आपदा को अवसर में बदलने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की संकल्पना प्रस्तुत की गई निःसंदेह वह बहुत ही महत्वाकांक्षी है यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और आधुनिक भारत की पहचान बनेगा. हमारी निर्भरता जब दूसरों पर कम होगी तो स्वदेशी उत्पादों को स्वाभाविक ही बढ़ावा मिलेगा और जब देश का पैसा देश मे ही रहेगा तो आर्थिक उन्नति भी होगी ही होगी. सभी क्षेत्रों में विकास और आत्मनिर्भरता आवश्यक है इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कृषि क्षेत्र है. आज जब सारा विश्व कोरोना महामारी से प्रभावित है हमारी अर्थव्यवस्था भी डगमगा गई है. सेवा और उद्योग क्षेत्र निरंतर गिर रहे है अनेक लोगों का रोजगार चला गया है. इससे हमारा देश भी बहुत ही प्रभावित हुआ है इस महाआपदा ने जहाँ एक ओर आर्थिक रूप से बड़े बड़े देशों और उद्यमियों की कमर तोड़ दी है ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी कृषि क्षेत्र ऐसा है जो मजबूती से देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है.
आज हमारी जीडीपी में कृषि का योगदान अधिक होता तो हमारा ये संकट भी कुछ कम हो सकता था. इसके पूर्व देश की अर्थव्यवस्था युद्ध जैसे संकटो से भी आसानी से उबर चुकी है क्योंकि उस समय हमारी जीडीपी में 50% से भी अधिक योगदान हमारी कृषि का था. आज भी 70% से ज्यादा आबादी कृषि पर ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर है. वर्तमान में प्रधानमंत्री जी की घोषणा से कृषि क्षेत्र में नई आश जगी है. प्रधानमंत्री जी ने देश की जीडीपी का 10 प्रतिशत यानि 20 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक आर्थिक पैकेज की घोषणा की इसमे किसानों के कृषि सेक्टकर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की गई.आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन कर खाद्य वस्तुओं को आवश्यरक वस्तुगओं की सूची से हटाया गया. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने का अधिकार दिया गया. किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच भी सुनिश्चित की गई.
बिचौलियों की भूमिका खत्म होने से किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा. स्थानीय उपज से अलग-अलग उत्पाद की पैकिंग वाली चीजें बनाने के लिए उद्योग समूह बनाए जाएंगे. लोकल उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए जिले में ही उद्योग लगाए जाने की योजना है. 5 करोड़ डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड्स (केसीसी) अभियान की शुरुआत की गई. महिला स्वसहायता समूह के लिए आजीविका के साधन के रूप में नर्सरी, हरा चारा, फलीदार प्रजातियों के रोपण को बढ़ावा देने का प्रावधान. पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया. सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है.
20 हजार करोड रुपये की लागत से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई. नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा के रूप में 30,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. कृषि क्षेत्र को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्साहन देने के लिए मिशन-मोड में अभियान चलाया जाना प्रस्तावित है. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू जाएगा, जिस पर 13,343 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. यदि प्रधानमंत्री जी के ये सभी विंदु जमीनी स्तर पर साकार रूप लेते है तो कोई संदेह नही की कृषि क्षेत्र देश से सबसे अधिक बृद्धि वाले सेक्टर में न केवल सम्मिलित होगा अपितु देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा, मजबूत और भरोसेमंद स्तम्भ बनेगा.
लेखक: माधव पटेल