Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 12 November, 2019 4:42 PM IST

बाकुची औषधि के प्रयोग में प्रयुक्त होने वाला पौधा है. इसकी पत्तियां एक अंगुल चौड़ी होती है. इसका फूल गुलाबी रंग का ही होता है. इसके दानों का छिलका काले रंग का, मोटा और ऊपर से काफी खुरदरा होता है. इसके छिलके के अंदर सफेद रंग की दो दालें होती है जो कि काफ कड़ी होती है. इसके बीज से अलग प्रकार की सुंगध भी आती है. बाकुची का स्वाद मीठापन और चरचरापन लिए कड़वा बताया गया है. इसको ठंडा, रूचिकर, सारक और रसायन माना गया है. बाकुची वार्षिक पौधा है जो कि सही तरीके से फलने पर 60 से 100 सेमी लंबा हो जाता है. इसके बीजों पर एक चिपचिपे तैलीय पदार्थ लगा होता है जिसमें सोरालीन नामक रसायन होता है. इसकी खेती करने पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तऱफ से 30 प्रतिशत सब्सिडी भी प्रदान की जाएगी.

जलवायु और मिट्टी

यह फसल मध्यम बुलई से लेकर काली दोमट मिट्टी तक अनेक प्रकार की मिट्टी में कम से मध्यम वर्षा वाले उप उष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाई जाती है.

बाकुची के अन्य नाम

इसको सोमराजी, कृष्णफल, वाकुची, पूतिफला, बेजानी, कालमेषिका, कंबोंजी, सुपर्णिका, शूलोत्था आदि नामों से जाना जाता है.

नर्सरी की विधि

पौधों को उगाना

फसल को बीजों की बुआई के लिए उगाया जाता है तो वह आसानी से पूरी तरह से अंकुरित हो जाते है और साथ ही एकल फसल के रूप में प्रति हेक्टेयर 8 किलो बीजों की जरूरत होती है.

खेत में रोपाई

भूमि की तैयारी

यहां पर जुताई और मिट्टी के साथ उर्वरक को मिलाकर 10 मीटर हेक्टेयर जुताई की जाती है.

रोपण की दूरी

बीजों को कतार में 60 गुणा 30 सेमी की दूरी पर बोया जाता है.

अन्य फसल प्रणाली

बाकुची के वृक्षारोपण और बगीचों में अन्य फसल के तौर पर इस फसल की खेती की जा सकती हबैसाथ ही बढ़त के साथ शुरूआती दौर के दौरान नियमित निराई और गुड़ाई की जरूरत पड़ती है. अगर हम इसके लिए वर्षा की बात करें तो इसको ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है और आंशिक सूखे की स्थिति में भी यह आसानी से बनी रह सकती है.

बीमारी और कीट नियंत्रण

इसके लिए साप्ताहिक अंतराल पर तीन से चार बार तीन प्रतिशत की दर से भिगोने योग्य सल्फर का छिड़काव करने से पाउडर फफुंदी पर पूरी तरह से नियंत्रण किया जा सकता है. पत्तियों को लपेटने वाली इल्लियां बीमारी को 0.2 प्रतिशत, एंडोल्सफान के दो से तीन छिड़काव करके पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है.

बुआई के 200 दिनों में जब भी फलिया बैंगनी रंग की हो जाती है तो फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इसको पूरी तरह से सूख जाने के बाद ही बीज एकत्रित किए जाते है. इसकी छाया में सुखाए गए बीजों को विपणन के लिए जूट के बैगों में भंडारण किया जाता है.

और भी पढ़े: पत्थरचट्टा के गुणकारी उपयोग देंगे आपको राहत

English Summary: Farmers of Bakuchi were able to make excellent profits, get so much subsidy
Published on: 12 November 2019, 04:45 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now