मूंग गर्मी और खरीफ, दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली एक प्रमुख दलहनी फसल है. मूंग को एक महत्पूर्ण दलहनी फसल की श्रेणी में रखा जाता है. इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने मूंग की नई रोग प्रतिरोधी किस्म विकसित की है. इस किस्म को एमएच 1142 से जाना जाएगा. इस किस्म को विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी और पौध प्रजनन विभाग के दलहन अनुभाग ने विकसित किया है. इससे पहले भी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मूंग की आशा, मुस्कान, सत्या, बसंती, एमएच 421 व एमएच 318 किस्में विकसित की हैं.
खरीफ मौसम में होगी नी किस्म की बुवाई
भारत के उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व के मैदानी इलाकों के किसान मूंग की एमएच 1142 किस्म की बुवाई कर सकते हैं. इस किस्म की बुवाई खरीफ मौसम में आसानी से की जा सकती है. बता दें कि इन क्षेत्रों में यूपी, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल समेत असम का नाम शामिल हैं.
नई किस्म की खासियत
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खरीफ में काश्त की जाने वाली मूंग की इस किस्म की खासियत है कि इसकी फसल एक साथ पककर तैयार हो जाएगी.
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इस किस्म की फलियां काले रंग की होती हैं.
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बीज मध्यम आकार के हरे और चमकीले होते हैं.
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इस किस्म का पौधा कम फैलावदार, सीधा और सीमित बढ़वार वाला होता है.
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फसल की कटाई आसानी से कर सकते हैं.
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यह किस्म कई राज्यों में 63 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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इसकी औसत पैदावार भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार 12 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं.