हम एक कृषि प्रधान देश में रहते है. यहां आज भी करीब 70 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है. किसान अपनी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए जीतोड़ मेहनत करते है. खेतों में मिट्टी की बनावट बड़ी पेचीदा होती है. किसान अपने कई सालों के अनुभव के बावजूद भी उपजाऊ मिट्टी का अन्दाजा नहीं लगा पाते है. ऐसे में फसल की पैदावार पर असर पड़ता है. किसानों को खेत की उपजाऊ मिट्टी का सही अंदाजा लगाना जरुरी है, ताकि फसल की अच्छी पैदावार हो सके. इसके लिए खेती की मिट्टी का परीक्षण करना अति आवश्य़क है. किसानों को जानकारी होनी चाहिए कि खेत में कौन-कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में डालना है.
मिट्टी परीक्षण से जानकारी
किसान भाईयों को फसल उगाने से पहले मट्टी का परीक्षण करना चाहिए. इससे भूमि में उपलब्ध नाईट्रोजन फॉस्फोरस, पोटाश आदि तत्वों और लवणों की मात्रा और पी. एच. मान का पता चलता है. इसके साथ ही भूमि की भौतिक बनावट भी मालूम पड़ती है. जो फसल बोना हैं, उसमें खादों की कितनी मात्रा डालना है इसकी जानकारी मिलती है. इसके अलावा भूमि में सहायक रसायन की जरुरत है या नहीं, इसका पता चलता है. जैसे- जिप्सम, फॉस्फोजिप्सम या पाइराईट्स और अम्लीय आदि.
मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेने का समय
किसान भाईयों को मिट्टी का परीक्षण फसल बुवाई और रोपाई के एक महीने पहले करना चाहिए. तो वहीं सघन खेती करने के लिए मट्टी का परीक्षण हर साल होना चाहिए. इसके अलावा जिस खेत में साल में एक फसल उगाई जाती है. उस खेत में दो या तीन साल में एक बार मिट्टी का परीक्षण कर लें.
मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेने की विधि
खेत में मिट्टी परीक्षण के लिए सबसे पहले जिस खेत का नमूना लेना हो, वहां निशान लगा दें और उस स्थान से घास-फूस, कंकड़, पत्थर हटा देना चाहिए. अब फाबड़े या खुरपी से व्ही (v) आकार का करीब 15 सेंटीमीटर गहराई तक गढ्ढा खोदकर मिट्टी अलग कर दें. इसके बाद दीवार के साथ पूरी गहराई तक मिट्टी की परत काटकर निकाल लें. ऐसे ही खेत के बाकी स्थानों से भी मिट्टी का नमूना लें. अब सभी नमूनों का किसी साफ कपड़े या फिर पालिथीन पर अच्छी तरह मिला लें. नमूनों को एक वर्गाकार या गोलाई में फैलाकर चार भागों में बांट लें और आमने-सामने के दो भागों को रखकर बाकी फेंक दें. जब तक मिट्टी का कुल नमूना करीब 500 ग्राम न रह जाए. तब तक इस प्रक्रिया को करते रहे. इसके बाद मिट्टी के नमूने को लेकर एक साफ थैली में रखें और अपनी जानकारी लिखकर नजदीक के प्रयोगशाला में भेज दें.
मिट्टी का नमूना लेते वक्त सावधानियां बरतें
किसान भाईयों को खेत से नमूना लेते वक्त कई विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. ध्यान दें कि उन स्थानों से नमूना न लें, जहां जहां पर खाद, उर्वरक, चूना, जिप्सम या फिर कोई अन्य भूमि सुधारक रसायन तत्काल लगाया गया हो. इसके अलावा ऊसर आदि की समस्या से ग्रस्त खेत या उसके किसी भाग से नमूना लेना है, तो उस स्थान से अलग से नमूना लें. ध्यान रहे कि गीली मिट्टी का नमूना न लें. अगर किसी वजह से मिट्टी गीली है, तो उसको छाया में सुखाने के बाद ही परीक्षण के लिए भेजें. साथ ही मिट्टी के नमूनों को खाद के बोरों, ट्रैक्टर की बैटरी आदि से दूर रखें.
मिट्टी के नमूनों को प्रयोगशाला में भेजने की प्रक्रिया
मृदा के परीक्षण के लिए भेजते वक्त नमूने के साथ सूचना पत्र की तीन प्रतियां तैयार की जाती है. सबसे पहले एक प्रति थैले के अंदर रखी जाती है. दूसरे थैले का मुंह बांधने के साथ बांध दें. तो वहीं तीसरी प्रति किसान स्वयं अपने पास रखता है. आपको बता दें कि सूचना पत्र पर विशेष जानकारी जरुर लिखें.
1) किसान का नाम.
2) किसान अपने खेत का खसरा नंबर या नाम जरुर लिखें.
3) पत्र व्यवहार का पूरा पता
4) पहले बोई गई फसल को दी गई उर्वरक की मात्रा, आगामी प्रस्तावित फसल औऱ खेत की स्थलाकृत के बारे में लिखें.
5) अगर खेत में कोई समस्या है, तो उसको भी लिख सकते है.
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