सरकार अपनी तरफ से खेती को मुनाफे की धंधा बनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. वहीं किसान भी अपनी ओर से प्रयासरत है. ऐसे ही एक किसान ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने गाँव में खस की खेती करना शुरू किया, जिसने इस गाँव की तस्वीर ही बदल दी. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर के बंदरा गाँव के लोग आज खस की खेती से जबरदस्त कमाई कर रहे हैं.
एक किसान की पहल
दरअसल, बंदरा के किसान पहले पारम्परिक खेती ही किया करते थे. लेकिन यह फसलें कभी मौसम के भेंट चढ़ जाती तो कभी नीलगाय पूरी तरह से बर्बाद कर देती. तभी गांव के किसान रत्नेश ठाकुर को खस की खेती की जानकारी कहीं से मिली. वे साल 2011 में कन्नौज से इसके पौधे लाए और अपनी कुछ ज़मीन में लगाए. इससे रत्नेश को अच्छा मुनाफा हुआ.
लिहाज़ा उन्होंने अपनी 30 बीघा ज़मीन में ही खस की खेती करना शुरू कर दिया. इससे गाँव के अन्य किसान भी प्रेरित हुए. इसके बाद कई किसानों ने खस की खेती करना शुरू कर दिया. आज इस गाँव में खस की खेती का रकबा 50 एकड़ के लगभग है. यह फसल मार्च अप्रैल में आ जाती है.
कितना मुनाफा मिलता है
एक एकड़ ज़मीन में खस की खेती के लिए 60 से 70 हज़ार रूपये का खर्च आता है. वहीं इसकी फसल से करीब 10-12 लीटर तेल निकलता है. रत्नेश का कहना है कि लॉकडाउन से पहले इसके तेल से 20-25 रुपये प्रति लीटर मिलते थे लेकिन अब 14 से 16 हज़ार मिलते हैं. इसकी सप्लाय मुंबई, दिल्ली समेत अन्य जगहों पर होती है. इससे एक एकड़ से भी अच्छी कमाई हो जाती है. खस के तेल का उपयोग कई कंपनियां आयुर्वेदिक और यूनानी दवा और सेंट बनाने के लिए करती है.
शिक्षक ने छोड़ी नौकरी
गांव के संजय कुमार पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे और उन्हें 1500 सौ रुपये महीना मिलता है. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ खस की शुरू की. इसी तरह नसीर अहमद मजदूरी करते थे आज वे लीज पर 20 बीघा ज़मीन में खेती कर रहे हैं. कृषि अफसर अवधेश कुमार का कहना हैं कि यह मुनाफे के हिसाब से अच्छी खेती है और इसमें ज्यादा देखरेख की जरुरत भी नहीं पड़ती है.