किसान फरवरी-मार्च में खीरे की बुवाई करते हैं, लेकिन अब बाजार में कुछ नई उन्नत किस्में आने लगी हैं, जिसके बाद किसान खीरे की बुवाई ओपन फ़ील्ड में भी करने लगे हैं, जिसको अति अगेती खेती कहा जाता है. इसमें फसल को तैयार करने में लगभग 60 से 75 दिनों का समय लगता है.
किसान अति अगेती खेती के लिए 2 मौसम में बुवाई करते हैं.
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खरीफ़ सीजन (जून से जुलाई)
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ज़ायद सीजन (जनवरी, फरवरी और मार्च)
खीरे की बुवाई (Cucumber sowing)
यह मौसम खीरे की खेती के लिए अनुकूल माना जाता है. इससे फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है. इसके लिए तापमान लगभग 18-24 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त रहता है, क्योंकि अधिक ठंड में खीरे की फसल खराब होने का खतरा बना रहता है.
इसके लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण, दोनों ही जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. ध्यान दें कि खीरे की खेती में फूल खिलने के लिए लगभग 13-18 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना चाहिए.
खीरे की प्रजातियां (Cucumber species)
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हिमांगी
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पूना खीरा
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पूसा संयोग
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शीतल, फाइन सेट
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स्टेट 8, खीरा 90, खीरा 75
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हाईब्रिड 1, हाइब्रिड 2
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कल्यानपुर हरा खीरा
ओपन फ़ील्ड में खीरे की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मेड़ या बेड बनाकर बुवाई करना उपयुक्त रहता है.
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टपक विधि से करें सिंचाई (Irrigation by drip method)
अगर ओपन फ़ील्ड में खीरे की खेती कर रहे हैं, तो किसानों को इसकी सिंचाई टपक विधि से करनी चाहिए. इस विधि में घुलनशील खाद का उपयोग कर सकते हैं, इससे सभी खीरे की बेलों को उचित खुराक मिल जाती है, साथ ही ज़मीन की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है, इसलिए टपक विधि को उपयुक्त माना जाता है. ध्यान दें कि फसल में खुले पानी के उपयोग से बेल खराब हो सकती हैं. इसके अलावा पानी की लागत के साथ कीटों का खतरा भी बना रहता है, इसलिए इस समस्या से बचने का उचित प्रबंध कर लेना चाहिए.