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Updated on: 7 October, 2019 6:09 PM IST
Brinjal Farming

बैंगन एक महत्वपूर्ण फसल है. जोकि भारत में ही पैदा होती है. बैंगन आज आलू के बाद दूसरी सबसे खपत वाली फसल होती है. बैंगन का पौधा दो से तीन फुट तक ऊंचा खड़ा रहता है. बैंगन भारत का देशज है. प्राचीन काल से भारत में इसकी खेती होती आ रही है, इसको ऊंचे भागों मे छोड़कर पूरे ही भारत में उगाया जा सकता है. बैंगन महीन, समृद्ध, भली भांति जलोत्सारित, बुलई दोमट मिट्टी में अच्छा उपजता है. बैंगन में विटामिन, प्रोटीन एवं औषधीय गुण भी मौजूद होते है. बैंगन की फसल में कई प्रकार की बीमारियों की संभावना होती है, जिससे काफी ज्यादा नुकसान होता है. अतः अधिक व गुणकारी पैदावार के लिए बैंगन की बीमारियों के लक्षण और रोकथाम है. तो आइए जानते है कि बैंगन के अंदर कौन से रोग होते है उस स्थान पर पलन को लगाते है.

जड़गाठ रोग

इस रोग से जड़ों की गांठ वाले सूत्रकृमि से ग्रस्त पौधे पीले पड़ जाते है. पौधों की जड़ों में गांठे बन जाती है या वह फूल जाती है. पौधों की बढवार रूक जाती है.

रोकथाम - मई और जून में खेत की दो से तीन गहरी जुताईयां करने से सूत्रकृमियों की संख्या बहुत कम हो जाती है.

छोटी पत्ती व मौजेक रोग

इस रोग में पौधा पूरी तरह से बौना रह जाता है और पत्ते छटे और काफी पीले भी जाते है. इसमें फल बहुत ही कम मात्रा में लग जाता है.

रोकथाम

इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रांरभिक अवस्था में रोगी पौधे निकाल कर नष्ट कर दें. पौधे के रोपण से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे तक ट्रेट्रासिकिलन के घोल में 500 मिग्रा प्रति लीटर पानी में डुबोएं. नर्सरी और खेत में तेला एवं सफेद मक्खी के बचाव के लिए 400 किमी मैलाथियान ईसी को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 15 दिन के अंतराल पर जरूर छिड़के.

याद रखे इन सभी की मात्रा काफी नाप कर ही देनी चाहिए अन्यथा पौधों पर भी प्रभाव पड़ेगा.

English Summary: Damage to brinjal reaches these pests, what are the methods of prevention
Published on: 07 October 2019, 06:13 PM IST

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