Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 9 October, 2020 4:54 PM IST
Crop Protection

प्याज और लहसुन की फसल में लगने वाली एक आम बीमारी है थ्रिप्स रोग. जो बार-बार हो जाती है और किसानों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाती है. सामान्यतः यह रोग थ्रिप्स नामक कीट से होता है, जो काफी महीन और सूक्ष्म होता है. इस वजह से यह सामान्यतः नग्न आंखों से नहीं दिखाई देता है. हालांकि कभी-कभी इस कीट को नग्न आंखों से देखा जा सकता है. तो आइए जानते हैं इस रोग और बचाव के बारे में-

नर और मादा

प्याज और लहसुन की फसल में नर थ्रिप्स और मादा थ्रिप्स दोनों नुकसान पहुंचाते हैं. इसका नर कीट हल्के भूरे या फिर काले रंग का होता है. जबकि मादा हल्के पीले रंग की होती है. यह प्याज और लहसुन के नाजुक हिस्से पर प्रहार करता है. इस कीट के प्रभाव से पौधा छोटा रह जाता है और ठीक तरह से ग्रोथ नहीं कर पाता है. किसानों का कहना होता है कि उनके पौधे में जलेबी बनने की समस्या आ गई है. यह समस्या इसी कीट के कारण होती है.

कैसे पहुंचाता है नुकसान

ये कीड़ा प्याज या लहसुन की पत्तियों को सबसे पहले अपने मुंह से खरेचता है. इस नाजुक भाग को खुरचने के बाद ये उसके रस को चुसने का काम करता है. इस तरह स्क्रैच और लैपिंग करके ये पौधे को नुकसान पहुंचाता है. जिससे पौधे का रस बाहर आने लगता और पौधा धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है. पौधे के उपर से टिप बर्निंग की शिकायत आने लगती है. दरअसल, पौधे की पत्तियों को पूरा रस निकल जाता है और वह पीला पड़ने लगता है. इस तरह पौधा धीरे-धीरे सुखने लगता है. जब यह समस्या अधिक बढ़ जाती है तो जलेबी जैसी शिकायत आने लगती है. यानि कि पत्तियां जलेबी का आकार लेने लगती है.

कैसे करें निदान

यह कीड़ा प्याज, लहसुन के अलावा मिर्च और टमाटर की फसलों में भी लग जाता है. इस कीट से फसल को बचाना कई बार मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह कीट बार-बार आता है. इसलिए किसानों को नियमित अंतराल पर दवाईयों का इस्तेमाल करना चाहिए. ताकि इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकें.

रोकथाम के उपाय

इस कीट से रोकथाम के लिए लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 2.5प्रतिशत ई.सी. का उपयोग करना चाहिए. एक एकड़ में यह दवाई 400 एमएल लगती है. यदि लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी. का इस्तेमाल कर रहे हैं तो एक एकड़ में 250 एमएल का उपयोग करें. वहीं एक एकड़ के लिए लैम्ब्डा साइहेलाथ्रिन 4.9 प्रतिशत  सीएस महज 200 एमएल ही लगती है. इसी तरह प्रारंभिक अवस्था में एसीफेट 75 प्रतिशत एसपी का इस्तेमाल आप कर सकते हैं. 300 से 400 ग्राम प्रति एकड़ इसका प्रयोग किया जाता है. एक संयुक्त दवाई एसीफेट 50 प्रतिशत और इमिडाक्लोप्रिड प्रति एकड़ 300 ग्राम इस्तेमाल कर सकते हैं. फिप्रोनिल 5 प्रतिशत ई.सी. प्रति एकड़ 300 से 400 एमएल कर सकते हैं. फिप्रोनिल 40 प्रतिशत और इमिडा क्लोप्रिड 40 प्रतिशत को संयुक्त रूप से प्रति एकड़ के लिए 40 ग्राम उपयोग कर सकते हैं. ध्यान रहे कोई भी दवाई एक दो बार ज्यादा बार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.   

English Summary: Control thrips in onion and garlic crop
Published on: 09 October 2020, 05:00 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now