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Updated on: 7 August, 2023 4:35 PM IST
किसान सुरेश यादव

सफल किसान की कहानी तो आप सब लोगों ने बहुत सी सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको ऐसे एक किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए, बागवानी के क्षेत्र में अपना बढ़िया करियर बनाया है. जिस किसान कि हम बात कर रहे हैं, उनका नाम सुरेश यादव है. वह राजस्थान के जयपुर जिले के करणसर गांव के रहने वाले हैं.

कोरोना काल में शुरू की बागवानी

किसान सुरेश बताते हैं कि उन्होंने बागवानी का कार्य कोरोना काल में शुरू किया. वह यह भी बताते हैं कि वह पहले स्कूल में पढ़ाया करते थे, लेकिन जब 15 मार्च 2019 को स्कूल बंद हो गए जिससे उन्हें घर पर रहना पड़ा. चार-पांच महीने गुजरने के बाद देशभर में दोबारा से लॉकडाउन लग गया, जिसके चलते स्कूल खुले ही नहीं. ऐसे में कई लोगों का रोजगार बंद हो गया. इसी दौरान सुरेश ने एक नर्सरी स्टार्ट किया और उसमें लगभग 40000 पौधे लाकर उन्हें बेचने लगें. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना अपने खेत में पौधे लगाए जाए. इसके बाद फिर 10 बीघा खेत में अच्छी तरीके से मिट्टी तैयार करके उसमें गड्ढे करना शुरू किए और 8 अगस्त 2020 को पौधे लगाए. पौधों में थाई एप्पल बेर के 400 पौधे लगाए जिसमें अलग-अलग वैरायटी थी. जैसे कि- कश्मीरी रेड एप्पल, गोला बेर, थाई एप्पल, बेर ग्रीन, सीडलेस बेर, रहा और चकिया आंवला के 200 पौधे थे. साथ में अमरूद, अनार, नींबू और करौंदा के भी पौधे लगाए थे.

आस-पास के लोगों ने भी बनाया बगीचा

वहीं सुरेश आगे बताते है कि उन्होंने 1 साल तक खाद पानी देकर अच्छा बगीचा बनाया और बगीचे को देखते हुए आसपास के 8-10 लोगों ने भी अपने खेत में बगीचा बनाने का कार्य शुरू किया. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि हमें अपने बगीचे से कम से कम एक साल तक कोई प्रोडक्शन नहीं हुआ. हम सिर्फ उनकी ग्रोथ पर ध्यान दे रहे थे. फिर दूसरे साल हमें 5kg से लगभग थाई एप्पल बेर के बोर  प्राप्त हुए. जो सर्दियों में जल गए थे. लेकिन इस बार हमें इनसे अच्छा प्रोडक्शन मिलने की उम्मीद है. बता दें कि इस बार हमने अपने बगीचे में कई चीजों का ध्यान रखा है. जिसे हमें अच्छे फल मिलने की संभावना है. उन्होंने बताया कि इस बार उन्हें अपने बगीचे के 1 पौधे से लगभग 50 किलो के आसपास फल मिलने की उम्मीद है.

किसी का सपोर्ट नहीं मिला

किसान सुरेश बताते हैं कि हमारे बुरे समय में हमारी किसी ने सहायता नहीं की. जब मैं बागवानी करता था. उस समय मुझे सिर्फ मेरे बड़े भाई जितेंद्र कुमार यादव का ही सपोर्ट था. इनके अलावा किसी ने सपोर्ट नहीं किया. मैंने अकेले ही इस बगीचे को स्कूल से आने के बाद में शाम के समय पानी से सींचा है. घास को हटाना और  खाद आदि कार्य को पूरा किया है.

इसके अलावा सुरेश यह भी बताते हैं कि गांव में पानी की मात्रा कम होने के चलते कई सारे लोग शहरों में रहने लगे हैं. वहां पारम्परिक खेती से सन्तुष्ट नहीं होने के कारण बागवानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

नोट: अधिक जानकारी के लिए आप सुरेश यादव से सीधे तौर पर संपर्क कर सकते हैं. इसके लिए आप उन्होंने इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं. –  96600 43915

English Summary: The story of becoming a farmer from 'teacher', changed his life from gardening
Published on: 07 August 2023, 04:45 PM IST

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