1. Home
  2. ख़बरें

बाजरे की ये दो नई किस्मों से किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ...

भारत में एनीमिया और कुपोषण दो बड़ी समस्याएं हैं. देश में 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी पाई जाती है. साथ ही 6 से 35 साल तक के 74 फीसदी लोग आयरन की कमी के शिकार हैं. वहीं आयरन के साथ ही जिंक की कमी के चलते देश में बड़े स्तर पर बच्चे कुपोषण की जद में है.

भोजन में जिंक और आयरन की कमी भारत में कुपोषण की बड़ी वजह है. देश को इस समस्या से निजात पाने के लिए राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने पहली बार बाजरे की ऐसी दो नई किस्में विकसित की हैं जो जिंक और आयरन से भरपूर हैं. ये नई किस्में खासतौर पर महिलाओं में एनीमिया की समस्या दूर करने के साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने में भी मददगार साबित होंगी.

भारत में एनीमिया और कुपोषण दो बड़ी समस्याएं हैं. देश में 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी पाई जाती है. साथ ही 6 से 35 साल तक के 74 फीसदी लोग आयरन की कमी के शिकार हैं. वहीं आयरन के साथ ही जिंक की कमी के चलते देश में बड़े स्तर पर बच्चे कुपोषण की जद में है. जयपुर के दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने देश को एनीमिया और कुपोषण से निजात दिलाने के मकसद से बाजरे की दो नई किस्में विकसीत की है.

आरएचबी 233 और आरएचबी 234 नामक ये किस्में जिंक और आयरन से भरपूर हैं, जो महिलाओं को रक्त की कमी और बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित होगी. अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा अखिल भारतीय बाजरा अनुसंधान परियोजना की हाल ही में जोधपुर में हुई 53वीं कार्यशाला में इन दोनों किस्मों को अनुमोदन के लिए रखा गया है.

अब तक क्षेत्रीय लिहाज से बाजरे की किस्में विकसित होती रही हैं, लेकिन इन किस्मों की खास बात यह है कि पहली बार पूरे देश के लिहाज से ये किस्में तैयार की गई हैं. राजस्थान के साथ ही हरियाणा, पंजाब, ​दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बाजरे की अच्छी पैदावार की जा सकती है. इन नई किस्मों में आयरन की मात्रा 80 से 90 पीपीएम और जिंक की मात्रा 40 से 50 पीपीएम है. खास बात यह भी है कि इनसे प्रति हैक्टेयर एरिया में 30 से 35 क्विंटल बाजरा और 70 से 80 क्विंटल चारे की पैदावार होगी जो दूसरी किस्मों से ज्यादा है. इतना ही नहीं बाजरे की इन नई किस्मों से फसल केवल 80 से 81 दिन में पककर तैयार हो जाएगी. नई किस्में ईजाद करने वाले कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बाजरे की फसल में सूक्ष्म पोषक तत्वों में वृद्धि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. प्रजनन विधि से आयरन और जिंक तत्वों की बढ़ोतरी की कोशिश कामयाब रही है.

आयरन की कमी के चलते महिलाओं में गर्भधारण करने में परेशानी और गर्भ के दौरान बच्चे की मृत्यु होने जैसे मामले सामने आते हैं. ​वहीं जिंक की कमी के कारण बच्चों की शारीरिक वृद्धि रूकने के साथ ही दस्त, निमोनिया जैसी कई बीमारियों का शिकार उन्हें होना पड़ता है. अब बाजरे की नई किस्मों के सेवन में उन्हें समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकेगी. खास बात यह है कि ये समस्याएं समाज के कमजोर तबके में ज्यादा पाई जाती हैं और यही वर्ग बाजरे का ज्यादा सेवन भी करता है

English Summary: Farmers will get financial benefits from these two new varieties of millet ... Published on: 04 April 2018, 12:25 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News