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अगर आपका बच्चा छोटा है तो यह पढ़ना ज़रुरी है

बाल अवस्था जीवन का वह समय होता है जिसका बोध हमें नहीं होता परंतु उसकी स्मृतियाँ जीवनभर हमारे साथ रहती हैं।लेकिन यदि इस समय में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह आगे चलकर समस्या बन सकती है।

बाल अवस्था जीवन का वह समय होता है जिसका बोध हमें नहीं होता परंतु उसकी स्मृतियाँ जीवनभर हमारे साथ रहती हैं।लेकिन यदि इस समय में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह आगे चलकर समस्या बन सकती है।

ऐसी ही एक समस्या हैं-"शिशुओं में कब्ज़"।

कब्ज़ एक ऐसी समस्या है जो आयु और वर्ग नहीं देखती परंतु शिशुओं के साथ यह समस्या अधिक गंभीर इसलिए होती है क्योंकि शिशु उसे बता या जता नहीं पाता और समझने वालों को लगता है कि शायद वजह कुछ और है क्योंकि वह भी इस समस्या को समझ नहीं पाते।

क्या है कब्ज़

यदि मलत्याग कष्टदायक हो अथवा अधिक समय के अंतराल पर हो तो उसे कब्ज़ कहते हैं।

क्या हैं शिशु में कब्ज़ के कारण

1. पेट में दर्द अथवा ऐंठन(मरोड़) हो सकती है।

2. सख्त मल की सतह पर रक्त का स्त्राव हो सकता है।

कब्ज़ एक ऐसी बीमारी है जिसमें यदि इलाज रोग के अनुरुप न हो कब्ज़ जीवनभर ठीक नहीं हो सकती और एक बड़ी बीमारी का रुप ले सकती है।

कैसे जानें,शिशुओं में कब्ज़ और कैसे करें इलाज

1. बोतल द्वारा दूध पिलाए जाने वाले शिशुओं में कब्ज़ की शिकायत अधिक कयों होती है?

(क्या करें)-गर्म मौसम में बोतल द्वारा दूध पिलाए जाने वाले शिशुओं को अतिरिक्त तरल पदार्थ दें तथा स्तनपान कराए जाने वाले शिशुओं को जल्दी-जल्दी स्तनपान कराएं।

2. स्तनपान से फार्मूला अथवा ठोस खाघ पदार्थ शुरु करने की अवस्था में क्या करें?

(क्या करें)-फार्मूला दूध सही अनुपात में बनाएं।

3. आहार में यदि रेशे की मात्रा में कमी आ जाए?

(क्या करें)-शिशु को अधिक रेशेदार आहार जैसे संपूर्ण अन्न,फल एवं सब्जियां अधिक मात्रा में दें।

4. अपर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने के कारण उत्पन्न कब्ज़ में क्या करें?

(क्या करें)-पानी अथवा तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें।(प्रतिदिन 1-2 लीटर तरल पदार्थ अवश्य दें)

5. अधिक मात्रा में शोधित शक्कर,शोधित आटा,मैदा,डबलरोटी,टॉफी तथा मिठाइयां आदि लेने से उत्पन्न कब्ज़ में क्या करें?

(क्या करें)-ऐसे खाद्य पदार्थ लें जिनमें संपूर्ण अन्न की मात्रा अधिक हो जैसे दलिया(गेहूं अथवा जई से बना)अधिक मात्रा में दें।

6. कईं बार बच्चें खेल आदि में व्यस्त होने के कारण अथवा झिझक के कारण मलत्याग की इच्छा होने पर भी मलत्याग नहीं करते,ऐसी अवस्था में क्या करें?

(क्या करें)-शिशु को नियमित रुप से मलत्याग के लिए अवश्य प्रोत्साहित करें तथा ध्यान दें कि शिशु मलत्याग की इच्छा को अनदेखा न करें

7. शारीरिक व्यायाम की कमी के कारण कब्ज़ की शिकायत में क्या करे?

