Kisan Credit Card: किसानों को अब KCC से मिलेगा 5 लाख रूपये तक का लोन, जानें कैसे उठाएं लाभ? Farmers News: किसानों की फसल आगलगी से नष्ट होने पर मिलेगी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की आर्थिक सहायता! Loan Scheme: युवाओं को बिना ब्याज मिल रहा 5 लाख रूपये तक का लोन, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 28 January, 2019 12:43 PM IST

प्याज की खेती  देश में सबसे अधिक की जाने वाली खेती में से एक है. प्याज देश में लगभग 13.5 लाख हेक्टेयर पर उगता है.

ICAR- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च, बेंगलुरु ने प्याज की खेती में सहायता के लिए कई उपकरणों का विकास किया है. बीज की बुवाई के लिए बीज ड्रिल, फसल के लिए खुदाई, डी-टॉपर को बल्बों से पत्तियों को काटने और अलग करने के लिए, ग्रेडर को सॉर्ट करने और ग्रेड करने जैसी चीज़े बनाई है. मशीनों का व्यावसायिक तरीके से उपयोग प्याज की खेती की प्रक्रिया को 75 प्रतिशत तक बढ़ा देगा.

ये भी पढ़ें - जानिए कैसे करें प्याज का बीज उत्पादन

मशीनों को अपनाने से उत्पादकों को लागत में कटौती करने में मदद मिलेगी. इसके द्वारा मुख्य रूप से बीज और श्रम पर होने वाली लागत को नीचे लाया जा सकता है.

इन उपकरणों की पूरी रेंज की लागत 8 लाख रुपये है, जो इम्पोर्टेड मशीनों की लागत का पांचवां हिस्सा है.

इन मशीनों का उपयोग कर्नाटक में चार जिलों में राज्य के बागवानी विभाग द्वारा शुरू किया जाएगा. रेंज में नवीनतम संस्करण डी-टॉपर है. कुछ बड़े रिटेल चेन और एफपीओ पहले से ही उपज को छांटने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च द्वारा विकसित ग्रेडर का उपयोग कर रहे हैं.

कर्नाटक में, इन मशीनों को विश्व बैंक की सहायता प्राप्त योजना के तहत चार जिलों में किसान निर्माता संगठनों (एफपीओ) को वितरित किया जा रहा है. अन्य प्याज उत्पादक राज्यों जैसे तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा ने मशीनों को अपनाने में काफी रुचि दिखाई है.

यह भी पढ़ें - गंठियों द्वारा अगेती प्याज उगाकर अधिक धन कमाएं...

इस उन्नति के साथ, प्याज की खेती में यंत्रीकरण आलू के बराबर होगा. हालांकि, फसलों के बीच कम जगह होने के कारण, निराई की प्रक्रिया को यंत्रीकृत नहीं किया जा सकता है.

ऐसी ही कृषि सम्बंधित लेटेस्ट खबरों की अपडेट पाने के लिए आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे-

English Summary: hightech onion farming 75 percent growth
Published on: 28 January 2019, 12:48 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now