दुनिया के 100 से अधिक देशों में आलू का उत्पादन होता है, इसलिए विश्व में चावल, गेहूं और मक्का के बाद चौथी सबसे बड़ी खाद्य फसल आलू है. कहा जाता है कि सबसे पहले आलू की खेती (Potato Cultivation) दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के एंडीज में 8 हजार साल पहले शुरू हुई थीं.
मौजूदा समय में देश के लगभग 23 राज्यों में आलू की खेती (Potato Cultivation) की जाती है. इसमें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात प्रमुख हैं. उत्तर प्रदेश ने आलू उत्पादन में पहला स्थान हासिल किया है, तो आइए आपको आलू की फसल का खुदाई प्रबंधन और भंडारण कैसे करते हैं, इसकी पूरी जानकारी विस्तार देते हैं.
आलू की फसल का खुदाई प्रबंधन (Potato Crop Excavation Management)
आलू की खुदाई नवंबर से मार्च तक की जाती है, इसकी खुदाई का सही प्रबंधन करना ज़रूरी है, ताकि फसल को कम से कम नुकसान पहुंचे. इस दौरान आलू कंद को कई बार ऊपरी हिस्से पर निशान लग जाता है, जिससे भंडारण के समय आलू के खराब होने की संभावना होती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब मौसम अधिक गर्म या ठंड हो, तब फसल की खुदाई नहीं करना चाहिए.
आलू की खुदाई के दौरान ध्यान रखने वाली बातें (Things to Keep in Mind During Potato Digging)
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आलू की खुदाई तब करना चाहिए, जब फसल 80 से 90 दिनों के बाद परिपक्व हो जाए, क्योंकि उस समय आलू का उपरी हिस्सा पीला पड़ जाता है.
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सुखे मौसम में ही आलू की खुदाई करें.
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खुदाई के 2 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देना चाहिए.
आलू के कंदों को उखाड़ते समय ध्यान रखने वाली बातें (Things to Keep in Mind While Potato Uprooting Tubers)
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कंद का ऊपरी हिस्सा नहीं कटना चाहिए, ताकि भंडारण में परेशानी न आए.
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खुदाई के 10 से 15 दिनों बाद ही आलू को खेत से बाहर निकालना चाहिए.
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ट्रैक्टर डिगर, कुदाल या खुरपी से खुदाई करें.
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कटे हुए आलू को छटाई के दौरान हटा दें
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भंडारण के दौरान कटे हुए आलू को अलग सुखाएं.
आलू की पैकेजिंग (Potato Packaging)
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खुदाई के बाद कुछ दिन के लिए आलू को पुआल या घास से ढक देना चाहिए.
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इसके बाद कटे या खराब कंद को हटाकर पैकेजिंग करना चाहिए.
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आलू को भरने के लिए जूट बैग या फिर नेटलोन बैग्स का उपयोग करें.
आलू का भंडारण (Potato Storage)
सभी किसान भाई जानते होंगे कि आलू में लगभग 74 प्रतिशत पानी पाया जाता है, इसलिए इसका भंडारण काफी चुनौतीपूर्ण होता है. आलू का भंडारण 3 से 5 सप्ताह के लिए सही रहता है, लेकिन इससे अधिक समय के भंडारण से आलू की गुणवत्ता घटने लगती है. बता दें, कि आलू को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज का उपयोग किया जाता है, जिसमें आलू को 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है.
आलू के लंबे भंडारण के लिए सीआईपीसी स्प्रे का करें उपयोग (Use CIPC Spray for Long Storage of Potatoes)
सालभर आलू का उपयोग किया जाता है. ऐसे में आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है. अगर आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखना है, तो इसके लिए 3 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आलू को भंडारित किया जाता है. बता दें कि कम तापमान पर लंबे समय तक भंडारित करने से आलू में मौजूद स्टार्च ग्लूकोज में बदलने लगता है. इस वजह से आलू मीठा होने लगता है, तो वहीं 12 से 13 डिग्री पर आलू अंकुरित होने लगता है. मगर आलू पर सीआईपीसी केमिकल का स्प्रे किया जाए, तो आलू को मीठा और अंकुरित होने से बचा सकते हैं.
क्या है सीआईपीसी? (What is CIPC?)
सीआईपीसी यानी क्लोरप्रोफाम एक कार्बामेट है, जो कि आलू को अंकुरित होने से बचाता है. यह कोशिका विभाजन की प्रक्रिया को अवरुद्ध करता है. लगभग 1 टन आलू पर 40 मिलीलीटर सीआईपीसी की जरूरत पड़ती है.
कैसे करें सीआईपीसी स्प्रे का उपयोग (How to Use CIPC Spray)
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सबसे पहले आलू को कोल्ड स्टोरेज में 18.3 डिग्री सेल्सियस पर भंडारित करें.
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इसके बाद तापमान को 18.3 डिग्री से धीरे-धीरे 10 डिग्री सेल्सियस पर लाया जाता है.
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फिर आलू के भंडारण घर में फॉगिंग मशीन का उपयोग करके सीआईपीसी स्प्रे छिड़क दिया जाता है.
पहला छिड़काव- जब आलू में अंकुरण की पहली स्टेज होती है.
दूसरा छिड़काव- पहले छिड़काव के 60 दिनों के बाद दोबारा से छिड़काव करना चाहिए.
इसके बाद रेफ्रिजरेशन बंद कर देना चाहिए और लगभग सीआईपीसी के छिड़काव के 40 घंटों पहले आधे घंटे के लिए दरवाजों और खिड़कियों को खोल दें. ध्यान रहे कि उपचारित आलू में सिकुड़न पैदा न हो, इसके लिए भंडारण घर में 90 से 95 प्रतिशत नमी बनाएं.
आलू की ग्रेडिंग (Potato Grading)
जैसा कि सभी जानते हैं कि आलू को बेचने से पहले ग्रेडिंग करना बहुत ज़रूरी है. इसके बाद आलू की गुणवत्ता के मुताबिक, उसे अलग-अलग बैग में पैक करना चाहिए.