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Updated on: 12 April, 2020 12:00 AM IST

महामारी किसी भी देश के लिए एक बहुत बड़ी आपदा होती है. भारत सहित पूरे विश्व में प्राचीन कल से लेकर वर्तमान काल तक महामारी किसी न किसी आपदा के रूप में आती रही है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की सामूहिक मृत्यु हुई है. इन महामारी के प्रकोप के कारण किसी भी देश की शारीरिक एवं आर्थिक सेहत पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. जैसा की आप सभी जानते है की इस समय समस्त विश्व कोरोना नामक एक बड़ी महामारी से संघर्ष कर रहा है. कोरोना नामक विषाणु पहली बार चीन के वुहान शहर में नवम्बर माह के मध्य में पाया गया था किन्तु देखते ही देखते यह सम्पूर्ण विश्व में निरंतर फैलता जा रहा है जिस कारण 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वस्थ्य संगठन ने इसे “वैश्विक महामारी” के रूप में घोषित किया है.

कोरोना वायरस का उद्भव

कोरोना वायरस का सम्बंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम, खाँसी से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. कोरोना वायरस यानी कि कोविड-19 बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है. इस वायरस के कणों के इर्दगिर्द काँटे जैसे उभरे हुए ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था. कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है. डाक्टरों ने पाया ये लक्षण सार्स से काफी मिलते जुलते हैं ( कोविड -19 / एन. सी. ओ. वी. नोवल कोरोना वायरस) कोरोना वायरस परिवार का सातवाँ वायरस है. अब तक जो भी वायरस सामने आये है. इसकी अनुवांशिक संरचना 6 से 80 फीसदी तक चमगादडों में पाए जाने वाले सार्स वायरस जैसी मिली.

कोरोना वायरस का लक्षण

इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है इस कारण सबसे पहले बुख़ार, उसके बाद सूखी खांसी आती है और बाद में सांस लेने में समस्या हो सकती है. वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पाँच दिन लगते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत बाद में भी देखने को मिल सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू. एच. ओ.) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुँचने और लक्षण दिखने में 14 दिनों तक का समय हो सकता है हालाकिं कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है. कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि व्यक्ति को बीमार करने से पहले भी ये वायरस फैल सकता है. अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है. अभी तक रोग लक्षणों जैसे की निर्जलीकरण या डीहाईड्रेशन, ज्वर, आदि का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे.

कोरोना वायरस की वजह से किसानों को होने वाली समस्याएं

कोरोना वायरस से भारत का हर एक व्यक्ति चाहे वो किसी भी वर्ग का हो या किसी भी जाति का हो किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित हो रहा है जिसमें की किसान वर्ग भी अछूता नही है.इस महामारी के कारण किसानों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो कि इस प्रकार है-

रबी फसलों की कटाई सम्बंधित समस्या

कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने देश में, रास्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (NDMA 2005) के तहत 21 दिनों तक का लॉकडाउन घोषित किया है .जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को घर से बाहर किसी भी परिस्थिति में निकलने पर रोक लगा दी गई है .यह निर्णय ऐसी विषम परिस्थिति में लिया गया है. जिस समय देश में रबी फसलों की कटाई जोरों पर है. केंद्र सरकार द्वारा, इस वर्ष गेहूं की पैदावार 105 मिलियन टन होने की संभावना व्यक्त की गई थी. अगर लॉकडाउन की समस्या येसी ही रही तो किसानों की फसल खेत में रह जाएगी, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. लॉकडाउन के कारण मजदूर खेत में जाने से डर रहे हैं, तो दूसरी तरफ बे मौसम बरसात का सिलसिला भी देश के उत्तरी राज्यों में जारी है. जिससे फसलों को काफी नुकसान होने की सम्भावना है. मजदूर के आलावा सभी राज्यों के द्वारा भी लॉक डाउन कर दिया गया है, जिसके कारण दूसरे राज्यों से जो मशीने कटाई के लिए आती थी वह भी अब आना बंद हो गई है.

