किसानों को अपनी फसल की चिंता सताती रहती है. फसल जब तक तैयार होकर मंडी में ना पहुँच जाए, तब तक खतरा मंडराता रहता है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल की समय-समय पर ना केवल देखभाल करनी चाहिए, बल्कि कीटों से भी बचाकर रखना चाहिए.
वर्तमान समय की बात की जाए, तो इस वक़्त खरीफ सीजन चल रहा है, जिसमें किसान मुख्य रूप से धान, मक्का, सोयाबीन इत्यादि फसलों की खेती कर रहे हैं. साथ ही अनियमित वर्षा के कारण कीटों के पनपने का भी खतरा बना रहता है. समय रहते यदि इनपर ऐतिहात ना बरतें तो फसल पर भारी नुकसान हो सकता है.
धान में लगने वाले कीटों पर पूर्व रोकथाम की जाए तो इस नुकसान से बचा जा सकता है. धान की फसल को संक्रमित करने वाले तना छेदक, (पीला तना छेदक (YSB), स्किरपोफागा इनसर्टुलास), आदि पूरे प्रमुख कीट हैं, जिससे गुणवत्ता के साथ-साथ उपज में भी भारी कमी आती है. यह कीट फसल की सभी अवस्थाओं पर आक्रमण करता है. पीला तना छेदक में लार्वा चरण एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अधिकतम संक्रमण के लिए जिम्मेदार है. वानस्पतिक अवस्था के दौरान टिलर का लार्वा क्षति से 'डेड हार्ट' के लक्षण (केंद्रीय शूट का सूखना) दिखाई देते हैं तथा पैनिकल वृद्धि के दौरान क्षति का परिणाम 'सफेद कान' (चैची, अधूरा अनाज) जैसा दिखाई देता है.
फसल को इस कीट के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए, हाल ही में सुमिल केमिकल्स लिमिटेड ने दुनिया का पहला ड्राई कैप प्रौद्योगिकी पेटेंट उत्पाद ब्लैकबेल्ट लॉन्च किया है.
ब्लैकबेल्ट सीआईबी के 9(3) पंजीकरण के तहत एक विकसित ड्राई कैप प्रौद्योगिकी उत्पाद है, जो इन कीटों के रोकथाम में कई गुना असरकारक पाया गया है. इस उत्पाद को ना केवल कीटों के खिलाफ एक ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रभावशाली तरीके से रोकथाम करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है.
इस उत्पाद को 270-300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है. जहां बाजार वर्तमान में कीटनाशकों से भरा हुआ है जो अब प्रभावी रूप से कीट को नियंत्रित करने में असमर्थ है, वहीँ ब्लैकबेल्ट अपनी अत्याधुनिक तकनीक के साथ बाजार में उतारा गया है जो इन कीटों के नियंत्रण के लिय काफी प्रभावशाली है. ब्लैकबेल्ट एक व्यापक स्पेक्ट्रम का है जो तेजी से कार्रवाई करती है और साथ ही लंबी अवधि के नियंत्रण के लिए भी सक्षम है. यह आसानी से उपयोग करने वाला उत्पाद है. यहीं नहीं यह उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है, क्योंकि यह कोई अवशेष नहीं छोड़ता है और मानव हितैषी भी है.
जब वैश्विक चावल उत्पादन और निर्यात की बात आती है, तो भारत एक प्रमुख खिलाड़ी है, क्योंकि हम बहुत अधिक मात्रा में चावल का उत्पादन करते हैं, लेकिन प्रति एकड़ हमारी उत्पादकता कई अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है. इसके कई कारक हैं जिनमे प्रमुख कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए हानिकारक कीटनाशक का इस्तेमाल काफी हद तक जिम्मेदार है. क्योंकि इन कीटनाशकों का अवशेष फसलों के उत्पाद में भी आ जाता है.
कृषि जागरण के पत्रकार को सुमिल के एमडी श्री बिमल शाह ने बताया कि ब्लैकबेल्ट एक अनूठी अवधारणा है. यह कंपनी की पेटेंटेड ड्राई कैप तकनीक है जो दो कृषि रसायनों को एक साथ समलित करने में सक्षम है, जो बाजार में सामान्य उच्च विषाक्तता वाले तरल फॉर्मूलेशन को प्रतिस्थापित कर सकता हैं. अतः इससे निजात पाने के लिए समय पर रोग एवं कीटों की रोकथाम कर इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.
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