अगर आप बागवानी (Horticulture) में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे सफल किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो कि 6 साल से हजारों पेड़-पौधों की बागवानी कर रहे हैं. यह कहानी उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले दीपांशु धरिया की है, जिन्होंने गणित में परास्नातक की पढ़ाई की है. इतना ही नहीं, उन्होंने अपना एक यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है, जिसके माध्यम से वह लाखों लोगों को बागवानी संबंधित जरूरी जानकारी देते हैं.
बेकार पड़े डिब्बों में की बागवानी
बागवानी करने वाले दीपांशु के घर में पीपल, बरगद, आम, इमली और बोनसाई जैसे कई पेड़ लगे हैं. इसके अलावा सतावर, गिलोय जैसे कई औषधीय पौधे होने के साथ अंगूर और पान की लताएं भी हैं. उनका कहना है कि वह साल 2014 से बागवानी कर रहे हैं. उन्होंने शुरुआत में घर में बेकार पड़े डिब्बों में साइगस और गुलाब के 5 से 10 पौधे लगाए थे, लेकिन आज उनके पास लगभग 3 हजार से ज्यादा पौधे हैं. इन पौधे की एक अलग खासियत है. दीपांशु मौसमी पौधों की जगह कई साल तक जीवित रहने वाले पौधों को प्राथमिकता देते हैं. खास बात है कि वह अपने एक पौधे की ग्राफ्टिंग यानी कलम बांधकर कई पौधे बना लेते हैं. इसके साथ ही वह अपने घर की दीवारों पर उगे पीपल की ग्राफ्टिंग कर 2 से 3 किस्म के पेड़ बना चुके हैं.
ऐसे आया बागवानी का विचार
जब दीपांशु 10 साल के थे, तब उनके पिताजी का निधन हो गया. इस कारण घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. ऐसे में वह वी-मार्ट मॉल में काम करने लगे. इसी दौरान एक स्थानीय मंदिर के एक पुजारी मिले, जिन्होंने उनकी नौकरी मंदिर में लगवा दी. इससे उनका काफी समय बचने लगा और वह बागवानी की तरफ बढ़ने लगे.
ये है बागवानी का तरीका
दीपांशु ने शुरू से ही पौधों की ग्राफ्टिंग और क्राफ्टिंग का काम किया है. पिछले 5 से 6 साल के उन्होंने अपने बोनसाई पेड़ों को ऐसा आकार दिया है कि वे थोड़ा-सा भी बढ़े नहीं, लेकिन उनकी खूबसूरती दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. दीपांशु अपने पौधों के लिए गाय-भैंस के गोबर से बने खाद का इस्तेमाल करते हैं, साथ ही अपने गमलों को अपने इच्छानुसार बनवाते हैं. दीपांशु मिट्टी के गमलों का ही इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इससे पौधों को पर्याप्त हवा मिल पाती है. इसके अलावा सिंचाई ऐसे करते हैं कि मिट्टी में सड़न न पैदा हो और पौधे को किसी तरह का नुकसान न हो.
दीपांशु की सलाह
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मिट्टी और खाद का मिश्रण 80:20 के अनुपात में बनाएं.
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सिंचाई नमी बनाएं रखने के लिए करें.
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पौधों की कटिंग नियमित रूप से करते रहें, जिससे पौधा ज्यादा बड़ा न हो.
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साल में पौधों को कम से कम एक बार दूसरे गमले में स्थानांरित करें.
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पौधों की कटिंग या बीज से पौधा तैयार करने के लिए बारिश के मौसम का चुनाव करें.