Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 7 September, 2019 7:44 PM IST

छोटी-छोटी समस्याओं पर कभी-कभी कई महिलाएं टूट जाती है और उनको अपनी जिदंगी काफी बोझिल सी लगने लगती है. कई बार तो पूरे परिवार का बोझ तक आ जाता है. लेकिन कई महिलाएं इतनी साहसी होती है जो कि घर की चौखट को लांघ कर बहुत कुछ कर सकती है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में रहने वाली संध्या गोप आज का मशरूम की उत्पादक बन गई है. सुंदरगांव में रहने वाली संध्या ने इसे धंधे के रूप में अपना कर जीविकोपार्जनका आधार बना लिया है. दरअसल आज वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बन गई है बल्कि वह आज मशरूम की खेती कर रही है.

संध्या गोप आज काफी मेहनत करके खुद मशरूम का उत्पादन करती है. संस्था गोप कई स्कूलों और स्वयंसेवी संस्थाओं में काम करके उब चुकी थी. फिलहाल वह प्रशिक्षण को हासिल करके मशरूम की खेती करने का कार्य कर रही है. संध्या ने बताया कि 200 ग्राम मशरूम का बीज लगाकार वह दो सौ से ढाई सौ रूपये कमा लेती है.

आसपास के लोग खरीदते मशरूम

मशरूम के उत्पादन में संध्या गोप के पति प्रदीप गोप और पूरे परिवार के सदस्य काफी सहयोग कर रहे है.अब उनकी चाहत है कि वह बड़ें पैमाने पर 1 हजार सिलिंडर वाला मशरूम की खेती करें. वर्तमान में संध्या गोप पुआल के डेढ़ सौ सिलेंडर में मशरूम का स्पर्म डाल कर खेती कर रही है. इससे उन्हें महीने में 60 से 70 किलो मशरूम प्राप्त हो रहा है. जिसे वे स्थानीय बाजार में 160 रूपये से 200 रूपए प्रति किलो की कीमत पर बेचकर पूंजी जमा कर रही है. आसपास के लोग उनके फार्म हाउस से मशरूम खरीददार ले जाते है.

मशरूम उत्पादन कर बन गई स्वाललंबी

संध्या बताती है कि वह दो साल से मशरूम का उत्पादन कर रही है. सबसे पहले ट्रायल के रूप में उन्होंने धोबनी गांव में छोटे पैमाने पर मशरूम की खेती शुरू की थी. उनको काफी मुनाफा हुआ तो उनका हौसला और ज्यादा बढ़ा वह आज बढ़े पैमाने पर मशरूम के उत्पादन के अभियान में जुटी है.यहां पर मशरूम का उत्पादन बढ़िया होने पर और इसकी बिक्री अच्छी होने पर महीने में लगभग 20 हजार रूपये तक की आमदनी हो जाती है.

सालभर कर सकते मशरूम उत्पादन

मशरूम उत्पादन में पहचान बना चुकी संध्या बताती है कि ओस्टर और बटन के लिए जाड़े के मौसम में सितंबर से लेकर मार्च तक का महीना काफी उपयुक्त होता है. इसी प्रकार दूधिया मशरूम के उत्पादन के लिए गर्मी में अप्रैल से लेकर सितंबर  माह का समय अच्छा होता है. इस हिसाब से मशरूम का उत्पादन सालभर किया जा सकता है. बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है. अब तो पार्टी में मशरूम की काफी डिमांड होती है.

English Summary: This woman became self-sufficient by producing mushroom
Published on: 07 September 2019, 07:46 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now