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एलोवेरा की वैज्ञानिक खेती करके कमाएं ज्यादा मुनाफा, आइए जानते हैं पूरी जानकारी

लिलीएसी परिवार से संबंध रखने वाला एलोवेरा (Aloevera) एक बहुवर्षीय पौधा है. यह मूलरूप से फ्लोरिडा, मध्य अमेरिका, वेस्टइंटीज तथा एशिया महाद्वीप के कुछ देशों में पाया जाता है. एलोवेरा का तना छोटा, पत्तियां हरी मांसल होती है. इसकी पत्तियों से पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता है. वैसे तो एलोवेरा भारत में विदेशी देशों से आया, लेकिन बाद में यह देश के शुष्क इलाकों में बड़ी संख्या में पाए जाने लगा. यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा हरियाणा के सूखे हिस्सों में बड़ी संख्या में पाया जाता है. आजकल एलोवेरा की खेती (Aloevera Farming) का चलन अच्छा खासा बढ़ गया है. ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. तो आइए जानते हैं एलोवेरा की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी-

श्याम दांगी
Aloevera Cultivation
Aloevera Cultivation

लिलीएसी परिवार से संबंध रखने वाला एलोवेरा (Aloevera) एक बहुवर्षीय पौधा है. यह मूलरूप से फ्लोरिडा, मध्य अमेरिका, वेस्टइंटीज तथा एशिया महाद्वीप के कुछ देशों में पाया जाता है. एलोवेरा का तना छोटा, पत्तियां हरी मांसल होती है. इसकी पत्तियों से पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता है. 

वैसे तो एलोवेरा भारत में विदेशी देशों से आया, लेकिन बाद में यह देश के शुष्क इलाकों में बड़ी संख्या में पाए जाने लगा. यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा हरियाणा के सूखे हिस्सों में बड़ी संख्या में पाया जाता है. आजकल एलोवेरा की खेती (Aloevera Farming) का चलन अच्छा खासा बढ़ गया है. ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है. तो आइए जानते हैं एलोवेरा की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी-

एलोवेरा का उपयोग (Government Subsidy)

आयुर्वेद के लिहाज महत्वपूर्ण एलोवेरा का उपयोग आजकल सौन्दर्य प्रसाधनों में काफी बढ़ गया है. यही वजह है कि देश के कई हिस्सों में इसकी खेती हो रही है जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा मिल रहा है. कई हर्बल और आयुर्वेद कंपनियां इसकी कांट्रैक्ट फार्मिंग करवा रही हैं. वहीं आयुर्वेद के हिसाब से बात करें तो चर्म रोग, पीलिया, खांसी, बुखार, पथरी, सांस आदि रोगों में यह काफी उपयोगी है.

एलोवेरा की खेती के लिए जलवायु (Climate for Aloe Vera Cultivation)

इसकी खेती के लिए गर्म आर्द्र, शुष्क एवं उष्ण जलवायु उत्तम मानी जाती है.

एलोवेरा की खेती के लिए भूमि (Land for Aloe Vera Cultivation)

इसकी खेती के लिए सिंचित व असिंचित दोनों प्रकार की भूमि उत्तम है. ऐसी भूमि जो ऊंचाई पर हो इसकी खेती के बेहतर होती है. बता दें कि इसके अधिक उत्पादन के लिए खेत की गहरी जुताई करना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए भूमि की तैयारी खाद (Land preparation and fertilizer for aloe vera cultivation)

गर्मी के दिनों सबसे पहले प्लाऊ से या मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करना चाहिए. 20 से 30 सेंटीमीटर की जुताई उत्तम मानी जाती है. वहीं प्रति एकड़ 10 से 15 गोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing time for aloe vera cultivation)

वैसे तो एलोवेरा की खेती साल में ठंड के दिनों को छोड़कर कभी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आदर्श समय जुलाई-अगस्त महीना है.

एलोवेरा की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed Quantity for Aloe Vera Cultivation)

एलोवेरा के बीज के लिए के लिए 6 से 8 फीट ऊंचाई के पौधों का चुनाव करें. अब इसमें से 4-5 पत्तों वाली तीन से चार महीने पुराने कंदों को बीज के लिए छांट लें. प्रति एकड़ 5 से 10 हजार कंदों की आवश्यकता पड़ती है.

एलोवेरा की खेती के लिए बीज कहां से लें (Where to get seeds for aloe vera cultivation)

वैसे तो आप इसके कंद उन किसानों से ले सकते हैं जो पहले से एलोवेरा की खेती कर रहे हैं. वहीं यदि आपके संपर्क में ऐसे किसान नहीं है तो आप लखनऊ  स्थित सीमैप से एलोवेरा की अंकचा या एएल-1 किस्मों का कंद मंगवा सकते हैं.

एलोवेरा की खेती के लिए रोपाई (Planting for Aloe Vera Cultivation)

रोपाई के पहले खेत में खूड़ बना लें जिसके बाद एक मीटर में एलोवेरा की दो पंक्तियों में रोपाई करना चाहिए. जिसके एक मीटर जगह को छोड़ देना चाहिए जिससे निराई गुड़ाई आसानी से की जा सकती है. बता दें कि बारिश के दौरान पुराने पौधों के नजदीक से कुछ नए पौधे निकलने लगते हैं. जिन्हें अलग करके रोपाई के रूप में उपयोग कर सकते हैं.

एलोवेरा की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Aloe Vera Cultivation)

क्ंदों की रोपाई के बाद पहली सिंचाई करना चाहिए. इसके बाद समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए निराई गुड़ाई (Weeding hoeing for aloe vera cultivation)

पहली निराई गुड़ाई फसल रोपाई के एक महीने बाद करना चाहिए. जैसा कि आप जानते हैं यह एक बहुवर्षीय पौधा है ऐसे में साल में2 से 3 निराई गुड़ाई नियमित अंतराल पर करना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए फसल कटाई (Harvesting for Aloe Vera Cultivation)

पहली फसल एक साल बाद तैयार हो जाती है जिसके बाद तीन चार में ही इसकी कटाई करते रहने चाहिए. कटाई के लिए धारदार हांसिये का उपयोग करना चाहिए.

एलोवेरा की खेती के लिए उत्पादन (Production for Aloe Vera Cultivation)

यदि एक एकड़ में एलोवेरा की खेती की जाए तो हर साल तकरीबन 20 हजार किलो ग्राम एलोवेरा का उत्पादन होता है.

एलोवेरा की खेती के लिए कमाई (Earning for Aloe Vera Cultivation)

यदि आप एलोवेरा की ताजी पत्तियों को बेचते है इसका 2 से 5 प्रति किलोग्राम का भाव मिल जाता है. इसे आप आयुर्वेदिक दवाईयों का निर्माण करने वाली कंपनियों या सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता कंपनियों को बेच सकते हैं. कांट्रैक्ट फार्मिंग इसकी खेती के लिए बेहतर ऑप्शन है. जहां तक कमाई की बात की जाए तो हर साल प्रति एकड़ से 1 लाख रुपए  की कमाई की जा सकती है.

English Summary: bumper profits earned by scientific cultivation of aloe vera, let's know full information Published on: 22 June 2021, 01:47 PM IST

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