आज भी हमारे किसानों और खेतिहर मजदूरों को वर्ष में चार-चार फसलें उगाने पर भी कई महीने खाली रहना पड़ जाता है. उनको वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने की गंभीर समस्या आज भी देश के सामने है.
किसानों को अपनी फसलों की उपज की पूरी कीमत नहीं मिल पाती है. अधिकांश लाभ बिचौलियों द्वारा कमाया जाता है. आज हमारा किसान उन्नत बीज के महत्व को समझने तो लगा है, लेकिन उसे समय पर अपनी आवश्यकता का उन्नत बीज नहीं मिल पा रहा है. उन्नत बीज के नाम पर आज मिलावटी बीजों की समस्या आ खड़ी हुई है. इसी प्रकार आधुनिक वैज्ञानिक कृषि की कई नई समस्याओं में किसान का सही मार्गदर्शन करना कृषि पत्रकारिता का नया प्रयोजन हमारे सामने उभर रहा है.
आज कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा तरह तरह की रियायतें किसानों को दिए जाने की घोषणा की जाती है. बैंकों से किसानों को विभिन्न प्रकार के ऋण एवं छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है. गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले सीमांत किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए विविध प्रकार की आर्थिक सुविधाएं दिए जाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है, लेकिन सही जानकारी के अभाव में छोटे किसान उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं और अधिकांश अनुदान की राशि का लाभ दूसरे लोग बिचौलिए बन कर उठा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: घाटे का सौदा हो गई है खेती! खाद और डीजल की महंगाई से परेशान किसान
इसलिए इस दिशा में किसानों का दिशा दर्शन करना आज की परिस्थितियों में कृषि पत्रकारिता का एक विशेष प्रयोजन बन गया है. इसके अतिरिक्त कीटनाशी, शाकनाशी और कवकनाशी रसायनों की सही उपयोग की अज्ञानता या अधूरी जानकारी किसानों के स्वास्थ्य के लिए घातक बनती जा रही है. अतः उपरोक्त रसायनों के सही उपयोग और उनके रखरखाव की समय-समय पर सही जानकारी प्रसारित करना कृषि पत्रकारिता का एक सामायिक प्रयोजन बन गया है.
रबीन्द्रनाथ चौबे, कृषि मीडिया, बलिया, उत्तरप्रदेश