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Updated on: 29 May, 2024 12:13 PM IST
मोटे अनाज की इस किस्म से किसान बनेंगे मालामाल (Picture Credit - Freepik)

Millets Variety: अगर आप एक किसान है और कम लागत और कम समय में खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए मोटा अनाज (श्रीअन्न) की खेती काफी अच्छा विकल्प हो सकती है. जायद और खरीफ के सीजन में मोटे अनाज की खेती जाती है. श्रीअन्न मधुमेह जैसी बीमारियों में काफी लाभदायक माना जातता है और इसका सेवन हृदय रोग के जोखिम को भी कम करने का काम करता है. मोटे अनाज में विटामिन, प्रोटीन और खनिज की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है. यदि किसान इसकी उन्न्त किस्मों की खेती करें, तो कम समय में अच्छा खासा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. किसान अच्छी उपज के लिए मोटे अनाज की राजेन्द्र कौनी-1 कंगनी किस्म की खेती कर सकते हैं, इस किस्म को पक कर तैयार होने में 80 दिनों का समय लगता है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में मोटे अनाज की उन्नत किस्म राजेन्द्र कौनी-1 कंगनी के बारे में विस्तार से जानते हैं.

कम खाद और पानी की जरूरत

राजेन्द्र कौनी-1, कंगनी मोटे अनाज की यह किस्म किसानों के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है, क्योंकि इस किस्म की मोटे अनाज की खेती करके किसान मालामाल बन सकते हैं. इसकी खेती करने के लिए किसानों को कम खाद और पानी की आवश्यकता होती है. मोटे अनाज की ये किस्म पोषण से भरपूर होती है इसे तैयार होने में कम समय लगता है. किसान अपने खेतों में राजेन्द्र कौनी-1, कंगनी किस्म की खेती काफी आसानी से कर सकते हैं.

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बुवाई की विधी

इस किस्म की मोटे अनाज की खेती करने के लिए हल्की दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. बुवाई के लिए किसानों को सही जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करना होता है, जिससे सही तरह से इसकी फसल लगाई जा सकती है. किसानों को इसके खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और 2 जुताई कल्टीवेटर की मदद से करनी चाहिए. किसानों को मोटे अनाज की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए 4 से 6 किग्रा प्रति हेक्टेयर के अनुसार इस किस्म के बीज की आवश्यकता होती है. किसान मोटे अनाज की बुवाई सीडड्रिल की मदद से या हल के पीछे एक कतार में बीज गिराकर भी कर सकते हैं. मोटे अनाज की बुवाई मई से जुलाई महीने की बीच करनी सबसे उपयुक्त मानी जाती है.

खाद का उपयोग और सिंचाई

किसानों को मोटे अनाज की इस किस्म से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खेतों में 40 kg नाइट्रोजन, 20 kg  फॉस्फोरस और 20 kg पोटाश को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग में लेना चाहिए. किसानों को फसल बुवाई के वक्त 4 से 5 सेमी की दूरी पर कूंड बनाकर डालनी चाहिए. आपको बता दें, मोटे अनाज की इस किस्म के लिए जैविक और रासायनिक दोनों प्रकार की खाद उपयुक्त मानी जाती है. बुवाई से पहले आपको खेत में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 क्विंटल गोबर की खाद भी डालनी चाहिए. बुवाई के 30 दिनों के बाद नाइट्रोजन का एक चौथा हिस्सा और बुवाई के 50 दिनों बाद खड़ी फसल में इसका छिड़काव करना चाहिए. किसानों का इसका उपयोग खेतों में बारिश या हल्की सिंचाई के बाद करना चाहिए. मोटे अनाज एक बारिश आधारित फसल है, इसलिए इसमें सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. आपको बारिश ना होने पर अपने खेतों की 2 बार सिंचाई करनी चाहिए. पहली सिंचाई बुवाई से लगभग 30 दिन बाद और दूसरी सिंचाई 50 दिन बाद ही करनी चाहिए.

कब करें निराई-गुड़ाई?

आपको मोटे अनाज की इस किस्म के बीजों की बुवाई करने के 20 दिन बाद इसके खेतों की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. एक कतार में फसल के होने पर आपको हल या हैरो की मदद से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. आपको इसके खेत की 2 बार ही निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. मोटे अनाज की इस राजेन्द्र कौनी-1 किस्म में रोग और कीटों से कोई नुकसान नहीं होता है.

English Summary: farmers will become rich with this type of coarse grains best variety millets
Published on: 29 May 2024, 12:16 PM IST

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