विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO) के द्वारा कोविड -19 को आधिकारिक तौर पर वैश्विक महामारी घोषित करते ही इस विषाणु को एक गंभीर खतरे के रूप में देखा गया है. इस वायरस की उत्पत्ति चमगादड़ों में हुई और ऐसा अनुमान है कि मनुष्यों में यह साँपों अथवा पैंगोलिन जैसे जीवों से फैला होगा. जानवरों में कोरोना की पुष्टि होते ही पशुपालकों के मन में कई सवाल उठे हैं.
कोविड -19 या कोरोना वायरस क्या है?
कोविड 19 कोरोना वायरस का एक नवीन प्रकार है जो RNA वायरस फैमिली का विस्तार है. कोविड 19 कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम है.
नोवेल कोरोना क्यों नाम पड़ा?
यह नाम विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO) द्वारा दिया गया है. नोवेल कोरोना वायरस (2019-n CoV) - 2019 इसलिए क्योंकि वह उस साल पैदा हुआ. नया वायरस होने से नोवेल और कोरोना फैमिली से होने पर CoV नाम दिया गया. अंतर्राष्ट्रीय समिति ऑन टेक्सोनोमी ऑफ़ वायरस के शोधकर्ताओं ने इसे वैज्ञानिक नाम SARS - CoV 2 दिया है.
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क्या जानवर इंसानों में कोविड -19 फैलाने के लिए ज़िम्मेदार है?
इस महामारी का परिक्षण मूलतः मानव से मानव संपर्क द्वारा होता है. जीनोम अनुक्रमण से उपलब्ध डेटा एवं वर्तमान साक्ष्य के आधार पर हम यह जानते है कि SARS - CoV 2 का प्रारंभ पशुओं से ही हुआ है. इस विषाणु का इंसानों मैं हस्तांतरण का मार्ग अथवा जानवरों की इसमें भूमिका अन्वेषण का विषय है.
क्या पशु भी SARS - CoV 2 से संक्रमित हो सकते हैं ?
यह महामारी मुख्यतः मानव से मानव संपर्क से फैल रही है. वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन फॉर एनिमल हेल्थ (OIE) जो की दुनिया भर में पशुओं के स्वास्थ्य हेतु उत्तरदाई एक अंतर सरकारी संगठन है के अनुसार मनुष्यों में तेज़ी से फैल रही यह बीमारी कम्पैनियन जीवों में नज़दीकी संपर्क से भी फ़ैल सकती है. बाघ, बिल्ली, कुत्ते अथवा पालतू फेर्रेट में SARS - CoV 2 की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, इस तरह का संक्रमण का इस उत्पात के फैलने से कोई रिश्ता नहीं पाया गया है. पोल्ट्री व शूकर इस विषाणु के लिए आश्चर्यजनक तरीके से प्रतिरक्षित हैं. विभिन्न जीवों की इस बीमारी के लिए संवेदनशीलता अभी शोध का विषय है.
पशुओं में संक्रमण का जोखिम कितना है?
SARS-CoV2 की बिल्ली, कुत्तों अथवा फेर्रेट में पुष्टि हो चुकी है. सम्पूर्णतः कुत्तों में प्रतिरोधक क्षमता बिल्ली के मुकाबले अधिक पायी गयी है और वहीँ फेर्रेट मे इसकी पुष्टि केवल शोध कार्यालयों में ही देखी गयी है. जिन जानवरों में इस वायरस की पुष्टि भी हुई है उनमें इस बीमारी के बेहद ही हल्के या फिर ना के बराबर नैदानिक लक्षण पाए गए हैं. यहां तक की किसी भी कम्पैनियन एनिमल में बीमारी के भयावह लक्षण विकसित करने की क्षमता बहुत दुर्लभ है.
किसी कोविड 19 संक्रमित अथवा कोविड-19 संदेहास्पद व्यक्ति के संपर्क में आने पर घरेलू जीवों के बचाव हेतु किन किन एहतियातन उपायों का पालन करना चाहिए? अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिस के आधार पर जानवरों से इंसानों में इस व्यापक रोग के संक्रमण की पुष्टि हो पाए. क्योंकि जानवर और इंसानों दोनों में ही यह ज़ूनोटिक संक्रमण फैल सकता है, परंतु यह जरूरी हो जाता है कि कोई भी व्यक्ति जो कोविड-19 से ग्रस्त हो या फिर संदिग्ध हो अपने घरेलू, चिड़िया घर, बंदी जानवरों, वन्य जीवन से सीमित संपर्क रखें. जानवरों के रख रखाव करते वक़्त, बुनियादी स्वच्छता का ध्यान रखें. इसमें शामिल है -
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जानवरों की रख रखाव करने हेतु, उनके भोजन और आपूर्ति के संपर्क में आने से पहले और बाद में अच्छी तरह हाथों को साबुन की मदद से धोएं.
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जानवरों को अधिक घनिष्ठता व दुलार ना करें|
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खान पान की वस्तुओं को उनके साथ ना बाँटें|
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कम्पैनियन एनिमल्स के बचाव हेतु निर्देशित उपायों से समझौता करना तर्कसंगीता अथवा जस्टीफ़ाइड नहीं है.
राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विभागों का इस स्थिति में क्या भूमिका होनी चाहिए?
पशुचिकित्सक व् लोक स्वस्थ्य विभाग को इस स्थिति से लड़ने के लिए वन हेल्थ दृष्टिकोण के महत्व को समझते हुए एकजुट हो कर काम करना होगा. किसी व्यक्ति के SARS-COV 2 से संक्रमण की पुष्टि होते ही उसके संपर्क में आये जानवरों का जोखिम आंकलन करके उनके ओरल (मौखिक), नेज़ल (नाक का) अथवा रेक्टल (मलाशय)/फीकल (मल) सैंपल का आधुनिक टेस्ट (RT-PCR) द्वारा उनका बीमारी से ग्रस्त होने अथवा ना होने को प्रमाणित करना होगा. वह जानवर जिनका टेस्ट पॉज़िटिव आता है उन्हें अन्य अप्रकाशित अतिसंवेदनशील पशुओं के संपर्क आने से रक्षित करना होगा.
क्या पशुओं अथवा पशु उत्पादों के संपर्क में आते वक़्त कुछ एहतियात लेनी चाहिए?
हालांकि SARS-COV 2 के आरम्भ के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है, जब भी किसी बाज़ार में आ जाए जो कि ज़िंदा या फिर अनुत्पादित पशु व्यापार के सामान से संबंधित हो. विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO) के द्वारा संस्तुत बुनियादी स्वछता के नियम और विनियम का पालन करना चाहिए. इसमें शामिल है -
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किसी भी पशु अथवा पशु उत्पाद के संपर्क में अन्य आने से पहले और बाद में स्वच्छ पानी एवं साबुन से नियमित हाथ धोएं.
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आँखों, नाक और मुँह को बार बार छूने से बचें.
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बाज़ार में आवारा घूम रहे पशुओं, कुत्ते, बिल्ली अथवा रोडेन्ट्स(कृतंक), पक्षी, चमगादड़ के संपर्क मैं आने से बचें|
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बाज़ार में मौजूद पशु वेस्ट अथवा तरलों से खाद्य पदार्थों, उपकरणों, सतह का दुषितकरण न हो इसकी एहतियात करनी चाहिए.
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अधपके खाने से संभावित पर संदूषण (क्रॉस कंटैमिनेशन) से बचने के लिए कच्चे माँस, दूध औरपशु अंगों को ध्यान से संभाले.
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स्वस्थ पशुओं का माँस जो कि स्वछता के सभी नियमों का पालन करते हुए पकाया गया हो , सेवन के लिए बिलकुल सुरक्षित होता है.
ज़िंदा पशुओं अथवा पशु उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय विक्रय के संदर्भ में क्या कुछ संस्तुति है ?
र्ल्ड आर्गेनाईजेशन फॉर एनिमल हेल्थ (OIE) सक्रिय रूप से SARS-CoV 2 के पशुओं में संक्रमण, अनुसंधान एवं जोखिम विश्लेषण (रिस्क अनॅलिसिस) में निरंतर काम कर रहा है. वर्तमान स्थिति अथवा दुनिया भर से एकत्रित डेटा के आधार पर OIE जोखिम विश्लेषण के बग़ैर किसी भी तरह के अंतर्राष्ट्रीय गति-विधि के हक़ में नहीं है.
पशुचिकित्सक पदाधिकारी की इस स्थिति में क्या ज़िम्मेदारी है ?
SARS-CoV 2 का संक्रमण एक उभरता हुआ रोग है.पशुओं में इसकी पुष्टि होते ही इसकी सूचना अतिशीघ्र OIE को दी जानी चाहिए.इस सूचना मैं OIE टेररेस्टियल हेल्थ कोड के अनुसार, जाती, नैदानिक परीक्षण एवं उचित एपिडेमीओलॉजिकल जानकारी का उल्लेख होना चाहिए.यह ज़रूरी है कि पशुचिकित्सक पदाधिकारी, सार्वजनिक स्वस्थ्य अधिकारी एवं वन्यजीव स्पेशलिस्ट के साथ सुसंगत हो कर ‘वन हेल्थ’ मॉडल के तहत काम करें. यह ज़रूरी हो जाता है कि इस महामारी के प्रकोप से घरेलू एवं जंगली जानवरों की सेहत के साथ कोई समझौता ना हो और जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) पर इसका कोई दुष्प्रभाव न पड़े. भारत में भी कई अन्य देशों के समान पशुचिकित्सक विभाग के कर्मचारी कोविड -19 रिस्पांस टीम के अधीन मनुष्यों की जांच अथवा निगरानी में भी हिस्सा ले रहे हैं. OIE, पशुचिकित्सक विज्ञान को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में मानता है जिसके चलते पशुओं तक इस स्थिति में भी उनकी निर्बाधित सेवाएं पहुँचती रहे.
लेखक: डॉ. अदिति लाल कौल, डॉ. कवरदीप कौर, डॉ. दिब्ये
न्दू चक्रबोर्ति, डॉ. जोनली देवी और डॉ. प्रतिक्षा रघुवंशी
फैकल्टी ऑफ़ वेटरनरी साइंसेज एंड एनिमलन हज़्बैंड्री, शेरे-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी-जम्मू, आर.एस.पुरा-181102.