(क्या करें)-शिशु को अधिक शारीरिक क्रियाओं जैसे दौड़ना,साइकिल चलाना आदि के लिए प्रोत्साहित करें।

क्या न करें

कब्ज़ ही नहीं बल्कि किसी भी बीमारी के संदर्भ में क्या करें इससे अधिक महत्वपूर्ण होता है कि क्या न करें,और इसलिए यह जानना भी ज़रुरी है कि क्या नहीं करने से कब्ज़ दूर रहेगी।

1. शिशुओं को अपौष्टिक भोजन न खाने दें।

2. शिशुओं को शोधित अन्न,अधिक मीठे पदार्थ तथा टॉफी आदि अधिक मात्रा में न दें।

3. बच्चों को अधिक समय तक टेलीविजन अथवा कंप्यूटर के आगे न बैठने दें।इससे बच्चों की शारीरिक क्रियाओं में कमी आती है।

कैसे पहचाने शिशु में कब्ज़ को

1. यदि मलत्याग के प्रतिरुप में अचानक परिवर्तन हो।

2. मल में अथवा शिशु के कपड़ों में रक्त का होना।

3. मल त्याग के समय,मलद्धार अथवा उदर में दर्द का अनुभव होना।

कब्ज़ के विषय में आयुर्वेद से लेकर एलोपैथी तक सबने कईं प्रकार के इलाज खोजे हैं जो सफल भी हुए हैं,इसी दिशा में (केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद्)ने भी पहल की है उन्होनें भी सफल कब्ज़ और विशेषकर शिशुओं में कब्ज़ को लेकर दवाएं इजाद की हैं।वो कौन सी दवाएं हैं आइए जानते हैं-

निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियां शिशुओं तथा बच्चों की कब्ज़ में प्रयोग की जाती हैं।परंतु किसी भी औषधि के प्रयोग से पहले किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

1. शिशुओं तथा बच्चों में कृत्रिम खाघ पदार्थों द्धारा अथवा फार्मूला दूध द्धारा कब्ज़ होना या फिर मल सख्त न होने पर भी अत्यधिक अत्यधिक ज़ोर लगाना।

(औषधी)-"एल्यूमिना 30"

2. शुष्क एवं सख्त मल और कईं दिनों तक मल त्याग की इच्छा न होना और शिशुओं में चिड़चिड़ापन और अधिक पानी पीने की इच्छा होना।

(औषधी)-"ब्रायोनिया एल्बा 30"

3. बच्चों में असाध्य कब्ज़।

(औषधी)-"पैराफिनम 30"

होमौपैथी एक सफल प्रयोग है जो कब्ज़ ही नहीं अपितु कईं दूसरी बिमारियों में कारगर साबित हुआ हैं।होमोपैथी के विषय में राहत की बात यह है कि इसका साइड-इफेक्ट लगभग न के बराबर होता है और यदि हो जाए तो नियंत्रित किया जा सकता है।

होम्योपैथिक औषधी को प्रयोग करने के लिए हिदायत

1. औषधि प्रत्येक तीन घंटे के अंतराल में चूसकर लें तथा सादे पानी में घोल कर ले लें।

2. औषधि का सेवन मुँह साफ करके करें और बेहतर होगा कि खाली पेट लें।

3. यदि औषधि सेवन से 24 घंटे की अवधि में आराम आ जाए तो औषधि का सेवन बंद कर दें।

4. यदि औषधि सेवन के बाद 24 घंटे में आराम न आए अथवा लक्षणों में वृद्धि हो तो होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह लें।

5. औषधियों को तेज गंध वाली वस्तुओं जैसे-कपूर तथा मेंथाल इत्यादि से दूर रखें।

6. औषधियों को ठंडे एवं शुष्क स्थान पर रखें और धूप एवं गर्मी से दूर रखें।

गिरीश पांडे, कृषि जागरण

English Summary: If your child is small, then it is important to read this. Published on: 05 November 2018, 05:18 PM IST

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