गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है, जिसकी फसल को विषम परिस्थितियां बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती है. इस वजह से गन्ना की खेती अपने आप में सुरक्षित व लाभकारी खेती होती है. अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं.
ऐसे में आज हम किसान भाईयों के लिए गन्ने की खेती (Sugarcane Farming) संबंधी एक विशेष जानकारी लेकर आए हैं, जिससे किसान खेत की उर्वरता शक्ति बढ़ा सकते हैं. दरअसल, गन्ने की पत्तियों को खेत में ही जलाने का पुराना चलन है, लेकिन इससे फसल का उत्पादन कम होता है, साथ ही जमीन की उर्वरता शक्ति भी घट जाती है. ऐसे में एनजीटी द्वारा निर्देश के बाद गत वर्ष से खेतों में फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगया दिया गया है. मगर किसान नई वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर गन्ने की सूखी पत्तियों का इस्तेमाल जैविक खाद बनाने में कर सकते हैं.
गन्ने की सूखी पत्तियों से बनाएं जैविक खाद (Make organic fertilizer from dry leaves of sugarcane)
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में गन्ना विभाग की तरफ से गन्ने की फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. इसमें पीलीभीत का नाम भी शामिल है. यहां किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने की बजाय इसका इस्तेमाल जैविक खाद बनाने में करें. इसके लिए उन्हें गन्ने की सूखी पत्तियों की ट्रेस मल्चिंग विधि से जैविक खाद बनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
ऐसे बनेगी ट्रेस मल्चिंग विधि से खाद (This is how compost will be made from trace mulching method)
गन्ने काटने के बाद ट्रेस मल्चर मशीन और रैटून मैनेजमेंट डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा. इन मशीनों की मदद से खेत में पड़ी गन्ने की सूखी पत्तियों को टुकड़ों में काटा जाएगा. इसके बाद कर भूमि में मिला दिया जाएगा, जो बहुत जल्दी सड़कर खाद के रूप में बदल जाएगी. इस विधि को ट्रेस मल्चिंग कहा जाता है.
ऐसे बढ़ेगी भूमि की उर्वरा शक्ति (In this way the fertility of the land will increase)
गन्ने की सूखी पत्तियों की जैविक खाद भूमि में मिलाने से आर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, जिससे उसकी उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है और फसल का उत्पादन अच्छा मिलता है. सबसे खास बात यह है कि ट्रेस मल्चिंग विधि से फसल में खरपतवार नहीं लगते हैं, साथ ही पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है.
फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना (Establishment of Farm Machinery Bank)
गन्ना विभाग की तरफ से जिले की 4 सहकारी गन्ना और 2 चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है. इसके तहत हर गन्ना समिति को 2 ट्रेस मल्चर मशीनें और 1 रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (आरएमडी) उपलब्ध कराए गए हैं. इसी तरह से मेरठ की 6 गन्ना समितियों में कुल 12 ट्रेस मल्चर मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं. इसके अलावा 6 रैटून मैनेजमेंट डिवाइस उपलब्ध कराए गए हैं.
प्रति घंटा किराए पर मिलेंगी मशीनें (Machines will be available on hourly rent)
जिले में करीब 1 लाख से अधिक किसान गन्ना की खेती करते हैं. इसमें अधिकतर लघु और सीमांत किसान शामिल हैं. इन सभी किसानों के लिए कृषि उपकरण खरीद पाना असंभव है, क्योंकि यह ट्रेस मल्चर मशीनें काफी महंगी आती हैं, जिनकी कीमत ढाई लाख रुपए से भी अधिक होती है. ऐसे में गन्ना विभाग ने समितियों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित कराई है. इससे किसानों को यह मशीनें किराए पर देने की व्यवस्था मिल पाएगी. बता दें कि हर कृषि उपकरण का प्रति घंटा किराया भी तय किया गया है.