अनार आख़िर किसको नहीं पसंद? सैकड़ों लाल रंग के छोटे रसीले दानों से बना अनार दुनिया के गरम प्रदेशों में सबसे ज्यादा पाया जाता है. महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में अनार की सबसे ज्यादा खेती की जाती है. रोम में अनार को अधिक बीज वाला सेब कहकर बुलाया जाता है. वही भारत में अनार को स्वास्थ्य संबंधी गुणों का राजा कहा जाता है. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, आदि से युक्त अनार केवल सेहत के लिए ही नहीं बल्कि मुनाफे के तौर पर भी काफी फायदेमंद है. 300 साल पुराना माना जाने वाले इस फल को कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने हेतु भी उपयोग में लिया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आप कैसे अनार की खेती कर सकते हैं:-
अनार की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Climate for pomegranate Farming):
अनार को उगाने और सही तरह पकाने के लिए गर्म और थोड़ी शुष्क जलवायु की ज़रूरत पड़ती है. यह पौधा उपोष्ण जलवायु का माना जाता है, इसीलिए अनार के पौधों को उगाने के लिए मार्च या अगस्त महीने का चयन करना लाभकारी होता है. अगर अनार को पकने के लिए 38 सेंटीग्रेड जैसा उच्च तापमान मिलता है, तो उसकी मिठास काफी हद तक बढ़ जाती है. इन फलों को आर्द्र जलवायु से दूर रख कर इनकी गुणवत्ता प्रभावित होने से बचाया जा सकता है, ताकि अनार में फफूंद लगने जैसी परेशानियों का सामना ना करना पड़े. अनार की खेती के लिए समुद्रतल से 500 मीटर से ज्यादा ऊपरी जगह को भी चुना जा सकता है.
अनार की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव (Selection of soil for cultivation of pomegranate):
अनार दोमट और हल्की क्षारीय मिट्टी को भी सहने योग्य है. इसे हल्की मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. इसीलिए अनार की खेती से काफी मुनाफा कमाया जा सकता है. लेकिन सबसे बेहतरीन विकल्प की बात करें तो उत्तम जल निकास की बलुई, कछारी या रेतीली दोमट मिट्टी को सही माना जाता है. अनार की गुणवत्ता और अच्छे रंग के लिए भारी मिट्टी की बजाय नरम मुरम वाली हल्की मिट्टी प्रयोग में लाई जानी चाहिए.
अनार की उन्नत किस्में (Varieties of pomegranate:):
आपको अपने क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए उन्नत किस्मों को चुनना चाहिए, ताकि उपज में इज़ाफा के साथ ही बेहतर आमदनी हो सके.
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गणेश - अनार की इस किस्म में फलों का आकार मझोला होता है और बीज गुलाबी रंग के साथ-साथ मुलायम पाए जाते हैं.
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ज्योति – इसमें फल बड़े आकार के साथ ही मझोला होता है. इनके बीज का काफी मीठे व मुलायम पाए जाते हैं. यह फल बाहर से चिकने होते हैं.
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कांधारी – बड़े आकार के साथ-साथ इस किस्म के फल बहुत रसीले और बीज सख्त पाए जाते हैं.
अनार की विभिन्न किस्मों में भगवा, मृदुला, अरक्ता, करकई, आदि पाए जाते हैं.
रोपण का तरीका (Method of planting):
सघन विधि में अनार उगाने के लिए 5×3 मीटर की दूरी पर रोपाई की जाती है ताकि पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ाई जा सके. इस रोपण पद्धति के अनुसार 5×2 मीटर, 5×3 मीटर और 4.5×3 मीटर की आपसी दूरी पर रोपण करना चाहिए.
पौध संरक्षण/ फसल प्रबंधन (Plant Protection / Crop Management):
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अनार की तितली - इससे अनार को हानि पहुंचती है. वाटर पेपर से लपेट कर इसकी रोकथाम की जा सकती है.
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जीवाणु पर्ण चित्ती रोग – बोर्डो मिश्रण या फिर ताम्र युक्त फफूंदी नाशक का प्रयोग कर सकते हैं.
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फल सड़न रोग- क्लेडोस्पोरियम कवक से यह रोग उत्पन्न होता है. फल तोड़ने के बाद आप इस रोक को महसूस कर पाएंगे. इसके होने से फल पर लाल रंग जैसे दवे नजर आने लगते हैं और फिर पूरा फल सड़ जाता है. डायथेन एम दवाई के सही मात्रा में हुए छिड़काव और प्रत्येक फल के अलग-अलग पन्नों में पैक किए जाने से रोग की रोकथाम मुमकिन है.
इन समस्याओं के अलावा पत्ती और फल धब्बा रोग, छिलका खाने वाली इल्ली, उकटा, तना छेदक क्यू आदि से भी बचें.
