जब कोरोना और लॉकडाउन की वजह से अधिकतर लोगों का रोजगार छिन रहा था, तब उत्तर प्रदेश के कानपुर के बेहटा बुजुर्ग गांव में रहने वाले अखिलेश सिंह ने एक मिसाल कायम की. उन्होंने इस संकट की घड़ी में बाहरी राज्यों से आए कई लोगों को रोजगार दिया है. उन्होंने भले ही प्रवासियों और आसपास के गांवों के तमाम बेरोजगारों को सीमित आय दी हो, लेकिन वह उनकी जिंदगी को आगे बढ़ाने का जरिया बन गए.
अखिलेश सिंह कोई उद्योगपति नहीं हैं, बल्कि एक साधारण किसान हैं. वह खेती करने वाले किसानों के लिए एक मिसाल बन गए हैं. अखिलेश सिंह केले की खेती करते हैं और इससे वह सालाना 20 से 25 लाख रुपए भी कमा लेते हैं. उनके गांव में भी गेहूं, धान और दलहन आदि फसलों की परंपरागत खेती होती है. मगर 5 साल किसान अखिलेश सिंह ने अखबारों में प्रगतिशील किसानों की खबरें पढ़ी, जिससे उन्हें कुछ अलग और नया करने की प्रेरणा मिली. इसके बाद किसान ने केले की खेती करने का फैसला लिया.
एक बीघा खेत में की खेती
किसान ने पहली बार 1 बीघा खेत में केला की खेती करना शुरू किया. इसकी फसल लगभग 14 महीने में तैयार हो जाती है. किसान को सारे खर्च निकालकर लगभग 1 लाख रुपए की बचत हुई. यह आय अन्य फसलों की तुलना में अधिक थी. इस तरह किसान का हौसला और बढ़ गया. वह हर साल 1 से 2 बीघा खेत में फसल का रकबा बढ़ाते गए. मौजूदा समय में किसान साढ़े सात बीघा खेत में केले की खेती करते हैं. बता दें कि किसान 1 बीघा खेत उन्हें लाखों की रुपए की बचत देता है. इस तरह किसान सालाना 10 लाख रुपए तक की बचत कर रहे हैं. इसके अलावा गांव में ही प्लांट लगाकर केला पकाकर बाजार में बेचने का बिजनेस शुरू किया. इससे उन्हें सालाना 10 से 15 लाख रुपए की और बचत हो जाती है.
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लॉकडाउन में कई लोगों को दिया रोजगार
जब कोरोना और लॉकडाउन में अधिकतर लोग बेरोजगार हो गए, तब किसान अखिलेश सिंह ने लगभग 50 से अधिक लोगों को रोजगार दिया. उनके साथ 15 से 20 लोग स्थायी रूप से काम करते ही हैं. इसके साथ ही जब माल का आवागमन रुका, तो बेरोजगारों को बुलाकर केले की गांव-गांव फेरी लगवाई. इस तरह बेरोजगारों के हाथों में कुछ पैसे भी आ गए. बीते 4 महीने में किसान ने गांव और आसपास के लोगों को केला बेचकर कमाई करना सिखा दिया है.
किसान का बेटा भी करता है खेती
किसान अखिलेश सिंह के 2 बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा डिफेंस की तैयारी कर रहा था. मगर खेती में लाभ और काम बढ़ गया, तो उन्होंने अपने बेटे को भी खेती के कामों में लगा लिया. किसान का कहना है कि नौकरी करके ये अपना पेट पालेंगे, लेकिन गांव के साथ काम करेंगे, तो दर्जनों परिवारों को रोजी रोटी मिल पाएगी. सफल किसान अखिलेश सिंह की तरह हर किसान को खेती में कुछ न कुछ नया प्रयोग ज़रूर करना चाहिए.