RFOI Award 2025: UP के सफल किसान मनोहर सिंह चौहान को मिला RFOI अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI - First Runner-Up: सफल किसान लेखराम यादव को MFOI Awards 2025 में मिला RFOI-फर्स्ट रनर-अप अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI Award 2025: केरल के मैथ्यूकुट्टी टॉम को मिला RFOI Second Runner-Up Award, 18.62 करोड़ की सालाना आय से रचा इतिहास! Success Story: आलू की खेती में बढ़ी उपज और सुधरी मिट्टी, किसानों की पहली पसंद बना जायडेक्स का जैविक समाधान किसानों के लिए साकाटा सीड्स की उन्नत किस्में बनीं कमाई का नया पार्टनर, फसल हुई सुरक्षित और लाभ में भी हुआ इजाफा! Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 19 April, 2023 1:57 PM IST
Dhaincha farming

भारत में फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है. क्योंकि इससे फसलों में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है जो पौधों के विकास के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन यूरिया जैव उर्वरक नहीं है, जिसके कारण प्राकृतिक और जैविक खेती का मकसद पूरा नहीं हो पाता. हालांकि अब सामाधान के रूप में किसान ढैंचा की खेती पर जोर दे रहे हैं क्योंकि ढैंचा एक हरी खाद वाली फसल है जो नाइट्रोजन का बेहतरीन स्रोत है. ढैंचा के इस्तेमाल के बाद खेत में अलग से यूरिया की जरूरत नहीं पड़ती और खरपतवार जैसी समस्याएं भी जड़ से खत्म हो जाती हैं. आइये जानते हैं ढैंचा की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी

उपयुक्त जलवायु- ढैंचा की अच्छी पैदावार के लिए इसे खरीफ की फसल के साथ उगाते हैं. पौधों पर गर्म और ठंडी जलवायु का कोई खास असर नहीं होता लेकिन पौधों को सामान्य बारिश की जरूरत होती है. ढैंचा के पौधों के लिए सामान्य तापमान उपयुक्त माना जाता है. ठंडियों में अधिक समय तक तापमान 8 डिग्री से कम रहता है तो पैदावार में फर्क पड़ सकता है. 

मिट्टी का चयन- ढैंचा के पौधों के लिए काली चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है. हरी खाद का उत्पादन लेने के लिए किसी भी तरह की भूमि में उगा सकते हैं.  सामान्य पीएच मान और जलभराव वाली भूमि में भी पौधे अच्छे से विकास कर लेते हैं. 

खेत की तैयारी- सबसे पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले उपकरणों से करना चाहिए, गहरी जुताई के बाद खेत को खुला छोड़ दें फिर प्रति एकड़ के हिसाब से 10 गाड़ी पुरानी सड़ी गोबर की खाद डालें और अच्छे से मिट्टी में मिला दें. अब खेत में पलेव कर दें और जब खेत की भूमि सूख जाए तो रासायनिक खाद का छिड़काव कर रोटावेटर चलवा देना चाहिए. जिसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर देते हैं.

फसल लगाने का समय-  हरी खाद की फसल लेने के लिए ढैंचा के बीजों को अप्रैल में लगाते हैं और पैदावार लेने के लिए बीजों को खरीफ की फसल के समय बारिश में लगाते हैं. एक एकड़ के खेत में करीब 10 से  15 किलो बीज की जरूरत होती है.

रोपाई- बीजों को समतल खेत में ड्रिल मशीन से लगाते हैं. इन्हें सरसों की तरह ही पंक्तियों में लगाया जाता है. पंक्ति से पंक्ति के बीच एक फ़ीट की दूरी रखते हैं और बीजों को 10 सेमी की दूरी के आसपास लगाते हैं. छोटी भूमि में ढैंचा के बीजों की रोपाई छिड़काव तरीके से करना चाहिए. इसके लिए बीजों को समतल खेत में छिड़कते हैं और फिर कल्टीवेटर से दो हल्की जुताई करते हैं दोनों ही विधियों में बीजों को 3 से 4 सेमी की गहराई में लगाएं.

ये भी पढ़ें: Dhan Ki Kheti से पहले खेत में लगाना है ढैंचा, बीज पर मिल रही 50% सब्सिडी

सिंचाई- पौधों को सामान्य सिंचाई की जरूरत होती है. पैदावार तैयार होने तक पौधों की 4-5 बार सिंचाई करें, क्योंकि ढैंचा के बीजों को नम भूमि में लगाते हैं  इसलिए पहली सिंचाई करीब 20 दिन बाद करे फिर एक महीने के अंतराल में दूसरी और तीसरी बार सिंचाई करना चाहिए. 

उपज और कमाई- ढैंचा की फसल करीब 4-5 महीने में कटाई करने के लिए तैयार हो जाती है, जब पौधों का रंग सुनहरा पीला दिखे तब फलियों की शाखाओं को काट लें और शेष बचे भाग को ईंधन के रूप में उपयोग करें. इसकी फलियों को धूप में सुखाकर मशीन की सहायता से बीजों को निकालते हैं. जिसके बाद उन्हें बाजार में बेचते हैं. एक एकड़ के खेत से करीब 25 टन की पैदावार मिलती है. बाजार में भाव 40-42 रूपये प्रति किलो होता है ऐसे में किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.

English Summary: Dhaincha farming earns a bang, it is a boon for barren land
Published on: 19 April 2023, 02:01 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now