हमारे देश में खेती को बहुत ही महत्व दिया जाता है, इसलिए किसान भाइयों की मदद के लिए सरकार हमेशा आगे रहती है. जिससे उनकी आय बढ़ सके. इस क्रम में किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ नकदी फसलों की तरफ बढ़ रहे है. देश में औषधीय गुणों का चल दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इस खेती में लागत बहुत ही कम लगती है और बाजार में भी अधिक मांग होती है. किसानों के लाभ के लिए यह खेती एक बेहतर विकल्प है.
जैसे कि आप सब जानते ही है, कि औषधीय खेती दवा बनाने में बहुत ही उपयोगी होती है. बाजार में भी इसकी फसल का उच्च दाम किसानों को प्राप्त होता है. किसान हर महीने आराम से लाखों की कमाई कर सकते हैं. तो आइए इस खेती के बारे में जानते हैं.
चिया सीड की खेती (chia seed cultivation)
चिया सीड्स एक प्रकार का पौधा होता है, जो पौष्टिकता और उच्च गुणवत्ता के भरपूर होता है. इसी कारण से इस पौधे को सुपर फूड भी कहते है. अगर हम बात करे इसकी खेती की तो यह भारत में इसकी खेती अब तेजी से की जा रही है.
आपको बता दें कि चिया सीड्स की खेती पूरी तरह से जैविक है और इसे करना बेहद आसान है. यह खेती मध्यम तापमान में की जाती है. भारत के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है, लेकिन पहाड़ी वाले क्षेत्र में यह खेती नहीं की जाती है. चिया सीड खेती के लिए दोमट और भुरभुरी मिट्टी इसके लिए उत्तम है.
इस खेती में दो तरह की बुवाई की जाती है. एक छिड़काव विधि से और वहीं दूसरी नर्सरी विधि से इसकी खेती को कर सकते है. पहली विधि में आपको एक एकड़ की जमीन में लगभग डेढ़ किलो बीज की लागत लगेगी. उधर दूसरी विधि में नर्सरी में बेहतर बीजों को तैयार करे और फिर उनकी रोपाई अपने खेत में करें.
बेहतर पैदावार का तरीका (better yield method)
किसी भी खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत का अच्छे से तैयार होना बेहद जरूरी है, इसलिए लिए आपको बुवाई से पहले खेत में दो से तीन बार अच्छे से जुताई करें, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद खेत में पट्टा चलाएं. जिससे खेत समतल हो जाए. अच्छी फसल की पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान को एक से दो बार निराई जरूर करनी चाहिए.
चिया सीड फसल की बुवाई अक्टूबर और नवंबर के महीने में की जाती है. लगाने के 110 दिनों के बाद ही चिया सीड की फसल तैयार हो जाती है. बाकी सभी फसलों की तरह इसकी कटाई नहीं होती, बल्कि इसे उखाड़ा जाता है.
इसके बाद इसे सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर किसान थ्रेशिंग की सहायता से इसके बीजों को निकालते है. किसान एक एकड़ के खेत से लगभग 5 से 6 प्रति क्विंटल की उपज प्राप्त कर सकते है. जिससे वह अधिक लाभ कमा सकते हैं.