गेहूं की एचडी 3226 नई और बेहद उन्नत किस्म है. इसे पूसा यशस्वी के नाम से भी जाना जाता है. इस किस्म को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अथक मेहनत के बाद विकसित किया था. तो आइये जानते हैं इस किस्म की बुवाई का सही तरीका-
गेहूं की फसल के लिए रोग प्रतिरोधक
यह गेहूं की बेहद उन्नत किस्म है. इस पर करनाल बंट, गलन, फफूंदी समेत अनेक बीमारियों का असर नहीं पड़ता है. वहीं यह पीले, भूरे और काले रतुआ रोग प्रतिरोधक होती है.
गेहूं के गुण
आमतौर पर गेहूं की अन्य किस्मों में 10 से 12 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा होती है. जबकि एचडी 3226 में प्रोटीन की उच्च मात्रा 12.8 प्रतिशत होती है. इसके अलावा इसमें जस्ता उच्च मात्रा में पाया जाता है. यह किस्म रोटी, पाव रोटी के लिए उपयुक्त है. इसका बीज आकार में बड़ा और चमकदार होता है.
गेहूं की फसल की कब करें बुवाई
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस किस्म की समय पर बुवाई करना चाहिए. इसकी बुवाई का सही समय है 5 नवंबर से 25 तक. बुवाई के लिए एक हेक्टेयर में 100 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है.
गेहूं की फसल के लिए उर्वरक और खाद
इस किस्म की गुणवत्ता पूर्ण और अधिक पैदावार के लिए उर्वरकों और खाद का पर्याप्त मात्रा में उपयोग करना चाहिए. इसमें प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 150 किलो, फास्फोरस 80 किलो और पोटाश 60 किलो डालना चाहिए. गेहूं की बुवाई के समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी खुराक डाल दें. वहीं नाइट्रोजन को 1/3 भाग में बांटकर पहली खुराक बुवाई के समय, दूसरी खुराक पहली सिंचाई के समय और तीसरी खुराक दूसरी सिंचाई के समय डालें.
गेहूं की फसल कब करें सिंचाई
गेहूं की इस किस्म में 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है. पहली सिंचाई बुवाई के 21 दिनों बाद करना चाहिए. इसके बाद जरुरत के मुताबिक सिंचाई करते रहें.
गेहूं की फसल पैदावार
गेहूं की यह सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्म है. इससे प्रति हेक्टेयर 57. 5 से 79. 6 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है.
यहां से लें गेहूं के बीज
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली -110012
फोनः 91-11-23388842