नमस्कार किसान भाइयों और बहनों!... आशा है कि आप सब रबी की फसलों के अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहे होंगे, हमारी शुभकामना आपके साथ है, परंतु इस साल शीत ऋतु में एक बार भी बारिश नहीं होने के कारण कुछ हिस्सों में कृषक वर्ग परेशान हैं, हालांकि प्राप्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष रबी फसलों का रकवा पिछले सालों के रकवे से 3% अधिक होने के कारण बम्पर उत्पादन होने के कयास लगाये जा रहे हैं। परन्तु मौसम परिवर्तन से नुकसान को भी किसान समझ रहे हैं। साल 2022-23 में भी जलवायु परिस्थितियों के कारण चावल और गेहूं की फसलों को काफी नुकसान हुआ था। आर्थिक दृष्टिकोण से वर्ष 2023-24 के अत्यधिक अनिश्चित रहने की संभावना है।
इन सभी अनिश्चितताओं के बीच वित्त मंत्री जी ने वर्ष 2023-24 का सालाना बजट पेश किया। जिसमें उल्लेखनीय है सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, जिसके लिए अगले 3 वर्षों तक एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए मदद मुहैया कराने का प्रावधान होना। साथ ही देश में 10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित करने की बात कही गई है, जो आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत उपयोगी हो सकती है।
एक और प्रमुख बात, जो कि किसानों की सहूलियत के लिए है, इसमें ऋण का दायरा बढ़ा दिया गया है। इस साल 20 लाख करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड के जरिए ऋण बांटने का लक्ष्य रखा गया है। मेरे विचार से इससे लाखों किसानों को फायदा होगा।
मुझे सरकार द्वारा किसानों के लिए किसान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म तैयार किया जाना बहुत ही सही कदम लग रहा है क्योंकि इससे किसानों के लिए उनकी जरूरत से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
इस बजट में केंद्र सरकार ने कृषि के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप शुरू करवाने पर जोर दिया है। कृषि स्टार्टअप के लिए डिजिटल एक्सीलेटर फंड बनाया जाना काफी अच्छा कदम होगा जिसे कृषि निधि का नाम दिया गया है। इसके जरिए कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने वालों को सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी।
इस वर्ष IYOM होने के कारण, सरकार ने इस बार मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजना की शुरुआत की है। इसे श्री अन्न योजना का नाम दिया गया है। इसके जरिए देशभर में मोटे अनाज के उत्पादन और उसकी खपत को बढ़ावा दिया जाएगा।
मुझे यह बताते हुए अति हर्ष हो रहा है कि सरकार ने इस बार बजट में बागवानी की उपज के लिए ₹2,200 करोड़ की राशि आवंटित की है। इसके जरिए बागवानी को बढ़ावा दिया जाना बताया जा रहा है। साथ ही सरकार द्वारा मत्स्य संपदा की नई उपयोजना में 6000 करोड़ के निवेश का फैसला सही समय में लिया गया एक ठोस कदम होगा इसके जरिए मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जानी है। इसका उद्देश्य ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ावा देना है। मेरे विचार से सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना पर सरकार द्वारा प्रयास अच्छे परिणाम ला सकते हैं। इसमें 2,516 करोड़ रुपये के निवेश से 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कम्प्यूटरीकरण किया जाना है।
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इनके लिए राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा जो कृषि के सुदृढ़ विकास के लिए अति आवश्यक है इसके साथ बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित की जाएगी, इससे किसानों को अपनी उपज को स्टोर करने और अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार अगले 5 वर्षों में वंचित गांवों में बड़ी संख्या में सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना करेगी। इस तरह इस बार का बजट अगामी चुनाव के मद्देनजर बनाया गया होगा, उम्मीद है यह आपकी आशा के अनुरूप हो।
लेखक
डॉ. पी. के. पंत
सीओओ, कृषि जागरण