अनार के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा (Fertilizers and pesticides):
अनार के पौधों को सही तरह से विकसित करने और अच्छी पैदावार हेतु सही मात्रा में खाद और उर्वरकों का उपयोग करना बेहद जरूरी होता है. उपयुक्त खाद और उर्वरक इस्तेमाल करने से पहले यह जान लेना चाहिए कि अनार की खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी की उर्वरा शक्ति कैसी है और उसमें किस प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं. फूलों के विकास के समय उनकी पत्तियों में पोषक तत्व को इस प्रकार उपयुक्त माना जाता है:- 2.5 नत्रजन, 0.19 स्फुर और 1.47 पोटाश. प्रत्येक विकसित पौधे को 30 किलो गोबर की खाद, 600-700 ग्राम नत्रजन, 200-250 ग्राम स्फुर और पोटाश दिया जाना उपयुक्त है.
अनार की सिंचाई का तरीका (pomegranate irrigation):
सूखी फसल होने के कारण अनार में सूखे को सहन करने की क्षमता होती है. यदपि इसके पौधे की विकास और उत्पादन में बढोतरी लाने के लिए सिंचाई ज़रूरी होता है. इनकी सिंचाई का सही समय मई से लेकर मानसून आने तक का माना जाता है. बारिश के मौसम के बाद 10 से 12 दिनों के अंतराल में निश्चित रूप से सिंचाई करना पौधे की सेहत के लिए आवश्यक है. ड्रिप सिंचाई करने से पानी का बचाव भी होगा और उपज में बढ़ोतरी भी नजर आएगी.
कॉट-छॉट (Cutting):
अनार की छटाई के लिए बगीचे के उस हिस्से पर जाएं जहां पर ऑयली स्पॉट ज्यादा नजर आ रहा है. चटाई के पास नाम मात्र बोर्डो मिश्रण छिड़कना उपयुक्त माना जाता है. जिन बगीचों की सेहत स्वस्थ है, उनकी जरूरत के मुताबिक छंटाई करें. पत्तों के गिरने के बाद उन्हें इकट्ठा करके जला देना चाहिए.
खरपतवार प्रबंधन/ नियंत्रण (Weed management):
साल में दो से चार बार अनार के पौधे की गोलाकार भाग में खुदाई की जाए, तो इन्हें खरपतवार से बचाया जा सकता है. इन पौधों को कीड़े ना लगे इसीलिए इन पर कीटनाशक का छिड़काव करना ना भूले. पौधों के आसपास अगर सही तरीके से सफाई रखी जाए तो भी काफी हद तक पौधों की सुरक्षा की जा सकती है.
अनार फल की तुड़ाई (Pomegranate fruit harvesting):
4 से 5 महीनों के अंतराल में अनार में फूल एक फल का रूप लेता है. जब अनार पक जाता है, तो उसके छिलके का रंग भी अलग नजर आता है. अनार जब ढंग से पक जाए तब उसे बागवानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बड़ी कैंची से काटकर तोड़ना चाहिए.
उपज (Fruit production):
आप अनार के पौधों के बीच दूरी कम रखने के साथ-साथ पेड़ का अगर सही तरीकों से ध्यान रखते हैं तो उपज 80 किलो (4800 क्विंटल) तक हो सकती है.
भंड़ारण (Storage):
अनार को शीत गृह (फ्रिज) में 5 डिग्री सेल्सियस वाले तापमान में रखा (भंडारित) किया जा सकता है.
अनार की खेती के लिए लागत (Investment/ cost):
अनार की खेती करने के लिए 1 एकड़ जमीन पर डेढ़ लाख रुपए तक की लागत लग सकती है. इस फल से आप लागत से कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा कर अपनी जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं.
अनार से मिलने वाला मुनाफा (Profits you can get from Pomegranate Farming):
अनार के विकसित पौधों का सबसे बड़ा मुनाफा यह है कि इससे 25 से 30 सालों तक 60 से 80 फल प्रति वर्ष मिलते हैं. अनार के पौधों से भरा हुआ एक हेक्टेयर आपको 8 से 10 लाख रुपए हर साल कमाएं जा सकते हैं. अगर आप अनार की खेती के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं तो इनकी पैदावार 50% बढ़ जाती है और नुकसानों में बड़ी गिरावट आती है.
बीज/पौध कहां मिलेगा (Where can you find the seeds):
अनार की खेती शुरू करने के लिए आप किसी भी दूसरे किसान से बीज या पौध ले सकते हैं. आप इन्हें खुद भी उगा सकते हैं. अगर एक प्रसिद्ध स्थान की बात करें जहां अनार के बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं वह है महात्मा फूले कृषि विद्यापीठ, राहुरी. आप किसी भी प्रकार के बीच यहां से ले सकते हैं. इसके अलावा अनार की बागवानी से संबंधित तकनीकी जानकारी के लिए श्रीमान राजेंद्र सीताराम वाले से संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं. मोबाइल नंबर -79723 09514