किसान अधिक आमदनी के लिए औषधीय पौधों की खेती की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. यह किसानों के लिए बेहतरीन फसल मानी जाती हैं, लेकिन किसान भाइयों के पास इनकी खेती से जुड़ी सही जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में उन्हें कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है. अगर आप किसान हैं और अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आप कलौंजी की खेती से जबरदस्त आमदनी कमा सकते हैं. तो चलिए आज हम कलौंजी की खेती से जुड़ी जानकारी देते हैं.
बता दें कि कलौंजी का वानस्पतिक नाम “निजेला सेटाइवा” है. इसे देश के विभिन्न भागों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. यह एक ऐसा पौधा है, जो काले बीज युक्त होता है. इसे मंगरैला या कालाजाजी भी कहा जाता है. इसकी खेती देश के कई हिस्सों में होती है. इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है. वहीं, इसके बीजों से निकलने वाले तेल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं और सुगंध इंडस्ट्री में उपयोग किया जाता है. आप इसे सब्ज़ी, सलाद, आटे , पुलाव और अन्य कई खाद्य पदार्थ में उपयोग कर सकते हैं. भारत में अचार बनाने में इसका ख़ूब उपयोग होता है. इसके साथ ही औषधि में भी बनाई जाती है.
उपयुक्त जलवायु
कलौंजी के पौधों को अच्छे विकास के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. इसके पौधे सर्दी और गर्मी, दोनों ही मौसम में अच्छी चरह वृद्धि कर सकते हैं.
उपयुक्त मिट्टी
कलौंजी की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. इसकी खेती को करने के लिए जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है. भूमि का P.H. मान 6-7 के मध्य होना चाहिए.
खेत की तैयारी
कलौंजी की अच्छी पैदावार के लिए बीजों की रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें. इसके लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लें. इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें, ताकि खेत की मिट्टी में धूप लग जाए.
रोपाई का सही समय और तरीका
बीजों की बुवाई से पहले खेत में उचित आकार की क्यारियां तैयार करें. इसके बाद क्यारियों में बीजों की रोपाई कर दें.
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पौधों की कटाई
इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. पौधों के पकने के बाद उन्हें जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है. पौधे को उखाड़ने के बाद उसे कुछ दिन तेज़ धूप में सूखाने के लिए खेत में ही एकत्रित कर छोड़ देते हैं. इसके बाद जब पौधा पूरी तरह सुख जाता है, तो लकड़ियों से पीटकर दानों को निकाल लिया जाता है.
पैदावार और लाभ
कलौंजी के पौधों की विभिन्न किस्मों से औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से पाई जा सकती है, जिसका बाज़ार में भाव 20 हज़ार प्रति क्विंटल के आस-पास मिलता है. इस हिसाब से किसान भाई एक बार में एक एकड़ से लगभग एक लाख के आस-पास की कमाई कर सकते हैं.