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Updated on: 2 April, 2023 3:34 PM IST
शंखपुष्पी की खेती

भारत में कोरोना महामारी ने औषधीय पौधों की अहमियत को बढ़ा दिया है महामारी की वजह से लोग सेहत पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं और औषधीय पौधों के महत्व अब अच्छे से समझने लगे हैं. तभी बाजार में औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ी है जो किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है इतना ही नहीं उत्पादन कम और मांग ज्यादा होने की वजह से किसानों को औषधीय फसलों के अच्छे दाम मिल रहे हैं.

केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी किसानों की मदद कर रही हैं. ऐसे में आपकों शंखपुष्पी के बारे में जानकारी दे रहे हैं. जो एक याददाश्त बढ़ाने का गुण रखने वाला औषधीय पौधा है. आयुर्वेदिक औषधियों में इसका इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है, आयुर्वेदिक औषधियों में शंखपुष्पी का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है. इसलिए खेती से किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.

उपयुक्त मिट्टी- शंखपुष्पी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि ही चाहिए होती है, हालांकि अच्छी पैदावार लेने के लिए हल्की लाल रेतीली दोमट मिट्टी में उगाना चाहिए. खेती के लिए भूमि का ph मान 5.5-7 के बीच होना चाहिए.

जलवायु और तापमान- खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है बारिश के बाद का मौसम सबसे उपयुक्त होता है अधिक गर्मी और बारिश दोनों ही उपयोगी नहीं होते इसलिए अधिक गर्मी और सर्दी में पौधे विकास नहीं करते. बीजों के अंकुरण के समय 20 डिग्री के आसपास तापमान की जरूरत होती है अंकुरण के बाद पौधों को विकास के लिए 25-30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, अधिकतम 35 और न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को पौधा सहन कर सकता है.

खेत की तैयारी- खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए सबसे पहले गहरी जुताई करना चाहिए फिर खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दे ताकी खेत की मिट्टी को सूर्य की धूप मिले, और हानिकारक जीव नष्ट हो जाएं, अब खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर जुताई करें इससे गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाएगी फिर 2-3 तिरछी जुताई कर खेत में पानी लगाकर पलेव कर देना चाहिए. मिट्टी सूखने पर रोटावेटर लगवाकर फिर से जुताई कर देना चाहिए ताकी खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद खेत में पाटा लगाकर चला दें जिससे खेत समतल हो जाए और जलभराव की समस्या ना हो.

रोपाई- शंखपुष्पी की रोपाई पौध के साथ बीज दोनों ही विधि से कर सकते हैं, बीज से बुवाई से लिए बीजों को पौध रोपाई से 20 दिन पहले प्रो-ट्रे में तैयार करते हैं फिर पौधों को मेड़ो में लगाते हैं. वहीं पौधों से रोपाई के लिए सबसे पहले पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से सस्ते दामों पर खरीदते हैं खरीदी के वक्त स्वस्थ और रोगमुक्त पौधों का ध्यान रखें फिर पौधों की रोपाई के लिए खेत में मेड़  तैयार करें हालांकि पौधों की रोपाई को समतल भूमि में भी कर सकते हैं. जिसके लिए पंक्तियों में क्यारियां बनानी चाहिए, हर पौधे के बीच में एक फीट की दूरी जरूर रखें. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए पौधों को मेड़ों पर ही लगाएं. जहां पौधों के बीच में 20-25 सेमी. की दूरी रखें और हर मेड़ के बीच एक फीट की दूरी रखें. वहीं पौधों की जड़ों को रोपाई से पहले रोग से बचाने के लिए बाविस्टीन से उपचारित करें तीन सेंटीमीटर गहराई में लगाएं. पौधों की रोपाई शाम के समय करना चाहिए, इससे पौधे अच्छे से अंकुरित होते हैं.

सिंचाई- रोपाई बारिश के मौसम में होने की वजह से सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती, हालांकि रोपाई के बाद बारिश न हो तो सिंचाई करें इससे पौधों का अंकुरण अच्छे से होता है. फिर जरूरत पर ही सिंचाई करें. वहीं जब शंखपुष्पी के पौधों पर फूल लगने लगे तो बीजो के बनने के लिए अधिक सिंचाई की जरुरत होती है खेत में नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए.

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उपज और आमदनी- पौधों को तैयार होने में करीब 4-5 महीने का वक्त लगता है. फूलों के विकास के एक महीने बाद दिसंबर महीने में फलियों पर दाने बन जाते हैं फिर जनवरी में पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है तब पौधों को खेत से जड़ सहित उखाड़ा जाता है फिर हल्की धूप में सूखते हैं. शंखपुष्पी का मार्केट भाव 3 हजार रूपए के आसपास होता है ऐसे में किसान बढ़िया कमा सकते हैं.

English Summary: Farmers can earn tremendously by cultivating Shankhpushpi, the plant has the quality of increasing memory
Published on: 02 April 2023, 03:38 PM IST

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