गर्मी का मौसम फसलों के लिए खतरनाक माना जाता है लेकिन ये अधूरा सच है क्योंकि गर्मी का फायदा उठाकर किसान खेतों को नई जान दे सकते हैं. दरअसल में जमीन में छिपे कीट और रोग फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं हालांकि रोकथाम के लिए किसान रासायनिक कीटनाशकों और फंफूदी नाशकों का उपयोग करते हैं, लेकिन इससे रोग पूरी तरफ खत्म नहीं होते. दूसरी ओर मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी नुकसान होता है. ऐसे में किसानों के पास सबसे बड़ा हथियार गर्मी का सीजन और धूप है गर्मी के मौसम में छिपे फसल के कीटों, रोगजनकों और खरपतवारों को मृदा सौरीकरण तकनीक से खत्म कर सकते हैं.
मृदा सौरीकरण
IARI पूसाएग्रोनॉमी डिवीजन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार सिंह ने बताया कि मृदा जनित रोग-कीटों का प्रभावी लगातार किसानों के लिए चुनौती है. जमीन में छिपे रोगों के रोग जनक हानिकारक कीटों के अण्डे, प्यूपा और निमेटोड खेतों में मौका मिलने से फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. बहुत-सी फसलों के लिए नर्सरी में विकसित कर छोटी-छोटी पौध की खेतों में रोपाई करें. भारत में अप्रैल, मई-जून में भीषण गर्मी पड़ती है किसान इन महीनों के तापमान का लाभ उठाते हुए मृदा सौरीकरण तकनीक से भूमि में छिपे हानिकारक फसल के नेमेटोड कीट , रोगजनक और खरपतवारो को नष्ट कर सकते हैं. यह तकनीक किसानों के लिए बहुत सस्ता होने के साथ कारगर माना जाता है.
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मिट्टी सौरीकरण करने का तरीका- डॉ राजीव ने बताया कि मृदा सौरीकरण उसी तरह है जिस तरह बीज लगाने से पहले बीजों का उपचार करते हैं, ठीक उसी तरह फसल बोई जाने वाली भूमि को सौरीकरण से उपचार करते है. इस प्रक्रिया के लिए एक पतली पारदर्शी प्लास्टिक शीट का उपयोग करते हैं जो मिट्टी के तापमान को बढ़ाता है इससे पहले से मौजूद नेमेटोड, कीट-रोग, निमेटोड के जीवांश और खरपतवार नष्ट होते हैं, जब तेज धूप और तापमान 40-45 सेंटीग्रेड हो उस वक्त सॉयल सोलेराइजेशन करना उचित होता है इसके लिए मई-जून का महीना सबसे सही रहता है.
पारदर्शी प्लास्टिक का करें प्रयोग- मृदा सौरीकरण के लिए खेतों में बोई जाने वाली फसल की जगह को पौध रोपण या फिर बीज बुआई से 4-6 सप्ताह पहले छोटी-छोटी क्यारियों बनाएं. जिनको 200 गेज की पारदर्शी प्लास्टिक से ढकें फिर प्लास्टिक के किनारों को मिट्टी से ठीक तरह से दबाएं. जिससे बाहर की हवा अंदर प्रवेश न आ सके. फिर इसे एक-दो महीने तक छोड़ दें. इस प्रकिया से ढकी प्लास्टिक के अंदर जगह का तापमान बढ़ता है जिससे मिट्टी में पहले से मौजूद रोगों के रोग जनक हानिकारक कीटों के अंडे, प्यूपा और निमेटोड और खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं ऐसे में बिना किसी रसायन के उपयोग से भूमि को उपचारित कर भूमि जनित कीट रोगों और खरपतवारों से छुटकारा मिलता है. यह विधि धान की नर्सरी, फलों और सब्जियों की पौधशाला में के लिए बहुत लाभकारी मानी जाती है.
इन बातों का रखें ध्यान
खेत साफ सुथरा होना चाहिए, खेत में फसल अवशेष न हो और पॉलिथीन से ढकने से पहले मिट्टी को पलटकर समतल और भुरभुरी बना लेना चाहिएय. सिंचाई कर खेत में नमी बना लें और नमी के साथ गर्मी को रोकने के लिए पॉलिथीन किनारों को अच्छी तरह से सूखाकर मिट्टी से ढकना चाहिए.