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Updated on: 15 March, 2025 1:42 PM IST
अपने खेत में प्रदीप कुमार द्विवेदी , फोटो साभार: कृषि जागरण

Success Story of UP Organic Farmer: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के रहने वाले 45 वर्षीय प्रगतिशील किसान प्रदीप कुमार द्विवेदी जैविक खेती कर किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. प्रदीप कुमार ने फूड साइंस में बी.टेक और एचबीटीआई, कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक किया है. 26 साल से अधिक के अनुभव के साथ, उन्होंने फूड, फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स, हर्बल और एफएमसीजी जैसे उद्योगों में आरएंडडी, उत्पाद इंजीनियरिंग, क्यूए, क्यूसी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में काम किया है.

2010 में, उन्होंने नौकरी छोड़कर जैविक खेती शुरू की और फतेहपुर जिले में 300 एकड़ जमीन पर खेती और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरू की. आज, उनका सालाना टर्नओवर 48 करोड़ रुपये है, और वह 40,000 किसानों के साथ काम करते हैं, जो क्विनोआ, चिया सीड्स, मूली, मोरिंगा और फ्लैक्ससीड्स जैसी फसलें उगाते हैं. उनके नवाचारों ने किसानों की आय में वृद्धि की है, और उन्होंने क्विनोआ मिल्क प्लांट स्थापित किया है, जो किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ऐसे में आइए उनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-   

कॉर्पोरेट से खेती की ओर सफर 

प्रदीप ने कॉर्पोरेट दुनिया में लंबे समय तक काम किया, लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्होंने खुद से सवाल किया कि यह सफर कब तक चलेगा? आखिरकार, उन्होंने 2010 में कॉर्पोरेट करियर को अलविदा कहकर जैविक खेती में ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. उन्होंने फतेहपुर जिले में 300 एकड़ जमीन पर खेती और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरू की. यह कदम उनकी मजबूत शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि पर आधारित था. 

क्विनोआ की खेती, फोटो साभार: कृषि जागरण

क्विनोआ की खेती से किसानों को नई राह

प्रदीप को दक्षिण अमेरिका के पेरू जाने का मौका मिला, जहां उन्होंने क्विनोआ देखा और इसे भारतीय किसानों के लिए उपयुक्त पाया. उन्होंने इसे भारतीय किसानों के लिए पेश करने का फैसला किया. उन्होंने फतेहपुर के बहुआ गांव में चार किसानों के साथ क्विनोआ की खेती शुरू की. शुरुआत में किसानों को मनाना और खरीदार ढूढना आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई. आज, वह छह राज्यों के 40,000 किसानों के साथ काम करते हैं, जो क्विनोआ, चिया सीड्स, मूली, मोरिंगा और फ्लैक्ससीड्स जैसी फसलें उगाते हैं. 

सस्टेनेबल कृषि मॉडल

प्रदीप का कृषि मॉडल किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाता है. वे किसानों को बीज, तकनीकी मार्गदर्शन और प्रोसेसिंग की सुविधा प्रदान करते हैं. इसके साथ ही, वे किसानों से सीधे उपज खरीदते हैं और मार्केटिंग का कार्य खुद संभालते हैं. उनका क्लस्टर फार्मिंग मॉडल किसानों की उत्पादकता बढ़ाता है और उन्हें बेहतर दाम दिलाने में मदद करता है.

किसानों की आय बढ़ाने वाले नवाचार 

प्रदीप की आरएंडडी टीम कृषि उत्पादों में मूल्यवर्धन पर काम कर रही है, जिससे उनकी बाजार कीमत में वृद्धि हुई है. उनकी टीम ने इंस्टेंट शुगरकेन जूस जैसे नवाचारी उत्पाद विकसित किए हैं, जिसे पानी में मिलाकर पूरे साल बिना केमिकल के सेवन किया जा सकता है. 

उन्होंने 5 लाख सालाना टर्नओवर से अपनी यात्रा शुरू की थी और आज उनका कारोबार करीब 48 करोड़ का है. उनके प्रयासों का नतीजा यह हुआ है कि नोएडा में क्विनोआ मिल्क प्लांट की स्थापना हुई है, जो किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में पहली पहल है.

प्रदीप कुमार द्विवेदी को मिले पुरस्कार और सम्मान 

प्रदीप को कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जैसे: 

  • सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार (2016) - आईसीएआर, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा.

  • सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान पुरस्कार (2017) - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा.

  • सर्वश्रेष्ठ नवाचार जैविक उत्पाद निर्माण पुरस्कार (2018) - खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा.

  • सर्वश्रेष्ठ जैविक नकदी फसल पुरस्कार (2018) - खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा.

  • सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान पुरस्कार (2021) - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा.

शोध और लेखन
प्रदीप ने जैविक खेती और औषधीय पौधों पर लगभग 155 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं. उन्होंने 'फूड सिक्योरिटी इन इंडिया बाय कल्टिवेटिंग क्विनोआ' नामक पुस्तक भी लिखी है, जिसमें क्विनोआ की खेती के महत्व पर प्रकाश डाला गया है.

अपने खेत में प्रदीप कुमार द्विवेदी , फोटो साभार: कृषि जागरण

भविष्य की सोच 

प्रदीप का किसानों को संदेश है कि वे बहु-फसली खेती करें और क्विनोआ और मोरिंगा जैसी मांग वाली फसलों को उगाएं. उनका मानना है कि सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग से, किसान न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) बनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

English Summary: UP farmer becomes a millionaire through quinoa and organic farming, earns Rs 48 crore annually
Published on: 15 March 2025, 01:51 PM IST

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