पोषक तत्वों से भरपूर केला एक सदाबहार फल है, जो हमारे देश में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. औषधीय गुणों से भूरपूर केले में विटामिन और कार्बोहाइड्रेट जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. भारत के विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध प्रदेश, गुजरात, असम और मध्य प्रदेश में केले की खेती बड़े पैमाने पर होती है. केले की रोपाई का उचित समय (जून-जुलाई ) आ गया है ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि रोपाई से पहले खेत की तैयारी कैसे करें. तो आइए जानते हैं केले की खेती की पूरी जानकारी-
केले की खेती के लिए जलवायु (Climate for Banana Cultivation)
केले की खेती के लिए उष्ण और आर्द्र जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है, वहां केले की खेती अच्छी होती है. जहां तक मिट्टी की बात करें, तो इसके लिए मटियार दोमट और जीवांशयुक्त मिट्टी अच्छी होती है. वहीं भूमि में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
केले की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Banana Cultivation)
सबसे पहले मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए समतल खेत में 4 से 5 गहरी जुताई करना चाहिए. जहां तक केले के पौधों के रोपाई की बात कि जाए तो इन्हें समतल खेत में सीधी पंक्तियों में लगाया जाता है. इसके लिए पंक्तियों में डेढ़ मीटर लंबे, डेढ़ मीटर चौड़े और डेढ़ मीटर गहरे गड्ढें की खुदाई की जाती है. जिन्हें पौधे की रोपाई के पहले कुछ दिनों के लिए धूप में खुला छोड़ दें.
केले की खेती के लिए प्रमुख किस्में (Major Varieties for Banana Cultivation)
देसी किस्में-केले की प्रमुख देसी किस्में नेंद्रन, रस्थली, पूवन, करपूरावली आदि है.
हाइब्रिड किस्में-वहीं अधिक उत्पादन के लिए केले की हाइब्रिड किस्में एच-1, सीओ-1 और एफएचआईए आदि है.
केले की खेती के लिए पौधरोपण (Plantation for Banana Cultivation)
केले का रोपण करने के लिए 3 माह के पूर्ण विकसित घनकंद का उपयोग किया जाता है, जिनमें तलवारनुमा पुतियां आ चुकी हों. हालांकि पौधों की रोपाई पुतियों की पत्तियों को काटकर की जाती है. इसके लिए खोदे गए गड्ढों में 250 ग्राम नीम केक, 20 ग्राम कार्बोफ्युरॉन तथा 10 किलो गोबर खाद का प्रयोग करें.
केले की खेती के लिए वैज्ञानिक सलाह (Scientific advice for Banana Cultivation)
1. केले की अधिक पैदावार के लिए ऐसी पुतियों का चयन करें, जिनमें 4 से 6 पत्तियां हो एवं उनकी लंबाई 6 से 9 इंच की हो.
2. केले के पौधों की रोपाई 20 जुलाई तक करना उचित समय माना जाता है. यदि इसके बाद पौधों की रोपाई की जाती है, तो इसका प्रभाव पैदावार पर पड़ता है.
केले की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Banana Cultivation)
जुलाई में पौधों की रोपाई के बाद बारिश के चलते सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन सर्दी और गर्मी के दिनों में केले में सिंचाई करना पड़ती है. इसके लिए 70 से 75 सिंचाई की आवश्यकता होती है. जहां सर्दियों में 7 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. वहीं गर्मी के दिनों में पौधों में 4 से 5 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए. केले की खेती के लिए कृषि वैज्ञानिक ड्रिप सिंचाई की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे एक तरफ तो पानी की बचत होती है वहीं दूसरी तरफ पौधों की बढ़वार अच्छी होती है. साथ ही विभिन्न कीट और रोगों से बचाव होता है.
केले की खेती में कीट प्रबंधन (Pest Management in Banana Cultivation)
पत्ती बीटल और तना बीटल समेत कई ऐसे रोग हैं जो केले की फसल को प्रभावित करते हैं. इसके लिए अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव समय-समय पर करते रहना चाहिए.
केले की खेती के लिए तुड़ाई (Harvesting for Banana Cultivation)
केले की पौधों की रोपाई के 11 से 12 महीने बाद ही तुड़ाई का उचित समय होता है. हालांकि, केला उत्पादन करने वाले किसानों को बाजार की मांग और मंडी दूरी को ध्यान में रखते हुए तुड़ाई करना चाहिए. इस दौरान 70 से 75 प्रतिशत पके फलों की तुड़ाई करना चाहिए, ताकि मंडी तक पहुंचते-पहुंचते फल खराब न हो.
केले की खेती से मुनाफा (Profit from Banana Cultivation)
केले की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. कहा जाता है कि यदि अच्छी पैदावार हो जाती है तो किसानों को अच्छी आमदानी हो जाती है. जहां तक कमाई की बात करें, तो एक एकड़ में लगभग 1250 पौधे 6 फीट की दूरी पर लगते हैं. प्रति एकड़ केले की खेती में डेढ़ से पौने दो लाख रूपये का खर्च आता है. वहीं एकड़ से तीन से साढ़े तीन लाख रूपये की कमाई हो जाती है. इस लिहाज से खर्च काटकर प्रति एकड़ से सालभर में डेढ़ से दो लाख रूपये का मुनाफा मिल जाता है.