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गाय-भैंस का गर्भाशय क्यों आता है बाहर? जानें इसके कारण और रोकथाम का तरीका

कई पशुपालकों की ये शिकायत रहती है, कि उनके पशुओं में बच्चा देने के समय कई तरह की परेशानी आती है. ऐसे में उन्हें यह नहीं पता होता कि जब गाय-भैंस में बच्चेदानी भी बाहर आ जाये तो ऐसी समय में क्या करना चाहिए. यदि आपका पशु भी ऐसी समस्या से गुज़र रहा है, तो यह लेख जरूर पढ़ें.

रुक्मणी चौरसिया
रुक्मणी चौरसिया
Uterine Prolapse Treatment in Livestock Animals
Uterine Prolapse Treatment in Livestock Animals

पशुपालन क्षेत्र (Animal Husbandry) में पशुपालकों को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी तो उन्हें यही समझ नहीं आता की पशु के साथ आंतरिक समस्या (Internal problem in animal) क्यों हो रही हैं? आंतरिक समस्या में सबसे बड़ी बीमारी बच्चेदानी (Uterus Problems in Animals) की है, इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि पशुओं में बच्चेदानी की क्या-क्या समस्याएं (What are the problems of uterus in animals)  होती हैं, साथ ही उसका समाधान (Remedy for uterine problems in animals) क्या हो सकता है.

डेयरी पशुओं (Dairy Animals) में गर्भाशय का बाहर आना (Uterine Prolapse) बहुत ही आम व गहरी समस्या है और इसके कई भी होते हैं. अक्सर यह समस्या गाय, भैंस व भेड़ों के साथ देखी जाती है. ऐसे में आपको पशुओं में हो रही दिक्कतों के बारे में पता होना चाहिए और उससे जुड़ा उपाय तुरंत अपनाना (Treatment of Uterine Prolapse in Livestock Animals) चाहिए, वरना इस गंभीर बीमारी से उनकी मौत भी हो सकती है.

गर्भाशय संक्रमण के दो प्रकार (Two types of uterine infection)

  • पहला जिसमें जेरी स्पष्ट दिखाई दे रहा है, लेकिन फिर भी गर्भाशय में हल्का संक्रमण है. इसके कारण भ्रूण स्थापित नहीं हो पाता है और पशु गर्भ धारण नहीं कर पाता है.
  • दूसरे प्रकार के संक्रमण में यह पूरा बाहर आने की कगार पर होता है और एक बड़ी बॉल की तरह दिखाई देता है.

गर्भाशय संक्रमण के उपाय (Uterine infection remedies)

योनि अंदर करना (Vaginal insertion): बाहर निकले हुए योनि के भाग को ज्यादा देर तक बाहर नहीं रहने देना चाहिए. योनि के बाहर आए भाग को साफ हाथों से पकड़कर लाल दवाई के घोल से धोकर वापिस अंदर डाल देना चाहिए. निकले हुए शरीर को धीरे-धीरे अपनी हथेलियों की सहायता से वापिस योनि में हाथ डाल कर अंदर करना चाहिए. लाल दवाई का घोल बनाने के लिए आधी बाल्टी साफ पानी में आधी चुटकी लाल दवाई की मात्रा डालनी चाहिए. बाहर आए हिस्से पर कोई कीटाणुनाशक क्रीम भी लगाई जा सकती है. ध्यान रहे, योनि अंदर करने वाले व्यक्ति के हाथों के नाखून कटे हुए होने चाहिए और हाथ साबुन से धोने के बाद ही बाहर निकले हिस्से को छूना चाहिए.

पेशाब की थैली खाली करना (Emptying the urine bag): योनि के बाहर आने की स्थिति में मादा पशुओं में पेशाब नली में रूकावट हो जाती है, जिस कारण पेशाब करने के लिए पशु और अधिक जोर मारने लगता है और उसे बहुत अधिक दर्द भी होता है. ऐसी स्थिति में बाहर निकले हुए योनि के हिस्से को अंदर धकेलने में मुश्किल आती है. बाहर निकली योनि को अंदर करने से पहले, हाथों या साफ मुलायम कपड़े की सहायता से बाहर निकली हुई योनि को ऊपर उठाकर पहले पेशाब निकाल देना चाहिए. पेशाब बाहर नहीं आने की स्थिति में चिकित्सक की सहायता लेना बिल्कुल ना चूकें.

जल्दी ध्यान देना: योनि बाहर निकालने की स्थिति में इसका तुरंत ध्यान करना चाहिए. बाहर निकले हुए भाग को मिट्टी, गोबर-पेशाब, पशु-पक्षियों और कुत्तों से भी अवश्य बचाकर रखना चाहिए. शरीर दिखाने वाले पशुओं को खुली जगह की बजाय, साफ-सुथरी व बंद जगह पर बांधना चाहिए. समय पर, हर संभव चिकित्सक से पीड़ित पशु का इलाज बिना देरी के करवाना चाहिए.

ठण्डा पानी डालना (Pour cold water): शुरूआती दौर में योनि के सरककर बाहर आने की स्थिति में लगभग आधा घण्टा ठण्डा पानी देने से आमतौर पर योनि अपने आप ही अंदर चली जाती है. उसके बाद चिकित्सक से उसका इलाज जरूर करवा लेना चाहिए. बाहर निकली हुई योनि पर ठण्डा पानी डालने से वह सिकुड़ जाती है, जिससे गंदगी तो साफ हो ही जाती है साथ ही उसे हाथों से अंदर करने में भी आसानी होती है.

शरीर का पिछला हिस्सा ऊंचा करना (Elevating the back of the body): योनि बाहर निकलने की स्थिति में पीडित मादा गाय या भैंस के शरीर के पिछले हिस्से को लगभग आधा फुट मिट्ठी डालकर ऊंचा कर देने से समस्या को ठीक करने में बहुत ज्यादा लाभ मिलता है. ऐसे पीड़ित पशु के बांधने वाली जगह से अगले पैरों वाली जगह से मिट्टी निकाल कर भी किया जा सकता है.

संतुलित आहार (Balanced diet): इस रोग का संबंध खुराक से मिलने वाले तत्वों की कमी से पाया गया है. इस रोग की रोकथाम के लिए ग्याभिन पशुओं की खुराक का विशेष ध्यान रखना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान मादा पशुओं को खनिज मिश्रण जरूर दिये जाने चाहिए. ऐसे पशुओं को एक समय में ही भरपेट चारा भी खाने के लिए ना देकर उनको थोडी-थोडी मात्रा में दिन में कई बार खिलाना चाहिए. कभी भी पशुओं को फफूंद लगा हुआ चारा या दाना बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए.

संक्रमण का इलाज (Treatment of vagainal infection): अगर इन सब उपाय को अपना कर भी पशु में इसकी बीमारी ठीक नहीं हो पा रही है तो नजदीकी चिकित्सक जरूर दिखाए व सलाह लें.

English Summary: Treatment of uterine prolapse in livestock animals Published on: 14 March 2022, 02:43 IST

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