"कड़ी मेहनत करने वालों पर सफलता फ़िदा हो जाती है", इसी बात को महाराष्ट्र के कोल्हापुर के सेब उत्पादक संतोष जाधव सिद्धि ने कर दिखाया है जो अब एग्रोटेक ब्रांड के मालिक हैं. संतोष ने 2018 से अपनी नर्सरी में सेब के पौधे लगाना शुरू किए.
करते हैं सेब के पौध का आयात (Import apple saplings)
इन्होंने सेब के पौधों का आयात कश्मीर से किया था और अब इसके पौधे महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक लगाए जा चुके हैं. कश्मीर अपनी किस्म और सेब की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है और महाराष्ट्र में इन सेबों का बड़ा बाजार है, इसलिए इन्होंने स्थानीय स्तर पर सेब उगाने का फैसला किया.
कुछ समय बाद इनके पेड़ों पर स्वादिष्ट सेब उग आए और बड़े-बड़े फल शाखाओं पर लटकने लगे. बता दें कि पेड़ों से सेब सिर्फ 6 महीनों में ही फूलों से फल बन जाते हैं.
पूरे भारत में उगने वाली सेब की किस्में (Apple varieties grown all over India)
संतोष अपने बागानों में सेब की 2 किस्मों का ही इस्तेमाल करते हैं जिसमें एचआरएमएन- 99 और डोरसेट गोल्डन शामिल हैं. हालांकि इन किस्मों को भारत के अन्य कुछ हिस्सों में भी उगाया जा सकता है.
आयातित हिमालयी सेबों को महाराष्ट्र पहुंचने में कुछ समय लगता है जिसके चलते वो अपनी ताजगी खो देते हैं. दूसरी ओर स्थानीय रूप से उगाए गए सेब कटाई के बाद किसानों को तुरंत उपलब्ध हो जाते हैं. संतोष जो सेब उगाते हैं वह स्वाद में लाजवाब होते हैं.
सेब के पौधे उगाने की विधि (Apple plant growing method)
वह बाजार में अधिक मांग और अच्छी गुणवत्ता वाले सेब का उत्पादन करने की वजह से अपने सेब आसानी से बेच पाते हैं. संतोष का कहना है कि वह अच्छी गुणवत्ता वाले सेब उगाते हैं क्योंकि वह अपने पौधों पर साल भर काम करते हैं वो भी यह सुनिश्चित करने के लिए कि पेड़ अच्छी स्थिति में रहें और साथ ही इसका निरीक्षण, रखरखाव, प्रबंधन करते हैं. इसके अलावा, संतोष उत्कृष्ट कीट नियंत्रण योजना भी बनाते हैं और इसलिए इनके सेब के पेड़ों पर कीटों का अधिक प्रभाव नहीं पड़ पाता है.
सेब का उत्पादन (Apple production)
सेब के पेड़ रोपण के 2-3 साल बाद फल देते हैं. प्रत्येक पेड़ प्रति मौसम 8-9 किलोग्राम फल देता है और अनुभव के माध्यम से आप प्रति मौसम अधिक सेब उगा सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संतोष अब यह अन्य किसानों को सेब की खेती के लिए मार्गदर्शन, सलाह और समर्थन प्रदान करते हैं.