ताड़ का पेड़ (Palm Tree) अब ना केवल उन लोगों तक सिमित है, जो सिर्फ जीवन यापन के लिए वर्षावनों पर निर्भर हैं, बल्कि अब यह मुनाफे का व्यवसाय बन गया है. जी हां, ताड़ के खेती एक आकर्षक व्यवसाय (Palm Farming Business) में बदल गई है, लेकिन किसी भी व्यवसाय की तरह इसके लिए भी धैर्य, उचित प्रबंधन, निगरानी और एक मजबूत मनोबल की आवश्यकता होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाम तेल (Palm Oil) का विकास और उत्पादन नाइजीरिया, भारत, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, पापुआ न्यू गिनी, कोलंबिया और थाईलैंड में बेहद लोकप्रिय व्यवसाय के रूप में उभरा है.
ताड़ पेड़ की खासियत (Palm Tree Feature)
पाम ऑयल की फसल सभी बारहमासी फसलों (Perennial Crops) में सबसे अधिक तेल देने वाली फसलों में से एक है. ताड़ का पेड़ खाद्य ताड़ के तेल (Edible Palm Oil) के साथ-साथ ताड़ के कर्नेल तेल (Kernel Oil) का उत्पादन करता है. इसकी उच्च उपज क्षमता के कारण इस पाम ऑयल को गोल्डन पाम (Golden Palm) माना जाता है. भारत में ताड़ के तेल की खेती 15 से अधिक राज्यों में लगभग 50,000 हेक्टेयर में की जाती है और इस फसल की खेती भी वर्षा आधारित परिस्थितियों होती है.
ताड़ के तेल की खेती के लिए जलवायु की आवश्यकता (Climate Requirement for Palm Oil Cultivation)
-
Palm Oil एक आर्द्र उष्णकटिबंधीय (Humid Tropical) फसल है और उन क्षेत्रों में सबसे अच्छी तरह से उगती है. जहां तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस और 20 डिग्री सेल्सियस से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है.
-
पाम ऑयल को बेहतर विकास के लिए प्रतिदिन कम से कम 5 से 6 घंटे तेज धूप और 80% आर्द्रता की आवश्यकता होती है.
-
इस फसल को 2500 से 4000 मिमी या 150 से 150 मिमी हर महीने वर्षा की आवश्यकता होती है.
ताड़ के तेल की खेती के लिए मिट्टी की आवश्यकता (Soil Requirement for Palm Oil Cultivation)
-
आम तौर पर Tad Ki Kheti को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह अच्छी तरह से सुखी गहरी दोमट और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर जलोढ़ मिट्टी में सबसे अच्छा उगती हैं.
-
इन पेड़ों को कम से कम 1 मीटर मिट्टी की गहराई की आवश्यकता होती है.
-
इसकी खेती के लिए किसानों को अत्यधिक खारा, अत्यधिक क्षारीय, तटीय रेतीली और पानी की स्थिर मिट्टी से बचना चाहिए.
भारत में पाम ऑयल की किस्में (Palm Oil Varieties in India)
-
टेनेरा: यह पाम की बहुत आम किस्म है जो पतली खोल वाली होती है और दुनिया भर में इसकी खेती की जाती है.
-
ड्यूरा: इस किस्म की खेती व्यावसायिक रूप से नहीं की जाती है और इसका खोल 2 से 8 मिमी तक मोटा होता है.
-
पिसिफेरा: यह पाम की एक ऐसी किस्म है जो खोल रहित फल देती है.
ताड़ के तेल की खेती (Palm Oil Farming)
-
Tad Ki Kheti मुख्य रूप से बीज द्वारा होती है.
-
बीजों की उच्च सुप्तता के कारण उन्हें 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 75 दिनों के लिए प्री-हीटिंग की आवश्यकता होती है.
-
इसके बाद बीजों को बहते पानी में भिगोकर 4-5 दिनों के लिए ठंडा होने के लिए रख देना चाहिए.
-
10 से 12 दिन में बीज अंकुरित होने लगते हैं और अंकुरित हो जाने के बाद बो देना चाहिए.
ताड़ के तेल की खेती में भूमि की तैयारी, दूरी और रोपण (Land preparation, Spacing and Planting in Palm Oil Cultivation)
-
Tad Ki Kheti के लिए भूमि को खरपतवार मुक्त बनाया जाना चाहिए और मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बनाने के लिए दो बार जुताई करनी चाहिए.
-
मिट्टी को समृद्ध क्षेत्र बनाने के लिए खेत को अच्छे कार्बनिक पदार्थों के साथ पूरक करें.
-
ताड़ के तेल की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम जून से दिसंबर तक होता है.
-
त्रिकोणीय रोपण विधि (Triangular Planting Method) के मुताबिक इसको 9 मीटर x 9 मीटर x 9 मीटर की दूरी के साथ लगाना चाहिए.
-
साथ ही 1 हेक्टेयर भूमि में 143 से 145 ताड़ के पौधे लगाए जा सकते हैं.
-
रोपण गड्ढों में 60 सेमी x 60 सेमी x 60 सेमी के आकार के साथ किया जाना चाहिए.
तेल ताड़ की खेती में कीट और रोग (Pests and Diseases in Oil Palm Cultivation)
ताड़ की खेती में पाए जाने वाले सामान्य कीट और रोगों में पेस्टलोटिप्सिस लीफ स्पॉट, गैनोडर्मा बट रोट, बैक्टीरियल बड रोट, ऑयल पाम विल्ट, गैंडा बीटल और मीली बग शामिल है. इन कीटों और रोगों के लिए निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करके उचित नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए.
ताड़ के तेल की खेती में कटाई (Harvesting in Palm Oil Farming)
-
इसके खेत में पौधरोपण के बाद 5 से 3 साल में ताड़ का पेड़ कटाई के लिए तैयार हो जाता है.
-
Tad Ki Kheti में कटाई का समय निर्धारित करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तेल की गुणवत्ता और मात्रा को बहुत प्रभावित करता है.
-
कटाई तब की जा सकती है जब फल पीले-नारंगी रंग के हो जाएं और 5 से 8 फल अपने आप गिर जाएं.
-
इसके अलावा फलों को उंगली से जोर से दबाने पर ताड़ के फलों से नारंगी रंग का तेल निकल जाए तो समझ लीजिये यह कटाई के लिए तैयार है.
-
कटाई साल भर होती है और आम तौर पर तेज चाकू या दरांती की मदद से 10 से 14 दिनों के अंतराल में की जाती है.
ताड़ के तेल की खेती के लाभ (Benefits of palm oil cultivation)
-
ताड़ के तेल से अन्य तेल फसलों की तुलना में सबसे अधिक खाद्य तेल प्राप्त होता है.
-
ताड़ के तेल की फसल एक कठोर फसल है और इसमें कीट और रोग का प्रकोप कम होता है.
-
ताड़ के तेल की पूर्व-असर अवधि में अंतर-फसल से किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं.
-
चोरी का कोई खतरा नहीं है और स्थानीय रोजगार प्रदान करता है.
-
यह फसल पूरे वर्ष मासिक आय और अच्छे बाजार मूल्य का आश्वासन देती है.
-
किसान उच्च रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.
-
ताड़ का तेल मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत करके खाद्य तेल के आयात को प्रतिस्थापित करता है.
भारत में ताड़ की खेती (Palm Farming in India)
भारत में प्रमुख पाम तेल उत्पादन राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, केरल, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और अंडमान शामिल है.