कई किसान रबी फसलों की कटाई के बाद खेत में किसी फसल की बुवाई नहीं करते हैं. वे खेत को खाली छोड़ देते हैं. मगर ऐसा करने से अच्छा है कि किसान गर्मियों के दिनों में खेत खाली रखने की जगह सब्जियों की खेती करें. इससे खेत में पोषक तत्व की कमी नहीं हो पाएगी, जो कि खरीफ की फसल के लिए बहुत अच्छा होगा. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मौसम में खेतों के कुछ हिस्सों में सब्जियों की बुवाई करके अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक...
गर्मियों में किसान लौकी, तोरई, तरबूज, खरबूजा, पेठा, खीरा, टिंडा, करेला समेत कई अन्य सब्जियों की खेती कर सकते हैं. इस सब्जियों की बुवाई मैदानी क्षेत्रों में मार्च से जून तक की जाती है. खासतौर पर किसानों को करेला, लौकी, तोरई की खेती करनी चाहिए. गर्मियों में इन सब्जियों की मांग ज्यादा होती है. इनकी अगेती खेती से काफी अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. बता दें, कि इन सब्जियों की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सर्दी के मौसम में पॉली हाउस तकनीक में नर्सरी तैयार कर सकते हैं.
सब्जियों की पौध तैयार करना
किसानों को बता दें कि इन सब्जियों की पहले पौधे तैयार की जाती है. इसके बाद खेत में पौध रोपण होता है. इस तरह फसलों की पैदावार अच्छी होती है. बता दें कि इस तरह की खेती के लिए किसान कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण ले सकते हैं. इसके साथ ही खाद और कीटनाशक दवा का छिड़काव की जानकारी भी देते हैं.
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पौधा की रोपण की विधि
अगर इन सब्जियों की बुवाई नाली या मेड़ (हिल और चैनल) तकनीक से की जाए, तो इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है. इसके लिए सबसे पहले पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 45 सेंटीमीटर चौड़ी नालियां बनाकर तौयार कर लें. इनकी गहरी लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर की होनी चाहिए. ध्यान दें कि इन नालियों की दूरी 2 से 4 मीटर की होनी चाहिए.
वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने का लाभ
अगर किसान हिल और चैनल तकनीक से खेती करते हैं, तो उन्हें फसल की बहुत अच्छी पैदावार मिल सकती है. बता दें कि इस तरह खेती करने से प्रति हेक्टेयर टिंडा की फसल से लगभग 100 से 150 क्विंटल पैदावार, लौकी की फसल से लगभग 450 से 500 क्विंटल पैदावार, तरबूज की फसल से लगभग 300 से 400 क्विंटल पैदावार, करेला और तोरई की फसल से लगभग 250 से 300 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.