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किसानों को तकनीकी शिक्षा देते हैं केवीके

कृषि क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। किसानों, युवकों और महिलाओं को प्रशिक्षण देना, रोजगारपरक जानकारियां प्रदान करना, खेती करने के लिए कौन सी नवीन तकनीकें अपनाई जा रही हैं आदि के बारे में संपूर्ण जानकारियां किसानों तक पहुंचाने का अहम कार्य कृषि विज्ञान कंेद्रों द्वारा किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्रों में समय-समय पर मेले, प्रदर्शनी का आयोजन भी होता रहता है। साथ में बीज, पौधे और मछली पालन विषयों पर काम भी चलता रहता है। इन्हीं सब बातों को विस्तार से जानने के लिए कृषि जागरण की पत्रकार दीपशिखा सिंह ने केवीके के प्रमुख डाॅ. ए. के. सिंह से खास मुलाकात की।

कृषि क्षेत्र में प्रसार के लिए आप क्या साधन अपना रहे हैं ?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुख्यतः 642 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। मुख्यतः हमारा फ्रंट लाइन एक्सटेंशन जिससे हम कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़े हैं और जो भी नई तकनीक संस्थाओं में विकसित होती है उसे इन केंद्रों तक पहुंचाते हैं। आगे का काम राज्य सरकार का तंत्र करता है। विकसित तकनीकों का आंकलन करना भी केवीके का ही काम है।

कृषि विज्ञान के तकनीकी प्रसार में आपका क्या योगदान है और ये कैसे काम करते हैं ?

कृषि विज्ञान केंद्र जिले स्तर पर बनाए गए हैं। ज्यादातर हर जिले में एक कृषि विज्ञान है और जो बड़े जिले हैं उनमें दो कृषि विज्ञान केंद्र बनाने की भी व्यवस्था की गई है। लगभग 45 के आसपास बड़े जिले हैं। जिलेवार किसानों, युवकों और महिलाओं को विभिन्न विषयपरक प्रशिक्षण देना हमारा उद्देश्य है। रोजगार के विभिन्न विकल्प प्रशिक्षणार्थियों को बताए जाते हैं जिससे वे जीविकोपार्जन कर सकें। यहां तक कि नई तकनीक से खेती करने के बारे में भी किसानों को अवगत करवाया जाता है। इसके अलावा केवीके कृषि प्रसार का काम भी करते हैं जिससे लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो। कृषि विज्ञान केंद्र मेले, प्रदर्शनी, किसान सम्मेलन, किसान गोष्ठी आदि का भी आयोजन समय-समय पर करते रहते हैं। साथ में हमारे केंद्रों में बीज, पौधे और मछली पालन विषयों पर भी काम चल रहा है।

अटारी की क्या भूमिका है?

अटारी निगरानी का काम करता है। पूरे देश मंे 8 अटारी हैं जिनकी संख्या बढ़ाकर जल्द से जल्द 11 की जाएगी। तकनीकी कार्यक्रम को निर्धारित करने के लिए अटारी मुख्य भूमिका निभाता है। कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर भी अटारी काम करता है।

क्या कृषि विज्ञान केंद्र समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से विज्ञापन करते हैं ?

निश्चितरूप से हमारे वैज्ञानिक अपने लेख पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समय-समय पर देते रहते हैं। इन लेखों के माध्यम से किसानों को सलाह दी जाती है और उन्हें जागरूक किया जाता है। कुछ अखबार सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं जिनके माध्यम से हम किसानों तक अपनी बात पहुंचाते हैं। वहीं सभी वैज्ञानिक मिलकर एक प्रकाशन भी निकालते हंै जिससे लोगों को काफी मदद मिलती है।

क्या कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदर्शनी विधि अपनाई जाती है ?

दलहन-तिलहन की बड़े पैमाने पर प्रदर्शनी लगाई जाती है। पूरे देश में करीब 25,000 एकड़ भूमि पर तिलहन की प्रदर्शनी लगाई गई थी। नई टेक्नोलाॅजी किसानों तक किस तरह पहुंचाई जाए इसके लिए प्रदर्शनी ही सबसे बड़ा माध्यम है।

कृषि विज्ञान केंद्र आधुनिक तकनीकों को किसानों तक पहुँचाने में कितने सक्षम हैं ?

मुझे नहीं लगता देश में केवीके के इतर कोई दूसरा सशक्त माध्यम है क्योंकि ये मुख्यतः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विश्वविघालय के अधीन में काम करते हैं। ऐसी व्यवस्था हमने बनाई है कि उससे सभी सीधे जुड़े हुए हैं। तकनीकी रूप से मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी हमने विश्वविद्यालय को दी हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र सबसे सफल और सशक्त इकाई है जिसके जरिए नई तकनीक जल्दी पहुँचाई जा सकती है।

क्या प्रायवेट एंटरप्राइजेज के बीजों को कृषि विज्ञान केंद्र ट्रायल करते हैं ?

नेशनल वैरायटी रिलीज कम्युनिटी ने भले ही प्रायवेट कंपनी के बीजों को रिलीज किया हो लेकिन भारत सरकार ने उसे मान्यता दी है तो निश्चित रूप से कृषि विज्ञान केंद्र उसे आगे बढ़ाएगा। इसका एक उदाहरण ये भी है कि हाइब्रिड चावल की बहुत सारी वैरायटी जो कि प्राईवेट की है, उसे हमने आगे बढ़ाया है।

क्या मोबाइल एप के जरिए भी किसानों को जागरूक किया जा सकता है ?

जी हाँ, बिल्कुल। मोबाइल एप के जरिए किसानों को जागरूक करने का प्रयोग भी कृषि विभाग ने शुरू किया है। विभाग की तरफ से एप लान्च किया जा चुका है। एम-किसान पोर्टल भी शुरू किया जा चुका है। 90 लाख किसान कृषि विज्ञान केंद्र द्रारा रजिस्टर हैं। 15-20 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है और 1-2 लाख प्रदर्शनी लगाई जाती हैं।

कोई संदेश जो आप हमारी पत्रिका के जरिए देना चाहेंगे ?

कृषि विज्ञान केंद्र हर जिले में बना हुआ है। किसानों को इससे जुड़ना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र जिले के हर गाँव में नहीं जा सकते। किसान और दूसरे सेक्टर के लोग भी कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ंे। एक कृषि डेवलेपमेंट बोर्ड आया है। पैट्रोलियम कंसर्वेशन मंत्रालय है जिन्होंने हमें अप्रोच किया है। हमारी कोशिश है कि सभी लोगों से तालमेल बिठाएं।

English Summary: KVK gives technical education to farmers

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