अचानक आश्रितों की संख्या बढ़ने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने की समस्या

सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा करने के पश्चात शहरी क्षेत्रों में रहने वाले दैनिक मजदूर, व्यवसायी आदि के समक्ष रोज़गार की समस्या उत्पन्न होने के कारण शहरों में जीवन यापन तथा रहन सहन करना बहुत कठिन हो गया है .इस कारण ये सभी लोग, शहरों को छोड़कर अपने अपने ग्रामीण क्षेत्रों में जा रहे है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. 

तैयार फसलों को बाज़ार में बेचने की समस्या

जिन किसानों ने अपनी फसल की कटाई लॉकडाउन से पूर्व कर ली थी वो अपनी फसल को लॉकडाउन के कारण बाज़ार में नहीं बेच पा रहे हैं .इस वजह से किसानों को बहुत बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिससे वह बहुत ही परेशान अथवा चिंतित हैं.

डेयरी उद्योग से सम्बंधित किसानों की समस्या

लॉकडाउन के कारण डेयरी उद्योग पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है जिससे किसान अपने दुग्ध उत्पाद को शहर या नजदीकी डेयरी में आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. जैसा की सब जानते है की दुग्ध उत्पाद को अगर सही समय पर प्रसंस्करण नही किया गया तो यह बहुत ही शीघ्र ख़राब होने लगता है जिससे किसानों को बहुत हानि हो सकती है. 

फसल भण्डारण सम्बंधित समस्या

फसल भण्डारण तथा प्रसंस्करण की जानकारी के अभाव के कारण और भंडार गृह की कमी के कारण भारतीय किसान के उपज का एक बड़ा हिस्सा प्रति वर्ष खराब हो जाता है लॉकडाउन की वजह से किसानों को अपने उपज को सुरक्षित रखने में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है.

सरकार की कृषि के प्रति उदासीनता

किसान स्वामीनाथन आयोग में न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के तरीके को लागू करने पर जोर देते आ रहे हैं किन्तु भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण 'कृषि लागत एवं मूल्य आयोग' की अनुशंसा के आधार पर किया जाता है. जिससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी नही हो पा रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य का अर्थ है, फसल की वह न्यूनतम दर जिस पर किसान से फसल खरीदी जाएगी. एम. एस.पी. को लागू करने के पीछे का जो तर्क था कि अधिक उत्पादन की स्थिति में कृषि उत्पादों के दाम बाजार में न गिरें और जिससे किसानों को नुकसान न हो. सरकार एम. एस. पी. पर फसल खरीद एफ. सी. आई. और नेफेड के गोदामों में रखती है .यही अनाज लागत एवं मूल्य का तथ्य है .यही अनाज पी. डी. एस. के जरिये कृषि एवं गरीबों के बीच में बाँटती है जबकि इस पूरी समिति में अध्यक्ष को छोड़कर बाकी सभी पद खाली पड़े हुए हैं . 

इसके साथ ही राज्य स्तर पर निदेशक कृषि अभियान्त्रिकी का न होना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. किसी भी किसान के पास खेत के अलावा सबसे बड़ी संपत्ति कृषि उपकरण ही होते है, परन्तु सरकार ने कृषि अभियान्त्रिकी को हमेशा अनदेखा किया है. जिसकी वजह से किसानों को मशीनों के रख रखाव और नये-नये कृषि उपकरणों की जानकारी न मिल पाना .

अन्य समस्याएँ

लॉकडाउन के कारण हमारे देश का निर्यात पर रोक लगा दी गई है और किसान अपनी फसल बेच नहीं पा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कीमतें गिर रही हैं. यदपि शहरी क्षेत्रों में कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि माँग बढ़ रही है. शहरी क्षेत्रों में कीमत बढ़ने के बावजूद भी इसका लाभ किसानों को नही मिल पा रहा है. भारतीय किसान कर्ज में दबता ही जा रहा है और नकदी ना होने के कारण वह अपने द्वारा लिए गए कर्ज की किश्त भी सही समय पर नही चुका पा रहा है. 

