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Updated on: 28 January, 2019 12:43 PM IST

प्याज की खेती  देश में सबसे अधिक की जाने वाली खेती में से एक है. प्याज देश में लगभग 13.5 लाख हेक्टेयर पर उगता है.

ICAR- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च, बेंगलुरु ने प्याज की खेती में सहायता के लिए कई उपकरणों का विकास किया है. बीज की बुवाई के लिए बीज ड्रिल, फसल के लिए खुदाई, डी-टॉपर को बल्बों से पत्तियों को काटने और अलग करने के लिए, ग्रेडर को सॉर्ट करने और ग्रेड करने जैसी चीज़े बनाई है. मशीनों का व्यावसायिक तरीके से उपयोग प्याज की खेती की प्रक्रिया को 75 प्रतिशत तक बढ़ा देगा.

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मशीनों को अपनाने से उत्पादकों को लागत में कटौती करने में मदद मिलेगी. इसके द्वारा मुख्य रूप से बीज और श्रम पर होने वाली लागत को नीचे लाया जा सकता है.

इन उपकरणों की पूरी रेंज की लागत 8 लाख रुपये है, जो इम्पोर्टेड मशीनों की लागत का पांचवां हिस्सा है.

इन मशीनों का उपयोग कर्नाटक में चार जिलों में राज्य के बागवानी विभाग द्वारा शुरू किया जाएगा. रेंज में नवीनतम संस्करण डी-टॉपर है. कुछ बड़े रिटेल चेन और एफपीओ पहले से ही उपज को छांटने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च द्वारा विकसित ग्रेडर का उपयोग कर रहे हैं.

कर्नाटक में, इन मशीनों को विश्व बैंक की सहायता प्राप्त योजना के तहत चार जिलों में किसान निर्माता संगठनों (एफपीओ) को वितरित किया जा रहा है. अन्य प्याज उत्पादक राज्यों जैसे तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा ने मशीनों को अपनाने में काफी रुचि दिखाई है.

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इस उन्नति के साथ, प्याज की खेती में यंत्रीकरण आलू के बराबर होगा. हालांकि, फसलों के बीच कम जगह होने के कारण, निराई की प्रक्रिया को यंत्रीकृत नहीं किया जा सकता है.

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English Summary: hightech onion farming 75 percent growth
Published on: 28 January 2019, 12:48 PM IST

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