जायटॉनिक गोधन: लाभकारी जैविक खेती और पशुपालन के लिए आधुनिक समाधान Success Story: प्राकृतिक खेती ने बदली किस्मत, किसान से एग्रीप्रेन्योर बनीं नीतुबेन पटेल, यहां पढ़ें उनकी सफलता की कहानी आधुनिक खेती का स्मार्ट विकल्प है Yodha Plus Hybrid Bajra: कम समय और लागत में मिलता है ज्यादा मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 12 September, 2020 12:36 PM IST
पशुओं के लिए मक्खन घास

सर्दियों का मौसम आने वाला है. इसलिए पशुओं के खाने पर पशुपालकों को खासा ध्यान रखना चाहिए. उन्हें अपने पशुओं को ऐसी चीजों का सेवन करवाना चाहिए. जिससे पशु स्वस्थ और तंदरुस्त रहें क्योंकि सर्दियों में पशु को अगर संतुलित और सही आहार नहीं मिलता है तो वह बहुत जल्द बीमारी के शिकार होने लगते हैं जिस वजह से उनके दूध के उत्पादन में भी काफी हद तक कमी आने लग जाती है क्योंकि ज्यादातर पशुपालक सर्दियों में अपने पशुओं को हरी बरसीम घास खिलाते हैं. जोकि ज्यादा पौष्टिक नहीं होती और साथ ही दूध उत्पादन में भी कमी लाती है. तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख में पशुओं के सेवन के लिए एक ऐसी खास घास के बारे में बताएंगे जो आपने स्वाद के साथ-साथ पौष्टिक भी होगी और दूध उत्पादन में भी वृद्धि करेगी.

क्यों खिलानी चाहिए मक्खन घास? (Why should we feed butter grass?)

पशुपालको को सर्दियों में अपने पशुओं को हरी बरसीम खिलने के बजाय 'मक्खन घास' (Butter Grass) खिलानी चाहिए. क्योंकि यह पशुओं के लिए काफी ज्यादा पौष्टिक और फायदेमंद होती है. इसके सेवन से पशुओं के दूध उत्पादन में 25 से 30 फीसद तक वृद्धि होती है.

कीटों को रखती है दूर (Keeps insects away)

हरी बरसीम घास में बहुत जल्दी कीट (कीड़ा) लगता है, पर मक्खन घास में कीट लगने की समस्या नहीं होती.

कब उगाई जाती है ये घास? (When is this grass grown?)

यह घास विशेष तौर पर सर्दियों में ही उगाई जाती है. इस घास के बीजों को 1 हेक्टेयर प्रति किलो की दर से बोया जाता है. इसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर माह में की जाती है. इसकी बुवाई यदि अक्टूबर माह में की जाए तो आप इसकी कटाई आराम से 35 से 40 दिनों के अंतराल कर सकते हैं. इसकी दूसरी कटाई की बात करें तो, वे 20 से 25 दिनों के अंदर आराम से की जा सकती है. 'मक्खन घास' की सालभर में 5 से 6 बार आसानी से कटाई की जा सकती है.

इस घास की शुरुआत कहां से हुई? (Where did this grass originate?)

इसकी सबसे पहले शुरुआत पंजाब, हरियाणा राज्य में हुई थी. सबसे पहले यह 2 हज़ार किलो से शुरू हुई और आज इसका पूरे पंजाब में 100 मीट्रिक टन से भी ज्यादा बीज लगाया जाता है. इसकी सबसे ज्यादा बिक्री पंजाब, हरियाणा में की जाती है.

कितनी है इसके बीजों की कीमत?(How much is the cost of its seeds?)

अगर हम मक्खन घास के बीज की कीमत की बात करें, तो इसके बीज बाजार में 400 रुपए प्रति किलो तक बिकते हैं.

ये ख़बर भी पढ़े: ग्रीन ग्रास से जैविक खाद बनाकर उगाएं फसल, बढ़ेगा उत्पादन और गुणवत्ता

कैसे होती है इसकी खेती? (How is it cultivated?)

इसकी खेती आप हर प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं. जिसका पीएच लेवल (PH Level) 6.5 से 7 तक हो.

इसके अलावा यह फसल 10 से 15 दिन में अंकुरित होना शुरू हो जाती है. इसे आप बरसीम के साथ भी उगा सकते हैं. इसके बीज अंकुरण प्रक्रिया में 2 से 3 सप्ताह में एक बार सिंचाई की जरूरत होती है.

English Summary: Consumption of Makkhan ghas will increase the milk production of animals by 25 to 30 percent!
Published on: 12 September 2020, 12:42 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now