Pusa Corn Varieties in Hindi: कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मक्का की उन्नत और हाइब्रिड किस्में अब किसानों को अधिक उपज और बेहतर पोषण देने में मदद कर रही हैं. केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा अधिसूचित इन किस्मों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए मंजूरी दी गई है. इनमें से कुछ किस्में गुणवत्ता प्रोटीन युक्त हैं, तो कुछ में प्रोविटामिन-ए की भरपूर मात्रा मौजूद है.
आइए जानते हैं इन प्रमुख किस्मों की विशेषताएं:
1. पूसा एचएम 8 उन्नत (हाइब्रिड किस्म)
पूसा एचएम 8 उन्नत एक हाइब्रिड मक्का किस्म (Hybrid Maize Varieties) है, जिसे 25 अगस्त 2017 को जारी किया गया था. इसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है. यह किस्म खरीफ के मौसम में बोई जाती है.
मक्का की यह किस्म लगभग 95 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 62.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज 92.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. इस किस्म को MAS (Marker Assisted Selection) तकनीक से विकसित किया गया है. इसमें लाइसिन की मात्रा 1.5 से 2.0 प्रतिशत और ट्रिप्टोफैन की मात्रा 0.3 से 0.4 प्रतिशत होती है, जिससे यह गुणवत्ता युक्त प्रोटीन से भरपूर होती है.
2. पूसा सुपर स्वीट कॉर्न 1 (हाइब्रिड किस्म)
यह स्वीट कॉर्न किस्म 26 दिसंबर 2018 को अधिसूचित की गई थी (एस.ओ. 6318 (ई)). इसे भारत के लगभग सभी कृषि क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. यह खरीफ ऋतु की फसल है. इस किस्म की औसत उपज 75.3 से 101.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, जो क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकती है. यदि उचित देखभाल और कृषि तकनीक का पालन किया जाए तो इसकी संभावित उपज 105.1 से 126.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है.
फसल की परिपक्वता अवधि 74 से 81 दिन है. इस किस्म की खास बात यह है कि यह रिसेसिव श्रन्कन-2 जीन से युक्त होती है, जिससे इसकी मिठास अधिक होती है. इसका ब्रिक्स वैल्यू 15.9% तक होता है, जो इसकी गुणवत्ता को दर्शाता है.
3. पूसा एचएम 4 उन्नत (हाइब्रिड किस्म)
यह किस्म 25 अगस्त 2017 को जारी की गई थी. इसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है. यह खरीफ ऋतु की फसल है. इस किस्म की औसत उपज 64.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि इसकी संभावित उपज 85.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है. यह फसल लगभग 87 दिनों में परिपक्व हो जाती है.
इस किस्म की खासियत यह है कि इसे MAS (Marker Assisted Selection) तकनीक से विकसित किया गया है. इसमें उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन पाया जाता है, जिसमें लाइसिन और ट्रिप्टोफैन जैसे आवश्यक अमीनो एसिड अच्छी मात्रा में मौजूद हैं. यह पोषण की दृष्टि से भी एक बेहतरीन किस्म है.
4. पूसा एचएम 9 उन्नत (हाइब्रिड किस्म)
यह किस्म 25 अगस्त 2017 को जारी की गई थी. इसे बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उपयुक्त माना गया है. यह खरीफ ऋतु की फसल है. इस किस्म की औसत उपज 52.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि उचित देखभाल से इसकी संभावित उपज 74.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है. यह फसल लगभग 89 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे MAS (Marker Assisted Selection) तकनीक से विकसित किया गया है. इसमें उच्च मात्रा में लाइसिन (2.97%) और ट्रिप्टोफैन (0.68%) जैसे आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो इसे पोषण के लिहाज से और भी बेहतर बनाते हैं.
5. पूसा विवेक QPM 9 उन्नत (हाइब्रिड किस्म)
यह मक्का किस्म (Maize Varieties) 25 अगस्त 2017 को जारी की गई थी. इसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (पहाड़ी क्षेत्र) और पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए सही है. यह खरीफ ऋतु की फसल है. इस किस्म की औसत उपज 55.9 से 59.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जबकि इसकी संभावित उपज 79.6 से 98.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है. यह फसल 83 से 93 दिनों में परिपक्व हो जाती है. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह देश की पहली प्रोविटामिन-A समृद्ध मक्का किस्म है. इसमें प्रोविटामिन-A की मात्रा 8.15 पीपीएम, लाइसिन 2.67% और ट्रिप्टोफैन 0.74% पाया जाता है, जो इसे पोषण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी बनाता है.
मक्का फसल की Agronomic प्रबंधन विधियां
बीज दर और बुवाई की दूरी
- मक्का की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है.
- पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 से 75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 18 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
उर्वरक प्रबंधन : अच्छी उपज के लिए मक्का में 100:60:40:25 किग्रा/हेक्टेयर NPK+Zn का प्रयोग करें.
सिंचाई : फसल को खासकर फूल आने और दाना बनने की अवस्था में सिंचाई अवश्य करें, जिससे उपज अच्छी हो.
खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के तुरंत बाद एट्राजिन 1 से 1.5 लीटर को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इससे खरपतवारों पर नियंत्रण रहता है.
रोग नियंत्रण : यदि फसल में डाउनी मिल्ड्यू या मेडिस रोग दिखाई दे, तो जिनेब 2.5 किग्रा को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
कीट नियंत्रण
- तना छेदक के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल या फोरेट का प्रयोग करें.
- दीमक नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल 5 जी का उपयोग करें.