Kachri Farming: कचरी की खेती कैसे करें? जानें पूरी विधि, लागत और मुनाफा Weather Update: 2 जुलाई तक इन 5 राज्यों में भारी बारिश की संभावना, IMD ने जारी की चेतावनी किसानों की ताकत बढ़ाने एडीग्रो एक नया चेहरा! कंपनी के निदेशक अजय जावला ने लॉन्च किया एडीग्रो ब्रांड का लोगो और कृषि उत्पाद किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 August, 2019 11:52 AM IST

उत्तराखंड राज्य में किसानों ने ट्राउट मछली के पालन का कार्य शुरू कर दिया है. दरअसल ट्राउट मछली काफी ज्यादा कामगार होती है और यह दिल के मरीजों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है. इस मछली की खास बात यह है कि यह केवल ताजे ठंडे पानी में ही रहती है. फिलहाल हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर मे ट्राउट मछली के पालन का कार्य शुरू किया जा रहा है. उत्तराखंड में उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ में कुछ किसानों ने ट्राउट मछली को पालने का कार्य करना शुरू कर दिया है. बता दें कि ट्राउट मछली एक हजार से पंद्रह सौ प्रति किलो में बिकती है.

ट्राउट के सहारे बढ़ रही किसानों की आमदनी

उत्तरकाशी के बार्सू गांव में कपिल ने ट्राउट मछली पालने का काम शुरू कर दिया है. इससे पहले उनके पिता ने यह कार्य किया था लेकिन वह इस मछली पालन के कार्य में सफल नहीं हो सके थे. ट्राउट मछली के पालन के लिए उन्होंने 15 मीटर लंबा, एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा टैंक बनवाए है लेकिन वह जानकारी के अभाव के चलते मछली पालन में असफल हो गए है.

नौकरी छोड़ शुरू किया मछलीपालन

कपिल बताते है कि वह पहले नौकरी करते थे, मछली पालन के विषय में कोई भी जानकारी नहीं थी लेकिन बाद में उन्होंने नए सिरे से वैज्ञानिक तरीके को अपनाकर नए सिरे से मछलीपालन करने के कार्य को किया है, कपिल बातते है कि उन्होंने नौकरी के दौरान ही ट्राउट मछली के पालन के बारे में जानकारी को जुटाना शुरू कर दिया था. उन्होंने इसके लिए पुराने पड़े हुए टैंकों पर फिर से कार्य शुरू किया. टैंक को ऊपर नीचे बनवाया ताकि एक टैंक से होते हुए पानी दूसरे टैंक में आ जाए. बाद में इन टैंक में मछली के बीजों को डाला गया है. इस कार्य के लिए उनको मछली विभाग से करीब ढाई लाख का अनुदान भी मिलता है. यहां के चमोली और गढ़वाल में ट्राउट मछली के बीजों को तैयार करने का कार्य किया जाता है. कपिल का कहना है कि वह आने वाले समय में यहां पर ट्राउट मछली के बड़े स्तर का प्रोजेक्ट को लगाना चाहते है ताकि कई लोगों को रोजगार मिल सके.

प्रोटीन से भरी ट्राउट मछली

ट्राउट  मछली उत्तराकाशी के डोडीताल में पाई जाती है. आज से 120 साल पहले नार्वे में नेल्सन ने ट्राउट मछली के बीज को डालने का कार्य किया था. बता दें कि ट्राउट मछली में केवल एक ही कांटा पया जाता है. कांटा निकालने के बाद आप इसको चिकन और मटन की तरह आसानी से पका सकते है. ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फैटी एसिड तत्व होता है.यहां का मछली पालन विभाग भी च्राउट मछली पालन के लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहा है.

English Summary: Trout fisheries in Uttarakhand are becoming a means of employment for the farmer
Published on: 10 August 2019, 11:56 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now