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Updated on: 29 June, 2018 12:00 AM IST
Gramophone

किसानों के लिए ग्रामोफोन ऐप वरदान बनता जा रहा है। इस ऐप के जरिए किसान अपनी समस्याओं का तो निराकारण कर रहे हैं, कृषि विशेषज्ञों से सुझाव भी ले रहे हैं। ग्रामोफोन ऐप को किसान गूगल के प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। ग्रामोफोन के टोल फ्री नं 18003157566 पर कॉल कर किसान अपने सभी कृषि संबन्धित समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

हाल ही में विशेषज्ञों ने सोयाबीन की खेती लेकर किसानों को उपयोगी सुझाव दिए हैं। ये सुझाव सोयाबीन की जमीन तैयार करने से लेकर किस्मों तक के लिए हैं। सोयाबीन की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली मध्यम से गहरी काली मिट्टी उपयुक्त होती है। खेत में ढाल इस प्रकार हो कि जल निकास अच्छी तरह हो जाए। खेत की मिट्टी अति अम्लीय या क्षारीय नहीं होना चाहिए। ग्रीष्मकाल में (अप्रैल-मई) खेत की गहरी जुताई करना चाहिए। गमी की धूप और तापक्रम से कीट बीमारी एवं कई प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। वर्षा प्रारम्भ होने पर 2 या 3 बार बखर तथा पाटा चलाकर खेत को तैयार करें।

उन्नत किस्में - सोयाबीन की किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए। हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए। मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाए वो लगाना चाहिए। 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल के लिए पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें। अंतरू उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का हो चयन करना चाहिए।

बीज दर- विभिन्न जातियों के बीज के आकार के अनुसार सामान्य अंकुरण क्षमता वाले बीज दर निम्नानुसार उपयोग करना चाहिए-

(1) छोटे दाने वाली किस्में 70 किलो प्रति हेक्टेयर

(2) मध्यम दाने वाली किस्में 75 से 80 किलो प्रति हेक्टर

(3) बड़े दाने वाली किस्में  90 किलो प्रति हेक्टर।

बोने का समय - बुवाई का उचित समय 20 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह होता है, जब लगभग 3-4 इंच वर्षा हो चुकी हो तो बुवाई प्रारम्भ कर देना चाहिए। यदि देर से बुआई करनी पड़ें तो बीज की मात्रा सवाई एवं कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. कर देना चाहिए। देर से बुआई की स्थिती में शीघ्र पकने वाली जातियों का प्रयोग करना चाहिए।

बोने की विधि - सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। बीज की 45 से.मी. कतार से कतार की दूरी पर एवं 3-5 सेमी. गहराई पर बोए। बीज को बोने के लिए सीडड्रिल कम फर्टिलाइजर का उपयोग करें जिससे खाद एवं बीज अलग अलग की जा सकें और खाद नीचे और बीज ऊपर गिरे। बीज एवं उर्वरक कभी भी बुवाई में एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए।

बीज उपचार  सोयाबीन बीज को बोवनी के पहले कार्बाक्सिन 37.5 प्रतिशत़ थायरम 37.5  250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत़ मेन्कोजेब 63 प्रतिशत व  250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45 प्रतिशत पायराक्लोस्ट्रोबीन 5 प्रतिशत एफएस 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें। उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5 प्रतिशत 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30 प्रतिशत एफएस 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है।

खाद एवं उर्वरक - अच्छी पकी हुई गोबर की खाद लगभग 4-6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में फैला दें एवं पाटा चलाकर समतल कर दे। बोते समय 60 किलो डीएपी, 20 किलो एसएसपी एवं 30 किलो पोटाश  प्रति एकड़ के हिसाब से पौषक तत्व देना चाहिए। मिट्टी परीक्षण के आधार पर पौषक तत्वों की मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती है। जब फसल 15 दिन की हो जाए तो माईकोराईजा 4 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दे।

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English Summary: gramophone news
Published on: 29 June 2018, 06:29 AM IST

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