हरे धनिया का उपयोग दाल-सब्जियों के साथ अनेक पकवानों में होता है. इससे किसी भी पकवान का स्वाद दोगुना हो जाता है. वहीं सूखे धनिया का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है. धनिया की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अक्टूबर का महीना धनिये की खेती के लिए उचित है. देश में धनिये की खेती मध्यप्रदेश, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक समेत कई राज्यों में होती है. आइये जानते हैं धनिये की खेती करने का तरीका-
जलवायु और मिट्टी
धनिये की उत्तम खेती मटियार, दोमट और कछारी मिट्टी में होती है. इस मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जीवांश होता है. वहीं जल धारण की बेहतर क्षमता होती है. अच्छी पैदावार के लिए शुष्क और ठंडा मौसम अच्छा होता है. ध्यान रहे धनिये की खेती जिस खेत में की जाती है उसमें पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
उन्नत किस्में
धनिया की कुछ उत्तम किस्में इस प्रकार है -सिम्पो S-33, पंत धनिया-1, मोरोक्कन, गुजरात धनिया, गुजरात धनिया-2, ग्वालियर न-5365, पंत हरीतिमा, जवाहर धनिया-1, सीएस-6, आरसीआर-4, सिंधु और यूडी-20 आदि.
भूमि की तैयारी
सबसे पहले की खेत की पलेवा लगाकर खेत तैयार कर लें. इससे धनिया की पैदावार में भी फायदा मिलता है. भूमि को तैयार करने के बाद और जुताई से पहले 5-10 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर की खाद मिलाएं. इसके बाद क्यारियां बना लें जिसके बीच में 5-5 मीटर की दूरी रखें. जिसमें अच्छी निराई-गुड़ाई और सिंचाई करें. धनिया की खेती अक्टूबर और नवंबर महीने में करना उत्तम है. बुवाई के समय ध्यान रहे मौसम में ठंडक होना चाहिए क्योंकि अधिक तापमान होने पर अंकुरण ठीक से नहीं होता है. जिन क्षेत्रों में पाला अधिक पड़ता है उस क्षेत्र के किसानों की धनिये की खेती नहीं करना चाहिए. धनिये की फसल को पाला अधिक नुकसान पहुंचाता है.
बीजोपचार जरुर करें
बुवाई से पहले धनिये का बीजोपचार अनुशंसित दवाई से उपचारित कर लेना चाहिए. एक हेक्टेयर में लगभग 15 से 20 किलोग्राम बीज की जरुरत पड़ती है. वहीं बुवाई से पहले धनिये के दो भागों में तोड़ लेना चाहिए. इस दौरान ध्यान रखें बीज का अंकुरण भाग नष्ट न हो. बीज के अच्छे अंकुरण के लिए धनिये के बीज को 12 से 24 घंटे तक भिगोकर रखें. सिंचित भूमि में बीजों को 1.5 से 2 सेमी और असिंचित भूमि में 6 से 7 सेमी गहराई पर बोना चाहिए.
निराई-गुड़ाई और सिंचाई
धनिये का पौधा शुरुआत में धीरे-धीरे बढ़ता है. अच्छी पैदावार के लिए धनिये की खेती की अच्छे से निराई-गुड़ाई करना चाहिए. आमतौर पर धनिये की दो बार निराई-गुड़ाई सही होती है. 30 से 35 दिन बाद इसकी पहली निराई-गुड़ाई करना चाहिए. वहीं 60 दिन बा दूसरी निराई-गुड़ाई. खरपतवार के नष्ट होने से इसकी पैदावार में भी इजाफा होता है. वहीं अच्छी फसल के लिए के समय समय पर सिंचाई जरुरी होती है.