उपाय एवं सावधानियां

गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिये गए निर्देशों द्वारा कुछ सावधानियों को अपनाते हुए खेती के कार्य को पूरा कर सकते हैं-

  • इस बीच किसानों को यह अनिवार्य रूप से ध्यान रखना चाहिए कि खेती का कार्य करते समय वह सामाजिक दूरी ( Social Distancing ) बनाकर खेती के कार्य को अंजाम दिया जाए .

  • जब किसान भाई खेत में कार्य करें तो फिर उन्हें चार फीट की दूरी में पट्टियों में कार्य कराया जाए. यानी इससे वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दी गयी सलाह के अनुसार उचित दूरी बनायी जा सकेगी.

  • इसके अलावा खेती के कार्य को पूरा करने के लिए किसान जल्दबाजी बिल्कुल ही न करें. यानी जिस कार्य को वह बहुत जल्द खत्म करना चाहते हैं उसे थोड़ा अधिक समय में पूरा कर लें.

  • खेत में कार्य करते समय किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह साबुन से हाथ जरूर धोते रहें.

  • खेत में खाद या फिर कीटनाशक के अलावा अगर बोरी इत्यादि में कुछ आवश्यक सामग्री ले जा रहें हैं तो फिर उसे सैनिटाइज़ जरूर कर लें.

  • खेत पर कोई अनजान श्रमिक आ जाए तो फिर उसे खेत पर आने से रोकें ताकि हर प्रकार से यह वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उचित सामाजिक दूरी (Social Distancing ) बनायी रखी जा सके.

  • किसान भाई जब फसल की बुवाई कर रहे हों या फिर तुड़ाई तो इसके लिए आवश्यक है कि जो भी मशीनें आदि उपयोग में लाई जा रही हैं उन्हें साफ जरूर कर लें.

  • मशीन एक बार उपयोग में लाने के बाद दोबारा इस्तेमाल करने से पहले अपने हाथ साबुन से जरूर धो डालें.

  • सबसे जरूरी बात यह है कि जब खेत में फसल की कटाई हो रही हो तो उसे अधिकतम दूरी पर ढेर बनाएं और एक साथ कई श्रमिकों को एक ढेर पर कार्य करने से रोकें.

  • फसल की कटाई के बाद उसे भंडारित करते समय यह ध्यान में रखें कि उन्हें नई बोरियों में भरें. और यही नहीं बोरियों को 5 प्रतिशत नीम के घोल से धोकर और अनाज सुखाने के बाद ही उसमें भरें.

  • जब किसान फसल उत्पाद को मंडी में ले जाएं तो वह दूरी का ध्यान रखें और हर प्रकार से अपनी सुरक्षा का ध्यान अवश्य रखें.

  • भण्डार में अन्न रखने से पहले मालाथियान 50 ई. एक भाग एवं सी. 300 भाग पानी में घोलकर अच्छी तरह भण्डार में छिड़काव करें.

  • बीज के लिए रखी अन्न की बोरियों पर मालाथियान धूल का भुरकाव कर दें. अगर कीडे लग जाये तब अन्न को शीघ्र बेंच दें या प्रधुमन करें. इसके लिए वायुरोधी बर्तन में ई. 3 मिलीलीटर प्रति क्विटंल की दर से काम में लायें.

  • देसी तरीके से भंडारण के लिए एक सौ किलोग्राम अनाज में 5 किलोग्राम सूखी हुई नीम या सदाबहार या कनेर की पत्तियाँ अच्छी तरह से मिलाकर रखने से कीटों से बचाव होता है.

डॉ.प्रमोद कुमार मिश्र और डॉ. संदीप कुमार पाण्डेय
सहायक प्रध्यापक, कृषि अभियान्त्रिकी
आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या, उत्तर प्रदेश

English Summary: Problems of farmers and their solutions during the Corona
Published on: 12 April 2020, 09:44 IST

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