IMD Advisory For Farmers: देशभर में मानसून का कहर जारी है, कई राज्यों में अत्याधिक बारिश से लोगों का हाल बेहाल है. ऐसे में मौसम विभान ने कहा कि, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और पूर्वी राजस्थान में भारी बरसात की संभावना है. इसके अलावा, देश के कुछ हिस्सों में गरज और चमक के साथ बारसात भी हो सकती है. तेज बारिश को देखते IMD ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्हें फसलों को लेकर सचेत रहने के साथ-साथ कुछ कदम उठाने को भी कहा गया है. आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों के लिए क्या एडवाइजरी दी है.
धान की फसल के लिए एजवाइजरी
मौसम विभाग ने धान की खेती करने वाले किसानों के लिए कहा है कि, उन्हें खेत से बारिश का पानी निकालने के बाद उसमें नाइट्रोजन उर्वरक की सही मात्रा का उपयोग करना चाहिए. पानी निकलने के बाद, यदि आपको लगे पानी की मात्रा आवश्यक मात्रा से कम है, तो खेत में पानी भरें. बरसात के बाद धान के खेत में बारिश के पानी को लगभग 2 सप्ताह तक रहने दें. इसके बाद जब सिंचाई करें, तो पानी को पूरी तरह से मिट्टी में समा जाने दें. आईएमडी ने किसानों से बासमती सीएसआर 30 और पूसा बासमती 1509 की रोपाई करने की राय दी है. विभाग ने कहा है कि, जिन किसानों के खेतों में तना छेदक के चलते लगभग 5 प्रतिशत से ज्यादा पौधे मर गए है, तो उन्हें 60ML कोराजन 18.5SC, 20ML फेम 480SC, 50 ग्राम ताकुमी 20WG, 170 ग्राम मोर्टार 75SG, 1 liter कोरोबान/डर्सबान/लीथल/क्लोरगार्ड/डरमेट/क्लासिक/फोर्स 20EC या 80ML नीम आधारित जैव-कीटनाशक, इकोटिन को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से खेतों में छिड़काव करना चाहिए.
इसके अलवा विभाग ने कहा, जल्दी बोई गई फसल में किसानों को बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट का प्रभाव दिखाई दे सकता है, जिससे पूरा पौधा भी मुरझा सकता है. ऐसे में पौधे का रंग भूसे जैसे हो जाता है. किसानों को खेत नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग और अधिक पानी भरने से बचना चाहिए.
कपास के लिए एडवाइजरी
विभाग ने तेज बरसात को लेकर किसानों को सलाह दी है कि, किसानों को कपास के खेतों में हर सप्ताह पिंक बॉलवर्म के लिए सर्वेक्षण करना चाहिए और कीटनाशकों का छिड़काव करके इनके प्रकोप को नियंत्रित करना चाहिए. इन्हें नियंत्रण में रखने के लिए किसान 500ML प्रफेनोफोस 50EC (क्यूराक्रेन/कैरिना), 100 ग्राम प्रोक्लेम 5SG (इमामेक्टिन बेंजोएट), 200ML इंडोक्साकार्ब 15SC (एवांट), 250 ग्राम थायोडिकार्ब 75WP (लार्विन) या 800ML इथियोन 50EC (फॉस्माइट) का प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए. अगर जरूरत पड़े तो आप इसके 7 दिन बाद फिर से छिड़काव कर सकते हैं. विभाग ने किसानों से कहा, नरमे की फसल को सूखे से आपको बचाना है, क्योंकि सूखा प्रभावित खेत में सफेद मक्खी का हमला काफी अधिक हो जाता है.
सफेद मक्खी को नियंत्रण में रखने के लिए किसानों को सुबह 10 बजे से पहले जब पौधे का ऊपरी हिस्सा 6 पत्तियों पर पहुंच जाता है, तब आपको नियंत्रण करने के लिए दवा का छिड़काव करना चाहिए. वयस्क सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए किसानों को 200ML क्लास्टो 20WG (पाइरीफ्लुक्विनाजोन), 400ML सफीना 50DC (एफिडोपाइरोपिन), 60 ग्राम ओसियन 20SG (डाइनोटाफुरान), 200 ग्राम पोलो/रूबी/क्रेज/लूडो/शौकू 50WP (डायफेनथियूरोन), 80 ग्राम उलाला 50WG (फ्लोनिकैमिड) या 800ML फॉस्माइट/ई-माइट/वाल्थियन/गोल्डमिट 50EC (एथियन) का इस्तेमाल करके खेतों में छिड़काव करना चाहिए.
अरहर की खेती के लिए एडवाइजरी
आईएमडी ने अरहर की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी है, कि किसानों को बुवाई के लिए एक एकड़ भूमि पर लगभग 6 किलोग्राम बीजों का प्रयोग करना चाहिए. किसानों को बुवाई के वक्त खेत में पंक्तियों के बीच 50 सेमी और पौधों के बीच 25 सेमी की दूरी बनाए रखना चाहिए. किसानों को मध्यम से भारी बनावट वाली मिट्टी में गेहूं की क्यारियों में अरहर की बुवाई सफलतापूर्वक की जा सकती है. विभाग ने कहा कि, यदि किसान अरहर की बुवाई क्यारियों में करते हैं, तो सिंचाई के दौरान पानी की बचत होती है. इसकी मदद से किसान फसल को भारी बारिश के प्रभाव से भी बचा सकते हैं.
सब्जियों की खेती के लिए एडवाइजरी
मौसम विज्ञान विभाग ने सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए कहा है, कि इस मौसम में किसानों को भिंडी की पंजाब सुहावनी, पंजाब लालिमा और लोबिया की लोबिया 263 किस्मों की बुवाई करनी चाहिए. वहीं, लौकी, करेला, तोरई और टिंडा की बुवाई करने के लिए किसानों को प्रति एकड़ खेत में 2 किलोग्राम बीजों का प्रयोग करना चाहिए. विभाग ने किसानों से कहा कि, कद्दू और वंगा की बुवाई के लिए 1 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए. फूलगोभी की अगेती किस्मों की रोपाई मुख्य खेत में किसान कर सकते हैं.