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Updated on: 31 December, 2020 11:14 AM IST
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आज हम आपसे उस व्यक्ति का परिचय कराने जा रहे है जो पहले आर्मी में कर्नल पद पर थे. इन्होने अपने शौक (Hobby) को जिंदा रखा और व्यवसायिक नर्सरी में बदल दिया. इनका नाम है केकेएस डडवाल, जो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के रहने वाले हैं और कुछ साल पहले ही आर्मी के कर्नल पद से रिटायर हुए हैं. ये अपना आभार कृषि जागरण हिमाचल प्रदेश को देते है क्योंकि लाजवंती नर्सरी के बारे में बताने का मौका दिया. तो आइये जानते है इनके और इनकी नर्सरी के बारे में-  

अपनी जुनून को व्यवसाय में बदला (Turn passion into a business)

जब कर्नल साहब फौज में थे तो इन्हे देश के कोने कोने और दूर-दराज में आर्मी की सेवा करने का मौका मिला. ये देश के हर कोने से पौधे अपने घर लाते थे और उनको अपने घर में लाकर गमलों में उगाते थे और इनके छोटे भी पौधों की देखभाल करते थे. इन्होने पेड़ पौधों के बारे में बहुत सारी किताबें पढ़ी और जहां जहां से हो सका नॉलेज लिया. इनके छोटे भाई भी इस काम में अब साथ दिया करते है. इनके छोटे भाई भी मेडिकल सर्विसेज से अभी रिटायर हो गए हैं. जब 16 साल पहले कर्नल साहब रिटायर हुये और अपने घर धर्मशाला आये तो पोधों की देखभाल करने लगे. यहां जो पौधे इकट्ठे थे उनकी देखभाल की शुरुआत की मगर इन्हे ऐसा लगा कि इतना कुछ जो इकट्ठा हुआ है, उनकी देखभाल ये अकेले नहीं कर सकते थे. इसलिए कुछ लोग नर्सरी के प्रबंध के लिए रखे. फिर धीरे धीरे पौधों की संख्या बढ़ी और इन्हे देखभाल के लिए काफी सारे लोग रखने पड़े. उस वक्त इन्हे सुझाव मिला कि इतने सारे पेड़ पौधों की देखभाल के लिए आपको कमर्शियल होना ही पड़ेगा. अभी तक ये इस चीज को हॉबी के तौर पर ही चला रहे थे.

क्यों नर्सरी की आवश्यकता महसूस हुई (Why the need for nursery is felt)

पहले धर्मशाला में हर घर में फलों के पौधे होते थे ताकि कुछ फ्रेश फ्रूट का सेवन कर सके. लेकिन धीरे-धीरे यह प्रथा खत्म होती गई. इन्होने सोचा धर्मशाला में कोई नर्सरी नहीं है और लोगों को पेड़ पौधों लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था और धर्मशाला का क्लाइमेट अलग होने और अधिक ऊंचाई पर होने के कारण पोधों की बढ़वार पर भी असर पड़ता था. इसलिए यहाँ नर्सरी को लगाने की प्रेरणा मिली और इनका घर धर्मशाला के बिल्कुल बीच में है जिससे इनको अपनी नर्सरी को व्यवसायिक बनाने में मदद मिली. ये अब पौधे इसी क्षेत्र के क्लाइमेट के अनुसार उगाते है और खुद ही इनका मल्टीप्लाई भी कराते है.

लाजवंती नर्सरी का उद्देश्य (Objective of Lajwanti Nursery)

इन्होने नर्सरी लागने पर तीन बातों पर अधिक जौर दिया, एक लोगों को यहां के आसानी से पौधे मिल सके, उन्हें दूर नहीं जाना पड़े और दूसरी बात कि लोगों में क्लोइमेट के प्रति जागरूकता लाने और पेड़ पौधों की हमें देखभाल करनी चाहिए. तीसरी बात पर विशेष जौर दिया कि हम यहां पर ऐसी व्यवस्था करेंगे कि स्कूल के बच्चे जब वह छोटी क्लास में होते हैं और बायोलॉजी सब्जेक्ट पढ़ना शुरू करते हैं तो अपने ज्ञान और नॉलेज को बढ़ाने के लिए यहाँ आये और पौधो के बारे में करीब से जाने. अब यहां पर स्कूल के टीचर बच्चो को ग्रुप्स में लाते है और फल फूलों के पौधो की जानकारी लेते है. हम उन्हे बताते है कि किस प्रकार ऑर्गेनिक मैन्योर बनाये और वेस्ट पत्तों को खाद में बदले.

इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन हर साल यहां विजिट करती है (International Organization visits here every year)

एक इन्टरनेशनल ऑर्गनाइजेशन है जिसका नाम एजुकेयर  है जिसमें बाहर के देश के स्टूडेंट भारत में आते हैं और यहां पर वे गांव के लोगों के साथ काम करते हैं. पेड़ों के बारे में जानकारी लेते हैं. हमारे नर्सरी को विजिट करते हैं और बहुत कुछ हम से सीख कर जाते हैं और बहुत कुछ हमें भी बताते हैं.

यहाँ ऑर्गेनिक खाद, फल और फूल के पौधे, कुछ हर्बल पौधे, सीजनल प्लांट, डेकोरेटिव प्लांट्स, गमले आदि लाजवंती नर्सरी में रखे है और आगे अधिक विस्तार की योजना है.

सम्पर्क सूत्र (For Contact)

लाजवंती नर्सरी का पत्ता 124-वीर भवन, श्याम नगर, धर्मशाला, जिला – कांगड़ा हिमाचल प्रदेश है. यहाँ 9816096993 या dadwalk@lajwantinursery.in मेल आईडी पर भी सम्पर्क किया जा सकता है.

English Summary: This army colonel turned his passion into business
Published on: 31 December 2020, 11:22 AM IST

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