एक तरफ देश कोरोना वायरस की मार झेल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. ऐसे में किसानों के मन में कई सवाल हैं कि मार्च में ओले गिरने से कितना नुकसान होगा, फसलों के दामों पर क्या असर पड़ेगा, आने वाले दिनों में भी क्या और बारिश होगी. इस तरह के कई सवालों के जवाब के लिए आज हम किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, मौसम वैज्ञानिकों समेत कई अन्य विशेषज्ञों की जानकारी और सुझाव साझा करने जा रहे हैं. ध्यान दें कि यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखा गया है.
मार्च में क्यों गिरे ओले?
भारत के मैदानी भागों में होने वाली बारिश और ओलावृष्टि सबसे भीषण थी, ये पश्चिमी विक्षोभ का सबसे भयानक रूप माना जा रहा है. यह किसानों के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. मार्च में बारिश और ओलावृष्टि का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ है. इसका संबंध कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन से भी है.
किसानों पर क्या बीती?
देशभर के कई हिस्सों समेत यूपी, पंजाब और राजस्थान में तेज बारिश और ओले गिरने से खेतीबाड़ी को काफी नुकसान हुआ है. खासकर यूपी के किसानों का कहना है कि उन्होंने मार्च में कभी इतनी बारिश और ओले नहीं देखे हैं. मौसम की वजह से शिमला मिर्च, टमाटर समेत दूसरी फसलें भी बुरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं.
खेतीबाड़ी को कितना नुकसान हुआ?
कृषि विशेषज्ञों की मानें, तो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खेती पर बहुत बुरा असर पड़ा है. इस मौसम में सामान्यत: एक या दो बार बारिश होती है, लेकिन इस बार ज्यादा बारिश होने से फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जिन किसानों ने सरसों, गेहूं समेत अन्य सब्जियों और फलों की खेती की है, उन्हें इस बारिश ने काफी नुकसान पहुंचाया है.
आलू की फसल को नुकसान
इस वक्त उत्तर भारत में आलू की खुदाई का सीजन है, लेकिन तेज बारिश की वजह से खेत में आलू की खुदाई नहीं हो पा रही है. इसके साथ ही ओले गिरने से आलू सड़ने लगा है.
गेहूं की फसल को नुकसान
बेमौसम बारिश और तेज हवाओं को चलने से गेहूं की फसल को भी भारी नुकसान हो रहा है. इसका कारण है कि तेज हवाओं से गेहूं की तने टूट जाते हैं, जिससे अनाज का ठीक से विकास नहीं होता है. इस मुख्य कारण से किसान की पैदावार घट जाती है.
बागवानों को नुकसान
इस मौसम का दूरगामी परिणाम बागवानों को भी झेलना पड़ रहा है. ओले गिरने से आम के बाग समेत कई पौधे खराब हो रहे हैं. कई जगहों पर तेज हवाओं से पेड़ तक उखड़ गए हैं.
किसान कर्ज लेने को मज़बूर
मौसम की मार झेलता किसान अब एक नई शुरुआत करने की कोशिश कर रहा है. हालत यह है कि वह साहूकारों से कर्ज लेने लगा है. किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं का कर्ज भी सालभर में वापस करना पड़ता है. ऐसे में अगर इस तरह की घटनाएं होंगी, तो वे कहां जाएंगे.
अंतर्राष्ट्रीय संस्था ओईसीडी की रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2000-01 से लेकर 2016-17 के बीच भारतीय किसानों को 45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. कृषि विशेषज्ञों की मानें, तो इस मौसम ने लगभग सभी किसानों को तबाह कर दिया है. पहली बारिश में 5 लाख एकड़ की कृषि को नुकसान हुआ, तो वहीं दूसरी बारिश से ढाई लाख एकड़ की फसल को नुकसान पहुंचा है.
अब बढ़ेंगे सब्जियों के दाम
अब सवाल उठता है कि इन सब का असर सब्जियों के दामों पर पड़ेगा? स्वाभाविक रूप से इसका असर आने वाले दिनों में जरूर नज़र आएगा. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि टमाटर, गोभी, मिर्च, लहसुन, भिंडी, लौकी, तरोई, खरबूजा और तरबूज जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए आने वाले दिनों में सब्जियों के दाम काफी ऊपर पहुंच जाएंगे.
किसान बीमा योजना
जब किसानों के नुकसान की बात आए, तो किसान बीमा योजना का ज़िक्र जरूर करना पड़ता है. इसकी वजह है कि किसानों को मौसमी घटनाओं से बर्बाद हुई फसलों का बीमा मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट पर ध्यान दें, तो किसानों के 3 हज़ार करोड़ रुपये के क्लेम 10 महीने बाद भी किसानों तक नहीं पहुंचे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि कंपनियां क्लेम दो महीने लेट होने पर 12 प्रतिशत ब्याज दर के साथ बीमा राशि देती हैं.
क्या है आगे का रास्ता?
ये बात सच है कि जलवायु परिवर्तन का असर खेतीबाड़ी पर साफ दिखाई दे रहा है. अगर किसान और अर्थव्यवस्था को बचाना है, तो सरकार, बीमा कंपनियों को अपनी कमर कसनी होगी. किसानों का साथ देना होगा, ताकि वे इस समस्या का सामना कर पाएं. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इसका असर किसानों के साथ-साथ आम आदमी पर भी पड़ेगा.
ये खबर भी पढ़ें:E-Kharid Portal पर होगी गेहूं की खरीद, जल्द निर्धारित बैंक में खाता खुलवाएं आढ़ती