आज के बदलते युग में इंसान मेहनत, बल, लगन और दृढ़ निश्चय से क्या नहीं हासिल कर सकता ऐसा ही कुछ कर के दिखाया है एक छोटे से गांव दादरी के किसानों ने जहाँ दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई कर खेती में पसीना बहाने के बाद समान्य उत्पादन करने वाले किसान नयी तकनीक और मेहनत के बल पर आर्टीमीसीया की खेती से खुशहाल हो गये है.
3 महीने खाली पड़े रहने वाले खेतो में औषधिय फसल की खेती से सोना उगल रहा है. करीब 3 महीने में इतना ज्यादा उत्पादन देख जिले के किसान इसे अपनाने में रूचि लेने लगे है.लखनऊ से 75 किमी दक्षिण में बाराबंकी जिले के टांडपुर गांव के किसान राम सांवले शुक्ल बताते है कि उन्होंने 5 वर्ष पूर्व आर्टिमिसिया कि खेती शुरू कि थी. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें न तो ज्यादा खाद कि जरूरत और न ही ज्यादा सिंचाई कि, नयी किस्म से किसानों को और भी फायदा होगा.
आर्टिमिसिया की खेती के लिए (For cultivation of artemisia)
ग्राम बीज प्रति एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त होता है . इस औषधियां पौधे की खेती के लिए नवंबर माह के अंत में नर्सरी तैयार कर आप जनवरी से फरवरी के पहले सप्ताह तक रोपाई कर सकते हैं. इसकी फसल जून माह तक कट जाती है. इसकी एक एकड़ खेती में सिम ( संजीवनी ) की लगभग 35 क्विंटल तक पत्तिया निकलती जबकि सिम (आरोग्य ) में कुल 30 क्विंटल पत्तिया ही निकलती है. जलभराव वाली जगह में आर्टिमिसिया की खेती नहीं करनी चाहिए. गर्मी के मौसम में 10 से 15 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए लेकिन यह ध्यान देना चाहिए कि इसमें ज्यादा पानी न भर पाए.
डॉ.ऐ.के गुप्ता कहते है कि सिम (आरोग्य )के मुकाबले में सिम (संजीवनी) से ज्यादा आर्टिमिसिया निकलता है. जिससे 0.1 -1 फीसदी जबकि सिम (संजीवनी) में 1-2 फीसदी तक आर्टीमिसिनिन इससे कंपनियों को फायदा होगा, इसलिए आर्टिमिसिया कि खेती को ज्यादा बढ़ावा देंगे.आर्टिमिसिया कि खेती के लिए किसानों को सीमेप में पंजीकरण कराना पड़ता है.
सुल्तानपुर, जिले के जयसिंहपुर गांव के किसान दिलीप यादव आर्टिमिसिया की खेती करते है. दिलीप यादव कहते है, पिछले 2 वर्षो से आर्टिमिसिया की खेती करता हूँ, किसान मेले में आर्टिमिसिया की नयी किस्म सिम संजीवनी के बारे में पता चला, इस से किसानों को और अधिक मुनाफा होगा.
डॉ.गुप्ता आर्टिमिसिया से होने वाले मुनाफे के बारे में बताते है,"एक एकड़ में 35 कुंतल पत्तिया का उत्पादन कर सकते है, जिसकी की कीमत किसानों को एक लाख 15 हज़ार तक होती है, 4 माह में एक एकड़ में 25-30 हज़ार तक खर्च आता है और 70 से 80 हज़ार तक फायदा होता है.
इसकी खेती के लिए सबसे पहले किसानों को सीमैप में पंजीकरण करवाना होता है. पंजीकरण के बाद फार्मा कंपनी से अनुबंध के जरिये कंपनी ही किसानों से इसकी खेती करवाती है. कंपनी ही उन्हें बीज देती है और जब फसल तैयार हो जाती है तो आर्टिमिसिया की सुखी पत्तियों को भी किसानों से खरीदती है. जिस से किसान और कंपनी दोनों को मुनाफा होता है.
औषधीय पौधों की खेती पर इतने प्रतिशत सब्सिडी (So much subsidy on cultivation of medicinal plants)
औषधिय पौधों की खेती पर NAM योजना के तहत 140 औषधीय पौधों की खेती के लिए विशिष्ट पौधों की प्रजातियों की खेती लागत का 30%, 50% और 75% की दर से सब्सिडी प्रदान किया जाता है.