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Updated on: 11 August, 2018 12:00 AM IST
Poly house

जब से धरती की उत्पति के बाद से मानव जाती ने प्रकृति में अपने आसपास पेड़ पौधों को उगते देखा तो जहाँ उसकी आँखों को यह नजारा अच्छा लगा वहीँ मानव ने कुत्छ फलों व पत्तों को जब खा कर देखा तो वह भी उसको पसंद आये.

यह तो थे अपने आप उगने वाले पेड़ पौधे और उन पर लगने वाले फल. पेट की भूख के लिए जहाँ मनुष्य शिकार पर निर्भर था वहीँ अब उसने खेती बड़ी करके आपने पसंद की चीज़ों को उगना शुरू किया.

हमारे यहाँ खेती बड़ी और फल व सब्जी सब मौसम व ऋतुओं के हिसाब से होते हैं. बेमौसम फल व्सब्जी के लिए क्या उपाए किया जाये? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न था. दूसरे कभी धुप जयादा, और कभी सर्दी और गर्मी काम या जयादा. इससे कैसे बचा जाए ?

जैसे गर्मी और धुप से बचने के लिए मनुष्य ने पेड़ की छाया को इस्तेमाल किया, वैसे ही एक ऐसा प्रयोग जिसमे कुत्छ खास किसम के पेड़ पौधों को एक खास वातावरण देने के लिए एक घर सा बना लिया जिसमे ताप को कण्ट्रोल किया गया तथा बाहर के वातावरण का कोई असर न पड़े,बनाया गया. इसे ग्रीन हाउस, पोलीहॉउस नाम दिया गया. यह नाम उस घर बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले मटेरियल पर निर्भर करता है.

आधुनिकता से केवल लोगों का लाइफस्टाइल नहीं बदला. बल्कि आधुनिक विज्ञान व तकनीक खेती बाड़ी पर भी नई छाप छोड़ रही है

जहां किसान के लिए अपने हर खेत-खलिहान की रखवाली आसान बात नहीं. जब बंदर, जंगली जानवरों को फसल तबाह करने से रोकने में किसी का जोर नहीं. ऐसी परिस्थिति में पॉलीहाउस खेती का नया विकल्प बनकर किसानों के सामने आए है.

पॉलीहाउस जिसमें किसान 12 महीने फसल लहलहा पा रहे है. बाहरी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं व कीट पंतगों से तो इसमें फसल बच ही रही है, साथ ही सब्जी, फूल जो पॉलीहाउस में उगाए जाते है, उन्हें अनुकुल वातावरण, हवा, पानी मिल रहा है. नतीजतन बेमौसमी सब्जी भी किसान इसके जरिये उगा पा रहे है.

पोलीहाउस में सब्जी ही नहीं फूलों की खेती भी की जा सकती है

सब्जी के अतिरिक्त अधिकांश किसानों ने सब्जी उगाने की बजाय फूलों को अपना व्यवसाय चुन लिया है. खेती तो है मगर फूलों की. जिसमें पहले से अधिक गुणा अधिक पैदावार व मुनाफा मिल रहा है. हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाके हो या फिर मध्यम पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र सैकड़ों किसानों का रुझान पॉलीहाउस लगाने की ओर बढ़ा है.

English Summary: How important is the cultivation of polyhouse for farmers!
Published on: 11 August 2018, 05:58 IST

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