोबर की खाद, 1 क्विंटल नीम की खली, 100 किलो ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो ग्राम डीएपी प्रति एकड़ खेत की तैयारी के समय डालें.
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अगर मिट्टी में जिंक की कमी है, तो 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ में रोपाई के पहले मिला दें.
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इसके बाद एक एकड़ के लिए 4 किलो ग्राम बीज की ज़रूरत होती है.
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रोपाई के 45 दिन पहले बीज की बुवाई कर दें.
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खरीफ सीजन में अगस्त में इसकी बुवाई कर सकते हैं और देरी की बुवाई सिंतबर में कर सकते हैं.
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इसके साथ ही यूरिया की 50 किलो ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ रोपाई के 30 दिन बाद और 45 दिन बाद देते रहना चाहिए.
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अगर खरपतवार से जुड़ी कोई समस्या आए, तो उसके लिए रोपाई के 25 दिन बाद खेत में नमी होने पर आरसी कोलोफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पैदावार (Yield)
खरीफ सीजन में भीमा सुपर से 200 से 220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है. अगर देर खरीफ की बात करें, तो 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है.
जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के प्रगातिशील किसान सोहन लाल पाटीदार ने इस किस्म की बुवाई की है. इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफ़ा मिला है.
अधिक जानकारी के लिए कहाँ संपर्क करें (Where to contact for more information)
नाम - एस. के. त्यागी
पता - कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.) कृषि वैज्ञानिक
मोबाइल नंबर - 8770083621